बेंगलुरु
कर्नाटक में यादगीर जिले के छोटे से गांव सागर में रहने वाले शिवप्पा के जीवन में अचानक खुशियां आई थीं। यह अप्रैल का महीना था, जब उनके खाते में कर्जमाफी के 43,553 रुपये आए थे। इस कर्जमाफी की वादा विधानसभा चुनाव के पहले मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने किया था और उसे उन्होंने पूरा किया। दो महीने बाद ही शिवप्पा तब हैरान रह गए जब 3 जून को उनके खाते से बिना किसी सूचना के यह रकम वापस कर ली गई।
राज्य में सिर्फ शिवप्पा ही एकलौते ऐसे किसान नहीं हैं, जिनके खाते से कर्जमाफी की रकम वापस ले ली गई है। उनकी ही तरह 13,988 ऐसे किसान हैं। अब किसानों ने सरकार पर आरोप लगाना शुरू कर दिया है कि सिर्फ विधानसभा चुनाव जीतने के लिए कर्जमाफी की यह रकम उन लोगों के खाते में भेजी गई थी और लोकसभा चुनाव में हार के बाद वह वापस ले ली गई।
सरकार ने आरोपों को बताया अफवाह
हालांकि इन आरोपों को सरकार ने खारिज किया है। सरकार का कहना है कि यह सिर्फ झूठी बातें और अटकलें ही हैं जो विपक्षी दलों द्वारा फैलाई जा रही हैं। सीएम कुमारस्वामी ने कहा कि यह कर्जमाफी की रकम सिर्फ नैशनल बैंकों से ही वापस गई है जो केंद्र सरकार के नियंत्रण में हैं। उन्होंने ट्वीट करके कहा कि यह विसंगति राज्य सरकार द्वारा कराई गई ऑडिट में सामने आई, जिसके बाद सरकार के करोड़ों रुपये बचे।
मुख्यमंत्री ने बैंकों की बुलाई बैठक
एचडी कुमास्वामी ने कहा कि उन्होंने 14 जून को नैशनल बैंकों की एक बैठक बुलाई है। इस बैठक में सिर्फ इसी बिंदु पर चर्चा की जाएगी। सर्वे, सेटेलमेंट ऐंड लैंड रेकॉर्ड कमिश्नर मुनीश ने कहा कि यह विसंगति सिर्फ नैशनल बैंकों में सामने आई है, जहां पर 12 लाख से ज्यादा किसानों ने कर्जमाफी के लिए आवेदन किया था।
वापस लिए गए 59.8 करोड़
अधिकारियों ने बताया कि बैंकों ने जो डेटा दिया उसके आधार पर सरकार ने 7.5 लाख किसानों की कर्जमाफी के लिए 3,930 करोड़ रुपये का बजट जारी किया था। बाद में एक एजेंसी से ऑडिट कराया गया तो पता चला कि बैंकों ने 13,988 अयोग्य किसानों के खातों में कर्जमाफी की रकम भेज दी है। इस विसंगति के सामने आने के बाद बैंकों को 59.8 करोड़ की यह रकम वापस लेने का आदेश दिया गया था।
इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ें
कर्नाटक में यादगीर जिले के छोटे से गांव सागर में रहने वाले शिवप्पा के जीवन में अचानक खुशियां आई थीं। यह अप्रैल का महीना था, जब उनके खाते में कर्जमाफी के 43,553 रुपये आए थे। इस कर्जमाफी की वादा विधानसभा चुनाव के पहले मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने किया था और उसे उन्होंने पूरा किया। दो महीने बाद ही शिवप्पा तब हैरान रह गए जब 3 जून को उनके खाते से बिना किसी सूचना के यह रकम वापस कर ली गई।
राज्य में सिर्फ शिवप्पा ही एकलौते ऐसे किसान नहीं हैं, जिनके खाते से कर्जमाफी की रकम वापस ले ली गई है। उनकी ही तरह 13,988 ऐसे किसान हैं। अब किसानों ने सरकार पर आरोप लगाना शुरू कर दिया है कि सिर्फ विधानसभा चुनाव जीतने के लिए कर्जमाफी की यह रकम उन लोगों के खाते में भेजी गई थी और लोकसभा चुनाव में हार के बाद वह वापस ले ली गई।
सरकार ने आरोपों को बताया अफवाह
हालांकि इन आरोपों को सरकार ने खारिज किया है। सरकार का कहना है कि यह सिर्फ झूठी बातें और अटकलें ही हैं जो विपक्षी दलों द्वारा फैलाई जा रही हैं। सीएम कुमारस्वामी ने कहा कि यह कर्जमाफी की रकम सिर्फ नैशनल बैंकों से ही वापस गई है जो केंद्र सरकार के नियंत्रण में हैं। उन्होंने ट्वीट करके कहा कि यह विसंगति राज्य सरकार द्वारा कराई गई ऑडिट में सामने आई, जिसके बाद सरकार के करोड़ों रुपये बचे।
मुख्यमंत्री ने बैंकों की बुलाई बैठक
एचडी कुमास्वामी ने कहा कि उन्होंने 14 जून को नैशनल बैंकों की एक बैठक बुलाई है। इस बैठक में सिर्फ इसी बिंदु पर चर्चा की जाएगी। सर्वे, सेटेलमेंट ऐंड लैंड रेकॉर्ड कमिश्नर मुनीश ने कहा कि यह विसंगति सिर्फ नैशनल बैंकों में सामने आई है, जहां पर 12 लाख से ज्यादा किसानों ने कर्जमाफी के लिए आवेदन किया था।
वापस लिए गए 59.8 करोड़
अधिकारियों ने बताया कि बैंकों ने जो डेटा दिया उसके आधार पर सरकार ने 7.5 लाख किसानों की कर्जमाफी के लिए 3,930 करोड़ रुपये का बजट जारी किया था। बाद में एक एजेंसी से ऑडिट कराया गया तो पता चला कि बैंकों ने 13,988 अयोग्य किसानों के खातों में कर्जमाफी की रकम भेज दी है। इस विसंगति के सामने आने के बाद बैंकों को 59.8 करोड़ की यह रकम वापस लेने का आदेश दिया गया था।
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