बी.वी. शिव शंकर, बेंगलुरु
मेट्रो में हिंदी के इस्तेमाल को लेकर उठे विवाद के बीच कर्नाटक सरकार पर इस बात का दबाव बढ़ रहा है कि वह मुद्दे पर अपना रुख साफ करते हुए बेंगलोर मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (BMRC) को यह निर्देश दे कि मेट्रो में लगने वाले सभी साइनबोर्ड्स पर सिर्फ कन्नड़ और अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल किया जाए। हिंदी 'थोपे' जाने का आरोप लगाते हुए कन्नड़ समर्थक कार्यकर्ता इस सिलसिले में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार इसे लेकर किसी कन्फ्यूजन में न रहे और अपना स्टैंड बिल्कुल साफ करे। अगर सरकार की ओर से ऐसा नहीं किया जाता है तो इस मुद्दे को लेकर कानून-व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।
पढ़ें: बेंगलुरु में हिंदी के विरोध में मेट्रो स्टेशन्स पर पोती कालिख
उधर BMRC का कहना है कि सरकार के लिखित आदेश के बिना हिंदी में लिखे साइनबोर्ड्स को हटाया उनके लिए संभव नहीं है। नाम न जाहिए किए जाने की शर्त पर एक BMRC के अधिकारी ने बताया, 'इससे पहले की हालात काबू से बाहर हो जाएं, सरकार को अपना रुख जल्द साफ करना होगा। प्रदर्शनकारी मेट्रो स्टेशन पर लगे साइनबोर्ड्स को खराब कर रहे हैं। हालात बिगड़ते जा रहे हैं। हम असहाय महसूस कर रहे हैं और सरकार के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं।'
पढ़ें: बेंगलुरु मेट्रो में काफी विरोध के बाद ढके गए हिंदी नाम
हिंदी के विरोध में यह आंदोलन कर्नाटक रक्षणा वेदिके नाम का संगठन चला रहा है और इसके कार्यकर्ताओं ने हाल ही में मेट्रो स्टेशनों के साइनबोर्ड्स पर कालिख पोत दी थी। साथ ही BMRC के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन भी किया था। कन्नड़ विकास प्राधिकरण (KDA) भी BMRC से कह चुका है कि वह हिंदी के साइनबोर्ड हटा ले। साथ ही मेट्रो में होने वाले अनाउंसमेंट भी हिंदी में न किए जाएं।
मौजूदा हालात से कर्नाटक सरकार भी भारी दबाव में आ गई है। सीएम सिद्धारमैया ने अभी तक इस संबंध में BMRC को कोई औपचारिक निर्देश नहीं दिया है, लेकिन बताया जा रहा है कि उन्होंने मौखिक तौर पर यह जरूर कहा है कि हिंदी का इस्तेमाल कम किया जाए। राज्य सरकार के मंत्री भी यह साफ कर चुके हैं कि सरकार कन्नड़ को प्राथमिकता दिए जाने के पक्ष में है, लेकिन मेट्रो प्रॉजेक्ट केंद्र के सहयोग से पूरा हुआ है और हिंदी के इस्तेमाल का निर्देश केंद्र की ओर से BMRC को दिया गया है।
बता दें कि इसके पहले 4 जुलाई को हिंदी में साइनबोर्डों के विरोध को देखते हुए BMRC ने 2 मेट्रो स्टेशनों पर लगे साइनबोर्डों पर हिंदी में लिखे शब्दों को गम टेप, रंगीन कागज और कपड़े से ढक दिया था, लेकिन कन्नड़ समर्थक कार्यकर्ता इससे संतुष्ट नहीं हैं। वे चाहते हैं कि हिंदी साइनबोर्डों को सभी 40 स्टेशनों पर से हटाया जाए। उनकी मांग है कि ट्रेन के भीतर भी हिंदी का इस्तेमाल न हो।
मेट्रो में हिंदी के इस्तेमाल को लेकर उठे विवाद के बीच कर्नाटक सरकार पर इस बात का दबाव बढ़ रहा है कि वह मुद्दे पर अपना रुख साफ करते हुए बेंगलोर मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (BMRC) को यह निर्देश दे कि मेट्रो में लगने वाले सभी साइनबोर्ड्स पर सिर्फ कन्नड़ और अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल किया जाए। हिंदी 'थोपे' जाने का आरोप लगाते हुए कन्नड़ समर्थक कार्यकर्ता इस सिलसिले में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार इसे लेकर किसी कन्फ्यूजन में न रहे और अपना स्टैंड बिल्कुल साफ करे। अगर सरकार की ओर से ऐसा नहीं किया जाता है तो इस मुद्दे को लेकर कानून-व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।
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उधर BMRC का कहना है कि सरकार के लिखित आदेश के बिना हिंदी में लिखे साइनबोर्ड्स को हटाया उनके लिए संभव नहीं है। नाम न जाहिए किए जाने की शर्त पर एक BMRC के अधिकारी ने बताया, 'इससे पहले की हालात काबू से बाहर हो जाएं, सरकार को अपना रुख जल्द साफ करना होगा। प्रदर्शनकारी मेट्रो स्टेशन पर लगे साइनबोर्ड्स को खराब कर रहे हैं। हालात बिगड़ते जा रहे हैं। हम असहाय महसूस कर रहे हैं और सरकार के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं।'
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हिंदी के विरोध में यह आंदोलन कर्नाटक रक्षणा वेदिके नाम का संगठन चला रहा है और इसके कार्यकर्ताओं ने हाल ही में मेट्रो स्टेशनों के साइनबोर्ड्स पर कालिख पोत दी थी। साथ ही BMRC के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन भी किया था। कन्नड़ विकास प्राधिकरण (KDA) भी BMRC से कह चुका है कि वह हिंदी के साइनबोर्ड हटा ले। साथ ही मेट्रो में होने वाले अनाउंसमेंट भी हिंदी में न किए जाएं।
मौजूदा हालात से कर्नाटक सरकार भी भारी दबाव में आ गई है। सीएम सिद्धारमैया ने अभी तक इस संबंध में BMRC को कोई औपचारिक निर्देश नहीं दिया है, लेकिन बताया जा रहा है कि उन्होंने मौखिक तौर पर यह जरूर कहा है कि हिंदी का इस्तेमाल कम किया जाए। राज्य सरकार के मंत्री भी यह साफ कर चुके हैं कि सरकार कन्नड़ को प्राथमिकता दिए जाने के पक्ष में है, लेकिन मेट्रो प्रॉजेक्ट केंद्र के सहयोग से पूरा हुआ है और हिंदी के इस्तेमाल का निर्देश केंद्र की ओर से BMRC को दिया गया है।
बता दें कि इसके पहले 4 जुलाई को हिंदी में साइनबोर्डों के विरोध को देखते हुए BMRC ने 2 मेट्रो स्टेशनों पर लगे साइनबोर्डों पर हिंदी में लिखे शब्दों को गम टेप, रंगीन कागज और कपड़े से ढक दिया था, लेकिन कन्नड़ समर्थक कार्यकर्ता इससे संतुष्ट नहीं हैं। वे चाहते हैं कि हिंदी साइनबोर्डों को सभी 40 स्टेशनों पर से हटाया जाए। उनकी मांग है कि ट्रेन के भीतर भी हिंदी का इस्तेमाल न हो।