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पाठ्यपुस्तक से टीपू सुल्तान के अध्याय को हटाने की मांग पर मंत्री ने रिपोर्ट देने को कहा

बीजेपी और दक्षिणपंथी संगठन टीपू सुल्तान का विरोध करते हैं और इसे मैसूर के भूतपूर्व बादशाह को ‘धार्मिक कट्टर’ बताते हैं। सत्ता में आने के फौरन बाद बीजेपी सरकार ने जुलाई में टीपू सुल्तान की जयंती के कार्यक्रम को रद्द कर दिया।

भाषा 29 Oct 2019, 7:08 am

हाइलाइट्स

  • बीजेपी विधायक ए.रंजन ने इतिहास की पाठ्यपुस्तकों से टीपू सुल्तान आधारित अध्याय को हटाने की मांग की
  • प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री ने कर्नाटक पाठ्यपुस्तक सोसायटी के प्रबंध निदेशक को लिखा पत्र
  • रंजन के आरोप, टीपू ने हजारों इसाइयों और कोडावा लोगों को जबरन इस्लाम में धर्मांतरित कराया था
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नवभारतटाइम्स.कॉम tipu
बेंगलुरु
कर्नाटक के मंत्री सुरेश कुमार ने अधिकारियों से कहा कि वे 18वीं सदी के भूतपूर्व मैसूर रियासत के विवादित शासक टीपू सुल्तान पर आधारित अध्याय को इतिहास की पाठ्यपुस्तकों से हटाने की बीजेपी विधायक की मांग पर गौर करें। सुरेश कुमार ने सोमवार को कहा कि अधिकारी इस मामले में तीन दिन में अपनी रिपोर्ट दें। प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री ने कर्नाटक पाठ्यपुस्तक सोसायटी के प्रबंध निदेशक को पत्र लिखकर कहा है कि वह विधायक ए रंजन को मामले पर चर्चा करने के लिए आमंत्रित करें।
कुमार ने नोट में कहा, ‘विधायक के अनुरोध के मुताबिक, इतिहास की पाठ्यपुस्तक में टीपू सुल्तान पर अध्याय के संबंध में इतिहास की पाठ्यपुस्तक प्रारूप समिति की एक बैठक बुलाइए। बीजेपी विधायक ए रंजन को बैठक के लिए बुलाइए और अध्याय की जरूरत पर, इसे रखने और हटाने पर चर्चा करें तथा तीन दिन में मुझे रिपोर्ट दें।’

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रंजन ने पिछले हफ्ते मंत्री को चिट्ठी लिखकर मांग की थी कि टीपू सुल्तान पर आधारित अध्याय को हटा देना चाहिए। पत्रकारों से बातचीत में रंजन ने आरोप लगाया था कि टीपू ने हजारों इसाइयों और कोडावा लोगों को जबरन इस्लाम में धर्मांतरित कराया था। वह अपना प्रशासन फारसी भाषा में चलाते थे और वह स्वतंत्रता सैनानी नहीं थे। रंजन का हवाला देते हुए कुमार ने नोट में कहा, ‘विधायक ने कहा है कि राज्य सरकार के मिडिल स्कूलों की इतिहास की पाठ्य पुस्तकों में टीपू सुल्तान पर एक अध्याय है। उनके इतिहास को जाने बिना इसे अध्याय के तौर पर शामिल किया गया। इसलिए अध्याय की सामग्री सच नहीं है। उन्हें महिमामंडित किया गया है।'

सत्ता में आने के फौरन बाद बीजेपी सरकार ने जुलाई में टीपू सुल्तान की जयंती के कार्यक्रम को रद्द कर दिया। इस वार्षिक कार्यक्रम का पार्टी 2015 से विरोध कर रही है। कांग्रेस शासन में इसकी शुरुआत की गई थी। बीजेप और दक्षिणपंथी संगठन टीपू सुल्तान का विरोध करते हैं और इसे मैसूर के भूतपूर्व बादशाह को ‘धार्मिक कट्टर’ बताते हैं। टीपू सुल्तान को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का दुश्मन माना जाता था। मई 1799 में ब्रिटिश फौज से श्रीरंगगपटना का किला बचाने के दौरान उनकी मौत हो गई थी। बहरहाल, कई इतिहासकारों का मानना है कि टीपू सुल्तान धर्मनिरपेक्ष और आधुनिक शासक थे जिन्होंने ब्रिटिश ताकत का मुकाबला किया था।

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