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तमिल इकलौती नस्ल जिसने भाषा के लिए दिया अपना जीवन... 1960 के हिंदी विरोधी आंदोलन का जिक्र कर बोले स्टालिन

MK Stalin News: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 1960 के दशक के हिंदी विरोधी आंदोलन पर बयान दिया है। स्टालिन ने चेन्नै साहित्य महोत्सव के दौरान कहा कि भाषा किसी भी नस्ल का जीवन है।

Edited byसुधाकर सिंह | भाषा 6 Jan 2023, 6:27 pm
चेन्नै: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भाषा को किसी भी नस्ल का जीवन बताया है। चेन्नै लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान स्टालिन ने यह बयान दिया है। तमिलनाडु के सीएम ने तमिल भाषा को बढ़ाने के लिए अपनी पार्टी डीएमके की ओर से उठाए गए कदमों की भी जानकारी दी। स्टालिन ने 1960 के दशक के हिंदी-विरोधी आंदोलन के स्पष्ट संदर्भ में कहा कि तमिल एकमात्र ऐसी नस्ल थी जिसने भाषा की रक्षा के लिए अपना जीवन दिया।
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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने 1960 के हिंदी विरोधी आंदोलन पर दिया बयान


उन्होंने अपने पिता द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) के दिवंगत अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि के 1974 में दिए गए बयान का जिक्र करते हुए स्टालिन ने कहा कि भाषा सम्मान सुनिश्चित करना अनिवार्य था। वह उद्घाटन के बाद चेन्नई साहित्य महोत्सव 2023 को संबोधित कर रहे थे।

राज्य में सत्तारुढ़ पार्टी डीएमके के प्रमुख स्टालिन ने कहा, 'यह समय की मांग है। भाषा किसी नस्ल का जीवन है। किसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि साहित्य उसका हृदय है। हमारी तमिल नस्ल ने भाषा के संरक्षण के लिए अपनी जिंदगी दी। द्रविड़ आंदोलन यद्यपि राजनीतिक था, लेकिन उसने हमेशा भाषा की सुरक्षा की।'

उन्होंने बीते वर्षों में अपनी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार की विभिन्न तमिल पहलों को याद किया। इनमें तमिलनाडु के रूप में राज्य का नामकरण, तमिल का शास्त्रीय भाषा का दर्जा सुनिश्चित करना, मद्रास का नाम चेन्नई करना, तिरुक्कुरल (जीवन के विभिन्न पहलुओं पर दोहे) को बढ़ावा देना और इसे लिखने वाले संत तिरुवल्लुवर की कन्याकुमारी में 133 फुट की मूर्ति स्थापित करना शामिल है। स्टालिन ने पढ़ने की आवश्यकता पर भी बल दिया। प्रख्यात लेखक पॉल जचारिया और बावा चेल्लादुरई समेत कई अन्य लेखकों ने भी इसमें हिस्सा लिया।
लेखक के बारे में
सुधाकर सिंह
साहिल के सुकूं से किसे इनकार है लेकिन तूफ़ान से लड़ने में मज़ा और ही कुछ है...लिखने-पढ़ने का शौक पत्रकारिता की दुनिया में खींच लाया। पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलरामपुर ज़िले से ताल्लुक़। पढ़ाई लखनऊ विश्वविद्यालय से और पत्रकारिता में ईटीवी से शुरुआत। सियासत को इतिहास और वर्तमान को अतीत के आईने में देखने की दिलोदिमाग़ में हसरत उठती रहती है। राजनैतिक-ऐतिहासिक शख़्सियतों और घटनाओं पर लिखने की ख़ास चाहत। डिजिटल दुनिया में राजस्थान पत्रिका से सफ़र का आग़ाज़ करने के बाद नवभारत टाइम्स ऑनलाइन में मंज़िल का नया पड़ाव।... और पढ़ें

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