बेंगलुरु
इंडियन स्पेस रीसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) ने बुधवार को ऐलान किया था कि चंद्रयान 2 को 9 से 16 जुलाई के बीच लॉन्च करने का प्लान है जो चांद पर सितंबर में लैंड करेगा। हालांकि, इसमें अब केवल 60 दिन बचे हैं और भारत के दूसरे लूनर मिशन चंद्रयान-2 के तीन मॉड्यूल्स में से केवल एक तैयार है। सूत्रों के मुताबिक ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर में से केवल ऑर्बिटर तैयार है जबकि बाकी दोनों को अभी बहुत से टेस्ट्स से गुजरना है। ऑर्बिटर से लिया जा रहा डेटा
गौर करने वाली बात यह है कि लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) इसरो पहली बार बना रहा है। सूत्रों के मुताबिक, 'ऑर्बिटर ने मिशन ऑपरेशन रेडीनेस स्टेटस हासिल कर लिया है लेकिन रोवर और लैंडर वहां तक नहीं पहुंचे हैं। प्रज्ञान में इस्तेमाल होने वाले इंस्ट्रूमेंट्स को इसरो स्पेसक्राफ्ट इंटिग्रेशन टेस्ट इस्टैबलिशमेंट की लूनर टेरेन टेस्ट फसिलटी में टेस्ट किया जा रहा है। इनसे डेटा लिया जा रहा है।'
विक्रम बनाने में लग रहा समय
प्रज्ञान पर भी काम धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है लकिन विक्रम लेकर इसरो में थोड़ी परेशानी है। उसका डिजाइन कई बार बदला जा चुका है। अप्रैल में भी उसका एक मॉडल ड्रॉप टेस्ट में खराब हो गया था। उसका डिजाइन अब पूरा हो चुका है और अब उस पर टेस्ट किए जाने हैं। उस मॉडल को बयालू में शिफ्ट कर दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक लैंडिंग टर्मिनल डीटेल्ट टेस्ट को सोमवार से शुरू होकर एक हफ्ते तक चलेगा।
विक्रम को कुछ मीटर की ऊंचाई पर ही टेस्ट किया जाएगा। उसकी वेलॉसिटी और फोर्स को टेस्ट किया जाएगा। इसरो के चेयरमैन सिवान के ने बताया था कि जून के पहले हफ्ते में मिशन के बारे में ज्यादा जानकारी दी जाएगी।
इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ें।
इंडियन स्पेस रीसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) ने बुधवार को ऐलान किया था कि चंद्रयान 2 को 9 से 16 जुलाई के बीच लॉन्च करने का प्लान है जो चांद पर सितंबर में लैंड करेगा। हालांकि, इसमें अब केवल 60 दिन बचे हैं और भारत के दूसरे लूनर मिशन चंद्रयान-2 के तीन मॉड्यूल्स में से केवल एक तैयार है। सूत्रों के मुताबिक ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर में से केवल ऑर्बिटर तैयार है जबकि बाकी दोनों को अभी बहुत से टेस्ट्स से गुजरना है।
गौर करने वाली बात यह है कि लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) इसरो पहली बार बना रहा है। सूत्रों के मुताबिक, 'ऑर्बिटर ने मिशन ऑपरेशन रेडीनेस स्टेटस हासिल कर लिया है लेकिन रोवर और लैंडर वहां तक नहीं पहुंचे हैं। प्रज्ञान में इस्तेमाल होने वाले इंस्ट्रूमेंट्स को इसरो स्पेसक्राफ्ट इंटिग्रेशन टेस्ट इस्टैबलिशमेंट की लूनर टेरेन टेस्ट फसिलटी में टेस्ट किया जा रहा है। इनसे डेटा लिया जा रहा है।'
विक्रम बनाने में लग रहा समय
प्रज्ञान पर भी काम धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है लकिन विक्रम लेकर इसरो में थोड़ी परेशानी है। उसका डिजाइन कई बार बदला जा चुका है। अप्रैल में भी उसका एक मॉडल ड्रॉप टेस्ट में खराब हो गया था। उसका डिजाइन अब पूरा हो चुका है और अब उस पर टेस्ट किए जाने हैं। उस मॉडल को बयालू में शिफ्ट कर दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक लैंडिंग टर्मिनल डीटेल्ट टेस्ट को सोमवार से शुरू होकर एक हफ्ते तक चलेगा।
विक्रम को कुछ मीटर की ऊंचाई पर ही टेस्ट किया जाएगा। उसकी वेलॉसिटी और फोर्स को टेस्ट किया जाएगा। इसरो के चेयरमैन सिवान के ने बताया था कि जून के पहले हफ्ते में मिशन के बारे में ज्यादा जानकारी दी जाएगी।
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