हैदराबाद
तेलंगाना में कोरोना के संक्रमण के एक साल पूरे गए। 2 मार्च को यहां कोरोना का पहला केस सामने आया था। कई लोगों की जान गई तो कुछ उबरकर वापस कमबैक किया। इनमें हैदराबाद के उपनगर कोंडापुर स्थित एक ओल्ड ऐज होम के कोरोना के जंग की कहानी किसी चमत्कार से कम नहीं है। एक समय था जब इस ओल्ड ऐज होम में रहने वाले 23 बुजुर्ग कोरोना से संक्रमित हो गए थे। देश में उस वक्त कोरोना अपने चरम पर था और इन संक्रमित बुजुर्गों के लिए जीवन और मौत का विषय बन गया था। संक्रमित मरीजों की उम्र 65 से 104 साल के बीच थी। लेकिन आज एक साल बीतने के बाद सभी अब वापस अपनी नॉर्मल लाइफ जी रहे हैं। सीआर फाउंडेशन होम के केयरटेकर डॉ. के रजनी ने बताया, 'सिर्फ 104 साल के परुचुरु रामास्वामी को छोड़कर जिनकी इसी साल 6 फरवरी को मृत्यु हो गई थी, बाकी सभी अब फिट हैं।'
पिता के साथ बेटी भी रही ओल्ड ऐज होम में
ओल्ड ऐज होम में सबसे ज्यादा दिल को छू लेने वाली कहानी रामास्वामी और उनकी 67 साल की बेटी जमुना की है। रामास्वामी के ओल्ड ऐज होम में आने के बाद उनकी बेटी जमुना भी उनके पीछे-पीछे वहां आ गई ताकि उनका ध्यान रख सकें। रामास्वामी उन लोगों में से थे जिन्हें सबसे पहले संक्रमण हुआ था और फिर जमुना को भी कोरोना हो गया। दोनों इससे ठीक भी हो गए लेकिन इसी साल 6 फरवरी को हल्की बीमारी के बाद रामास्वामी ने दम तोड़ दिया।
प्रेरणा देती है इन बुजुर्गों की कहानी
जमुना बताती हैं, 'मेरे पिता काफी स्ट्रॉन्ग थे। मौत से कुछ दिन पहले उन्होंने अपनी पोती से बात की थी। आखिरी सांस तक वह आशावादी रहे।' तेलंगाना में 61 से अधिक उम्र के 11,686 लोग कोरोना से संक्रमित पाए गए थे लेकिन इन 23 बुजुर्गों की कोरोना से लड़ने की कहानी प्रेरणा देती है। यहां रहने वाले 94 साल के एक बुजुर्ग ने बताया, 'जीवन महान है। कोविड से जंग की मेरी कहानी कई दिल छू लेने वाली कहानियों में से एक है।'
तेलंगाना में कोरोना के संक्रमण के एक साल पूरे गए। 2 मार्च को यहां कोरोना का पहला केस सामने आया था। कई लोगों की जान गई तो कुछ उबरकर वापस कमबैक किया। इनमें हैदराबाद के उपनगर कोंडापुर स्थित एक ओल्ड ऐज होम के कोरोना के जंग की कहानी किसी चमत्कार से कम नहीं है। एक समय था जब इस ओल्ड ऐज होम में रहने वाले 23 बुजुर्ग कोरोना से संक्रमित हो गए थे।
पिता के साथ बेटी भी रही ओल्ड ऐज होम में
ओल्ड ऐज होम में सबसे ज्यादा दिल को छू लेने वाली कहानी रामास्वामी और उनकी 67 साल की बेटी जमुना की है। रामास्वामी के ओल्ड ऐज होम में आने के बाद उनकी बेटी जमुना भी उनके पीछे-पीछे वहां आ गई ताकि उनका ध्यान रख सकें। रामास्वामी उन लोगों में से थे जिन्हें सबसे पहले संक्रमण हुआ था और फिर जमुना को भी कोरोना हो गया। दोनों इससे ठीक भी हो गए लेकिन इसी साल 6 फरवरी को हल्की बीमारी के बाद रामास्वामी ने दम तोड़ दिया।
प्रेरणा देती है इन बुजुर्गों की कहानी
जमुना बताती हैं, 'मेरे पिता काफी स्ट्रॉन्ग थे। मौत से कुछ दिन पहले उन्होंने अपनी पोती से बात की थी। आखिरी सांस तक वह आशावादी रहे।' तेलंगाना में 61 से अधिक उम्र के 11,686 लोग कोरोना से संक्रमित पाए गए थे लेकिन इन 23 बुजुर्गों की कोरोना से लड़ने की कहानी प्रेरणा देती है। यहां रहने वाले 94 साल के एक बुजुर्ग ने बताया, 'जीवन महान है। कोविड से जंग की मेरी कहानी कई दिल छू लेने वाली कहानियों में से एक है।'