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डॉनल्ड ट्रंप: ताजमहल तैयार, 389 साल में पहली बार 'शाहजहां-मुमताज' की मड पैक थेरेपी

दोनों के कब्र में दफन होने के बाद 389 साल में ऐसा पहली बार हो रहा है। मुमताज महल को 1631 और शाहजहां को 1666 में ताजमहल के अंदर दफनाया गया था। कब्र के प्रतिरूप को साफ-सुथरा दिखाने के लिए क्ले पैक मड थेरेपी की जा रही है।

नवभारतटाइम्स.कॉम 22 Feb 2020, 9:51 am

हाइलाइट्स

  • डॉनल्ड ट्रंप के आगरा दौरे से पहले ताजमहल में तैयारियां अंतिम दौर में
  • पत्नी मेलानिया के साथ 17वीं सदी के इस स्मारक को देखने आ रहे हैं ट्रंप
  • 389 साल में पहली बार शाहजहां-मुमताज के रेप्लिका कब्र की मड थेरेपी
  • दोनों की असली कब्र तहखाने के अंदर मौजूद, साल में सिर्फ 3 दिन खुलती है

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नवभारतटाइम्स.कॉम TAJMAHAL SHAH JAHAN MUMTAZ
शाहजहां-मुमताज के कब्र की रेप्लिका
अनुजा जायसवाल, आगरा
ताजमहल यानी मोहब्बत की अमर निशानी, एक ऐसा स्मारक जहां आने के लिए दुनिया के कोने-कोने से लोग बेताब रहते हैं। दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप भी इसके आकर्षण से अछूते नहीं हैं। 24 फरवरी को वह 17वीं सदी के इस स्मारक को देखने ताजनगरी आगरा पहुंच रहे हैं। खास बात यह है कि उनके आने से पहले शाहजहां और मुमताज के कब्र के रेप्लिका (प्रतिरूप) की मड पैक थेरेपी की जा रही है।
दोनों के कब्र में दफन होने के बाद 389 साल में ऐसा पहली बार हो रहा है। मुमताज महल को 1631 और शाहजहां को 1666 में ताजमहल के अंदर दफनाया गया था। कब्र के प्रतिरूप को साफ-सुथरा दिखाने के लिए क्ले पैक मड थेरेपी की जा रही है। शाही जोड़े की असली कब्र उनकी संगमरमर की प्रतिकृति के मुकाबले ज्यादा सादगी से बनाई गई थी। तहखाने के अंदर यह एक चैंबर में मौजूद है।

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शाहजहां और मुमताज की असली कब्र साल में केवल तीन बार आम लोगों के देखने के लिए खोली जाती है। शाहजहां के सालाना उर्स में जो लोग आते हैं वही लोग इसे देख पाते हैं। 22 सीढ़ियां उतरने के बाद काफी संकराई में ये कब्र स्थित है। अब तक किसी भी विदेशी मेहमान या राष्ट्राध्यक्ष ने इसे देखने की इच्छा जाहिर नहीं की है।

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भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की साइंस ब्रांच के पुरातत्वविद एमके भटनागर ने कब्रों के प्रतिकृति की थेरेपी किए जाने की पुष्टि की है। उनका कहना है कि पिछले हफ्ते कब्र पर मड पैक ट्रीटमेंट की शुरुआत की गई थी और यह अंतिम दौर में है।

भारतीय महिलाओं में क्ले पैक ट्रीटमेंट काफी प्रचलित है और इसके जरिए पारंपरिक रूप से चेहरे के प्राकृतिक निखार को वापस लौटाया जाता है। एक अधिकारी ने बताया, 'चूने की बहुतायत वाली चिकनी मिट्टी (क्ले) की मोटी परत का प्रभावित हिस्से में लेपन किया जाता है और उसे सूखने के लिए छोड़ देते हैं।'

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