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Agra University: एक साल से स्थायी कुलपति नहीं होने से बिगड़ा आगरा विश्वविद्यालय का 'गणित'

एक जुलाई को डॉ. आंबेडकर विश्वविद्यालय ने अपना 96वां स्थापना दिवस मनाया है। मगर विश्वविद्यालय की प्रशासनिक व्यवस्था चरमराई हुई है। स्थायी कुलपति नहीं होने के चलते छात्रों को काफी नुकसान हो रहा है। इसके अलावा पिछले कई कुलपतियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं, जिससे विश्वविद्यालय को लगातार वित्तीय घाटा भी हुआ है। हाल ही में एक पूर्व कुलपति पर घूस लेने का मुकदमा भी दायर हुआ है।

guest Sunil-kumar | Lipi 2 Jul 2022, 6:49 pm
आगरा: डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय को भगवान भरोसे छोड़ दिया है। ना तो यहां छात्र के हितों में कार्य हो रहे हैं और ना ही यहां के कर्मचारी संतुष्टी से काम कर रहे हैं। आलम यह है कि आगरा विश्वविद्यालय को एक साल से कोई स्थायी कुलपति नहीं मिल पा रहा है। यही वजह है कि साल भर में सिर्फ एक ही सेमेस्टर की परीक्षाएं पूर्ण हो सकी हैं। जबकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार शैक्षणिक कैलेंडर भी लागू नहीं हो सका है। आलम यह है कि छात्र अपनी डिग्रियों और मार्कशीटों के लिए विश्वविद्यालय में भटकते रहते हैं।
नवभारतटाइम्स.कॉम agra news स्थायी कुलपति के अभाव में बिगड़ा आगरा विश्वविद्यालय का ढर्रा, पेपर लीक से लेकर वित्तीय घाटे तक जानिए क्या है वर्तमान स्थिति
फाइल फोटो


फरवरी 2020 में डॉ. आंबेडकर विश्वविद्यालय को स्थायी कुलपति के तौर पर प्रो. अशोक मित्तल नियुक्ति हुई थी। प्रो. मित्तल अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से आए थे। एक साल के भीतर ही उनके ऊपर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोप लग गए और पांच जुलाई को उन्हेंं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के निर्देशों पर विश्वविद्यालय से हटा दिया गया। इसके बाद लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय को आगरा विश्वविद्यालय का प्रभार दे दिया गया, वे कभी कभार ही विश्वविद्यालय आते थे।

जनवरी 2022 से कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक विश्वविद्यालय का प्रभार देख रहे हैं। प्रो. पाठक भी विश्वविद्यालय को समय नहीं दे पा रहे हैं। इसका नतीजा यह है कि मुख्य परीक्षाओं के पेपर भी आउट हुए हैं। तमाम कोर्स बंद हो चुके हैं। छात्र हित में निर्णय नहीं हो पा रहे हैं।

मुख्य परीक्षाओं के पेपर लगातार हुए लीक
बिना स्थायी कुलपति के विश्वविद्यालय का ढर्रा बिगड़ गया है। मई के महीने में मुख्य परीक्षाओं के पेपर लगातार लीक हुए थे। बीएससी थर्ड ईयर के मैथ और जूलॉजी के दोनों पेपर परीक्षार्थियों के मोबाइल पर 40 मिनट पहले ही आ गए थे। ये पेपर 200 रुपये में आगरा कालेज के बाहर ही बेचे गए थे। पुलिस व प्रशासन की सख्ती के बावजूद भी तीन दिन बाद फिर से बीएससी सेकेंड ईयर का रसायन विज्ञान का पेपर आउट हो गया। इन हालातों में विश्वविद्यालय की साख पर बट्टा लगा हुआ है।

वित्तीय घाटा झेल रहा है विश्वविद्यालय
डा. आंबेडकर विश्वविद्यालय ने एक जुलाई को अपना 96वां स्थापना दिवस मनाया है। आंबेडकर विश्वविद्यालय एससी/एसटी एसोसिएशन कर्मचारी संघ के महासचिव डॉ. आनंद टाइटलर का कहना है कि विश्वविद्यालय को लगातार वित्तीय घाटा पहुंचाया जा रहा है। सिक्योरिटी के नाम पर हर महीने 34 से 38 लाख रुपये का भुगतान किया जाता है। इसके अलावा इतिहास विभाग, टूरिज्म, दीनदयाल आदि कई ऐसी संस्थान विश्वविद्यालय मेें संचालित हैं जहां छात्रों की संख्या उंगलियों पर गिनी जा सकती हैं जबकि शिक्षकों वेतन अधिक देना पड़ता है। विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी प्रो. प्रदीप श्रीधर के बताया कि विश्वविद्यालय में 135 व्यवसायिक पाठ्यक्रमों को मंजूरी दी गई है। 900 विद्यार्थियों को कैंपस प्लेसमेंट दिया गया है। शिक्षकों और कर्मचारियों को नियमित किया गया है।
रिपोर्ट- सुनील साकेत
लेखक के बारे में
योगेश भदौरिया
टीवी जर्नलिज्म से शुरुआत के बाद बीते 8 साल से डिजिटल मीडिया में हैं। राजनीति के अलावा टेक और ऑटो सेक्शन की खबरों में दिलचस्पी। NDTV इंडिया से सफर की शुरुआत के बाद न्यूज नेशन होते हुए अब NBT ऑनलाइन पहुंचे। वक्त मिलने पर नई टेक्नोलॉजी के बारे में जानना। घुमक्कड़ और जिज्ञासू। खाली टाइम में प्ले स्टेशन पर गेमिंग के अलावा बाइकिंग और ड्राइविंग लवर।... और पढ़ें

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