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यूपी: प्राइवेट प्रैक्टिस करने वालों पर कसेगी लगाम, हाई कोर्ट ने दिए निर्देश

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रदेश की खस्ताहाल चिकित्सा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए डॉक्टरों और स्टाफ के खाली पदों को जल्द से जल्द भरने का निर्देश दिया है।

नवभारत टाइम्स 10 Mar 2018, 12:13 am
इलाहाबाद
नवभारतटाइम्स.कॉम doctors
सांकेतिक तस्वीर

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रदेश की खस्ताहाल चिकित्सा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए डॉक्टरों और स्टाफ के खाली पदों को जल्द से जल्द भरने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने अस्पतालों की कैग (कंप्ट्रोलर ऐंड ऑडिटर जनरल) से ऑडिट कराने और सरकारी डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगाने के लिए प्रत्येक जिले में विजिलेंस टीम गठित करने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने सरकारी अधिकारियों को प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराने पर सख्त रवैया अपनाते हुए कहा है कि ऐसे अधिकारी, कर्मचारी जो सरकारी अस्पताल की बजाए प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराएं उन्हें इलाज खर्च की सरकारी खजाने से भरपाई ना की जाए। कोर्ट ने सभी सरकारी अस्पतालों की ऑडिट 1 वर्ष के भीतर पूरे करने का आदेश दिया है। यह आदेश जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस अजित कुमार की खंडपीठ ने इलाहाबाद की स्नेहलता सिंह व अन्य की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।

कोर्ट ने मुख्य सचिव को निर्देशों का पालन सुनिश्चित कराने तथा कार्रवाई रिपोर्ट 25 सितम्बर 2018 को पेश करने का निर्देश दिया है। इसके इतर कोर्ट ने इलाहाबाद के मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के ट्रॉमा सेंटर के हालात पर भी रिपोर्ट मांगी है।

यही नहीं, कोर्ट ने राज्य सरकार को सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों व स्टॉफ के खाली पदों में से 50 फीसदी पद चार माह में तथा शेष अगले तीन माह में भरने का निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने हर स्तर के सरकारी अस्पतालों में गुणवत्तापूर्ण दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने का भी आदेश दिया। कोर्ट ने कैग को सरकारी अस्पतालों व मेडिकल केयर सेंटर्स का ऑडिट दो माह में पूरी करने को कहा है।

हाई कोर्ट ने झूठा हलफनामा दाखिल करने पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं शिक्षा रजनीश दुबे, मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज इलाहाबाद के प्राचार्य डॉ. एस.पी. सिंह को कारण बताओ नोटिस जारी की है। कोर्ट ने पूछा है कि क्यों ना उनके खिलाफ दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 340 के तहत आपराधिक मुकदमा कायम किया जाए।

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