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पशुओं को खुला छोड़ने की प्रथा का हल निकाले सरकार: हाई कोर्ट

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बुन्देलखण्ड में दूध निकाल कर गायों को छोडने की अन्‍ना प्रथा का हल निकालने का राज्य सरकार को निर्देश दिया है।

नवभारत टाइम्स 19 Dec 2019, 9:39 pm
प्रयागराज
नवभारतटाइम्स.कॉम allahabad high court
इलाहाबाद हाई कोर्ट (फाइल फोटो)

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने झांसी, चित्रकूट धाम, बुंदेलखंड क्षेत्र में जारी अन्‍ना प्रथा का हल निकालने का निर्देश दिया है। लोगों द्वारा दूध निकालने के बाद पशुओं को खुला छोड़ने को अन्‍ना प्रथा कहा जाता है। कोर्ट ने कहा है कि, राज्य सरकार की पशुओं के संरक्षण के लिए की गई कार्रवाई केवल कागजी लगती है। कोई भी जमीनी प्रयास दिखाई नहीं दे रहा है।

कोर्ट ने झांसी मंडल व चित्रकूट धाम के आयुक्त को गो संरक्षण योजनाओं पर अमल करने का निर्देश दिया है। यह आदेश चीफ जस्टिस गोविंद माथुर तथा जस्टिस विवेक वर्मा की खंडपीठ ने बुंदेलखंड किसान यूनियन की तरफ से दाखिल जनहित याचिका पर दिया है। याचिका पर अगली सुनवाई 3 जनवरी को होगी।

फसलों को नुकसान से किसान परेशान

याचिका में कहा गया है कि, बुंदेलखंड में आवारा पशुओं द्वारा फसलों को नुकसान पहुंचने से किसान परेशान हैं। सड़कों पर आवारा पशुओं से दुर्घटनाएं हो रही हैं और प्रशासन बुंदेलखंड क्षेत्र में इस समस्या का समाधान करने के संबंध में कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। किसान फसल नष्ट होने से दुखी होकर आत्महत्या कर रहे हैं।

कान्‍हा पशु आश्रय योजना लागू करने की मांग
याचिका में राज्य सरकार को गोवंश की सुरक्षा के इंतजाम करने की मांग की गयी है। साथ ही शहरी क्षेत्रों में कान्हा पशु आश्रय योजना को लागू करने की मांग की है। हालांकि, राज्य सरकार की तरफ से बताया गया इस संबंध में 11लाख रुपये मंजूर किए गए हैं। प्रदेश में जानवरों के 46 स्थायी आश्रय स्थल शहरी क्षेत्र में बनाए जाने हैं। सरकार शहरों में अवैध रूप से चल रहे डेरी को शहर से बाहर शिफ्ट करने की योजना भी लागू कर रही है।

68 जिलों में वृहद गो-संरक्षण केंद्र योजना
16 अक्टूबर 2018 को वृहद गो-संरक्षण केंद्र योजना 68 जिलों में शुरू किए जाने का निर्णय लिया गया है। बुंदेलखंड के 7 जिलों में हर जिले में 120 लाख रुपये इसके लिए मंजूर किए गए हैं। 3400 लाख रुपये बृहद गौ संरक्षण केंद्र की स्थापना के लिए मंजूर हुए हैं। जिसमें कुल 8160 लाख का खर्चे का अनुमान है। 150 लाख रुपये बुंदेलखंड के हर जिले के लिए अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल बनाने के लिए भी मंजूरी दी गई है।

प्रदेश के 68 जिलों में गो-संरक्षण केंद्र की स्थापना के लिए 8160 लाख रुपए की मंजूरी दी गई है। इसका नाम माननीय मुख्यमंत्री निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना दिया गया है। जिसमें जानवरों को रखा जाएगा। प्रति जानवर 30 प्रतिदिन खुराक के रूप में तय किया गया है। कोर्ट ने बुन्देलखंड में जारी अन्ना प्रथा का प्रभावी निदान खोजने का राज सरकार को आदेश दिया है और हलफनामा मांगा है।

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