विकास पाठक, वाराणसी
काशी नगरी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर गुरुवार की शाम सुरों की अस्त साधिका पद्मविभूषण गिरिजा देवी को संगीत जगत, प्रशंसकों और काशीवासियों ने आंसुओं का श्रद्धांजलि अर्ध्य देकर विदा किया। इससे पहले गुरु स्मृति शेष श्रीचंद मिश्र के आवास से लेकर कबीरचौरा और चौक की जिन गलियों में उन्होंने सुर-लय-ताल को साधा, उनके सामने से अंतिम यात्रा गुजरी। महाश्मशान में विष्णु चरण पादुका पर 11 मन लकड़ी-चंदन से सजी चिता में नाती अरिंदम दत्ता ने मुखाग्नि दी। पुलिस की टुकड़ी ने शस्त्र उल्टे कर सलामी दी और शोक धुन बजाई। चिता की दहकती अग्नि में उनका पार्थिव शरीर विलीन हो गया।
'ठुमरी क्वीन' के नाम से मशहूर गिरिजा देवी का पार्थिव शरीर गुरुवार की दोपहर जेट एयरवेज के विमान से बाबतपुर एयरपोर्ट पहुंचा। एयरपोर्ट पर पद्मश्री मालिनी अवस्थी, विधायक अवधेश सिंह और सौरभ श्रीवास्तव, कमिश्नर नितिन रमेश गोकर्ण, डीएम योगेश्वर राम मिश्र, आईजी दीपक रतन समेत तमाम अधिकारियों, परिजनों और जयपुरिया स्कूल के बच्चों ने नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके बाद फूलों से सजी गाड़ी में उनका शव रखकर नाटी इमली के संजय गांधी नगर कॉलोनी स्थित उनके आवास पर लाया गया। घर के सामने जिस देवी वाटिका (पार्क) का अप्पा जी ने बीते साल लोकार्पण किया था, वहां शीशे के फ्रीजर युक्त ताबूत में पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया।
ठुमरी साम्राज्ञी के आने की सूचना मात्र से चहक उठने वाले नाटी इमली इलाके में सन्नाटे की चादर और हर चेहरे पर दुख के बादल थे। श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए सूबे की सरकार की ओर से मंत्री नीलकंठ तिवारी से लेकर राजनेता, साहित्यकार, संगीत प्रेमी समेत पूरी काशी उमड़ पड़ी। चेहरे पर गम और नम आंखों के बीच लोग अप्पा जी के साथ बिताये पलों को याद करते रहे। यहीं से शाम को अंतिम यात्रा शुरू होकर संगीत तीर्थ कबीरचौरा, मैदागिन, चौक होते हुए मणिकर्णिका घाट पहुंची। प्रख्यात गायिका मालिनी अवस्थी ने 'बाबुल नैहर छूटो जाए' गीत से तो बाहर से आई 5 शिष्याओं ने उनकी बंदिशें गाकर अंतिम विदाई दी।
जल देने से रोका
अंतिम संस्कार से पहले उनके शव को गंगा में स्नान कराया गया। परिजनों और प्रियजनों ने उन्हें जलांजलि दी। परिवार की महिला सदस्यों और शिष्याओं ने भी गिरिजा देवी को घाट पर जल देना चाहा, लेकिन सनातनी नियमों के चलते उन्हें ऐसा करने से रोकना पड़ा। इस पर बेटी सुधा दत्ता, शिष्या मालिनी अवस्थी समेत परिवार की महिला सदस्य फफक कर रो पड़ीं। स्नान और जलांजलि के बाद उनका शव चिता पर रखा गया।
गौरतलब है कि सुरों की मलिका गिरिजा देवी का निधन मंगलवार की रात कोलकाता के बीएम बिड़ला नर्सिंग होम में दिल का दौरा पड़ने से हो गया था। बुधवार को कोलकाता की आईटीसी संगीत रिसर्च अकादमी में उनके अंतिम दर्शन के लिए लोग बड़ी संख्या में पहुंचे थे।
काशी नगरी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर गुरुवार की शाम सुरों की अस्त साधिका पद्मविभूषण गिरिजा देवी को संगीत जगत, प्रशंसकों और काशीवासियों ने आंसुओं का श्रद्धांजलि अर्ध्य देकर विदा किया। इससे पहले गुरु स्मृति शेष श्रीचंद मिश्र के आवास से लेकर कबीरचौरा और चौक की जिन गलियों में उन्होंने सुर-लय-ताल को साधा, उनके सामने से अंतिम यात्रा गुजरी। महाश्मशान में विष्णु चरण पादुका पर 11 मन लकड़ी-चंदन से सजी चिता में नाती अरिंदम दत्ता ने मुखाग्नि दी। पुलिस की टुकड़ी ने शस्त्र उल्टे कर सलामी दी और शोक धुन बजाई। चिता की दहकती अग्नि में उनका पार्थिव शरीर विलीन हो गया।
'ठुमरी क्वीन' के नाम से मशहूर गिरिजा देवी का पार्थिव शरीर गुरुवार की दोपहर जेट एयरवेज के विमान से बाबतपुर एयरपोर्ट पहुंचा। एयरपोर्ट पर पद्मश्री मालिनी अवस्थी, विधायक अवधेश सिंह और सौरभ श्रीवास्तव, कमिश्नर नितिन रमेश गोकर्ण, डीएम योगेश्वर राम मिश्र, आईजी दीपक रतन समेत तमाम अधिकारियों, परिजनों और जयपुरिया स्कूल के बच्चों ने नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके बाद फूलों से सजी गाड़ी में उनका शव रखकर नाटी इमली के संजय गांधी नगर कॉलोनी स्थित उनके आवास पर लाया गया। घर के सामने जिस देवी वाटिका (पार्क) का अप्पा जी ने बीते साल लोकार्पण किया था, वहां शीशे के फ्रीजर युक्त ताबूत में पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया।
ठुमरी साम्राज्ञी के आने की सूचना मात्र से चहक उठने वाले नाटी इमली इलाके में सन्नाटे की चादर और हर चेहरे पर दुख के बादल थे। श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए सूबे की सरकार की ओर से मंत्री नीलकंठ तिवारी से लेकर राजनेता, साहित्यकार, संगीत प्रेमी समेत पूरी काशी उमड़ पड़ी। चेहरे पर गम और नम आंखों के बीच लोग अप्पा जी के साथ बिताये पलों को याद करते रहे। यहीं से शाम को अंतिम यात्रा शुरू होकर संगीत तीर्थ कबीरचौरा, मैदागिन, चौक होते हुए मणिकर्णिका घाट पहुंची। प्रख्यात गायिका मालिनी अवस्थी ने 'बाबुल नैहर छूटो जाए' गीत से तो बाहर से आई 5 शिष्याओं ने उनकी बंदिशें गाकर अंतिम विदाई दी।
जल देने से रोका
अंतिम संस्कार से पहले उनके शव को गंगा में स्नान कराया गया। परिजनों और प्रियजनों ने उन्हें जलांजलि दी। परिवार की महिला सदस्यों और शिष्याओं ने भी गिरिजा देवी को घाट पर जल देना चाहा, लेकिन सनातनी नियमों के चलते उन्हें ऐसा करने से रोकना पड़ा। इस पर बेटी सुधा दत्ता, शिष्या मालिनी अवस्थी समेत परिवार की महिला सदस्य फफक कर रो पड़ीं। स्नान और जलांजलि के बाद उनका शव चिता पर रखा गया।
गौरतलब है कि सुरों की मलिका गिरिजा देवी का निधन मंगलवार की रात कोलकाता के बीएम बिड़ला नर्सिंग होम में दिल का दौरा पड़ने से हो गया था। बुधवार को कोलकाता की आईटीसी संगीत रिसर्च अकादमी में उनके अंतिम दर्शन के लिए लोग बड़ी संख्या में पहुंचे थे।