अरशद अफजल खान, अयोध्या
राम मंदिर निर्माण के लिए पिछले 44 दिनों से चल रहे राम मंदिर निधि समर्पण अभियान में 2100 करोड़ रुपये का चंदा इकट्ठा हुआ है। शनिवार को इसका आखिरी दिन था। इसकी शुरुआत 15 जनवरी को की गई थी। इस अभियान के शुरू के समय 1100 करोड़ रुपये जुटाने का अनुमान था। लेकिन जनता की अभूतपूर्व भागीदारी की वजह से लगभग 1000 करोड़ रुपये ज्यादा आ गए। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि का कहना था, 'सभी वर्गों के लोगों ने बढ़चढ़कर इसमें भाग लिया। विशेषकर धर्म दीवार को अनदेखा करके दूरदराज के गांवों से खूब चंदा आया।'
शनिवार तक आए 2100 करोड़
उन्होंने बताया, 'शनिवार शाम तक कुल चंदा 2100 करोड़ की राशि पार कर गया। पिछले साल दिसंबर में अंदाजा लगाया गया था कि मंदिर बनने में 300-400 करोड़ और पूरे मंदिर परिसर को बनाने में 1100 करोड़ का खर्च आएगा।' हालांकि ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्रा का कहना था कि अभी मंदिर परिसर के निर्माण का बजट फाइनल नहीं हआ है। निर्माण कार्य पूरा होने पर ही इसकी सही जानकारी हो पाएगी।
संतों ने किया आगाह
शनिवार को अयोध्या के संतों ने ट्रस्ट को सुझाव दिया था कि अधिशेष पैसे से अयोध्या का विकास किया जाए। उन्होंने आगाह किया कि करोड़ों राम भक्तों ने जो पैसा दान किया है उसका दुरुपयोग न होने पाए।
संस्कृत विश्वविद्यालय का सुझाव
तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने कहा, ‘ट्रस्ट को माता सीता के नाम पर अयोध्या में संस्कृत विश्वविद्यालय स्थापित करने और मंदिर शहर में दूध की मुफ्त आपूर्ति के लिए एक गौशाला स्थापित करने के लिए अतिरिक्त धन का उपयोग करना चाहिए।’
'पुराने मंदिरों को पुनर्जीवित किया जाए'निमोर्ही अखाड़े के महंत धनेन्द्र दास ने कहा, ‘भगवान राम के नाम पर करोड़ों भारतीयों ने धन का दान किया है और अतिरिक्त धन का उपयोग अयोध्या और उसके मंदिरों के कल्याण के लिए किया जाना चाहिए।’ हनुमान गढ़ी मंदिर के पुजारी, महंत राजू दास ने कहा कि धन का इस्तेमाल अयोध्या में पुराने मंदिरों को पुनर्जीवित करने के लिए किया जा सकता है।
राम मंदिर निर्माण के लिए पिछले 44 दिनों से चल रहे राम मंदिर निधि समर्पण अभियान में 2100 करोड़ रुपये का चंदा इकट्ठा हुआ है। शनिवार को इसका आखिरी दिन था। इसकी शुरुआत 15 जनवरी को की गई थी।
शनिवार तक आए 2100 करोड़
उन्होंने बताया, 'शनिवार शाम तक कुल चंदा 2100 करोड़ की राशि पार कर गया। पिछले साल दिसंबर में अंदाजा लगाया गया था कि मंदिर बनने में 300-400 करोड़ और पूरे मंदिर परिसर को बनाने में 1100 करोड़ का खर्च आएगा।' हालांकि ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्रा का कहना था कि अभी मंदिर परिसर के निर्माण का बजट फाइनल नहीं हआ है। निर्माण कार्य पूरा होने पर ही इसकी सही जानकारी हो पाएगी।
संतों ने किया आगाह
शनिवार को अयोध्या के संतों ने ट्रस्ट को सुझाव दिया था कि अधिशेष पैसे से अयोध्या का विकास किया जाए। उन्होंने आगाह किया कि करोड़ों राम भक्तों ने जो पैसा दान किया है उसका दुरुपयोग न होने पाए।
संस्कृत विश्वविद्यालय का सुझाव
तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने कहा, ‘ट्रस्ट को माता सीता के नाम पर अयोध्या में संस्कृत विश्वविद्यालय स्थापित करने और मंदिर शहर में दूध की मुफ्त आपूर्ति के लिए एक गौशाला स्थापित करने के लिए अतिरिक्त धन का उपयोग करना चाहिए।’
'पुराने मंदिरों को पुनर्जीवित किया जाए'निमोर्ही अखाड़े के महंत धनेन्द्र दास ने कहा, ‘भगवान राम के नाम पर करोड़ों भारतीयों ने धन का दान किया है और अतिरिक्त धन का उपयोग अयोध्या और उसके मंदिरों के कल्याण के लिए किया जाना चाहिए।’ हनुमान गढ़ी मंदिर के पुजारी, महंत राजू दास ने कहा कि धन का इस्तेमाल अयोध्या में पुराने मंदिरों को पुनर्जीवित करने के लिए किया जा सकता है।