अयोध्या
अयोध्या के विवादित ढांचा विध्वंस के आरोपित डॉ. राम विलास वेदांती 1 जून 2020 को सीबीआई की विशेष अदालत में पेश होंगे। वेदांती ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जब विवादित स्थल को राम मंदिर मान कर फैसला सुना दिया तो सीबीआई कोर्ट में ढांचा विध्वंस का मुकदमा चलने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा कि पहले भी उस स्थल से मंदिर के पुरावशेष मिले तो बाबरी मस्जिद के पक्षकारों ने आरोप लगाया था कि वीएचपी ने इसे रखवा दिया।
उसके बाद हाई कोर्ट ने विवादित स्थल की जब खुदाई करवाई तो सारे पुरावशेष मंदिर के निकले मस्जिद का कोई चिह्न नहीं निकले। इसके आधार पर ही सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया। वेदांती ने कहा कि हम पहले से कहते आ रहें हैं कि ढ़ांचे को हमने तोड़ा लेकिन मस्जिद नहीं मंदिर के खंडहर को तोड़ा।
'भव्य भवन बनाने से पहले होती है सफाई'
वेदांती ने कहा कि हमारे हिंदू समाज में परंपरा है कि भव्य भवन के निर्माण के पहले उस स्थान पर के जर्जर भवन को गिरा कर साफ करते हैं। हमने वही किया। उन्होंने कहा जब वहां मस्जिद का अस्तित्व ही नहीं था तो उसे तोड़ने का अपराध कैसा? उन्होंने कहा कि कि साधु संतों और मंदिर समर्थकों के ऊपर साजिश के तौर पर तत्कालीन सरकार ने केस बनवाया था, जो सुप्रीम कोर्ट के राम मंदिर के पक्ष में आए फैसले के बाद समाप्त हो जाना चाहिए।
अयोध्या के विवादित ढांचा विध्वंस के आरोपित डॉ. राम विलास वेदांती 1 जून 2020 को सीबीआई की विशेष अदालत में पेश होंगे। वेदांती ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जब विवादित स्थल को राम मंदिर मान कर फैसला सुना दिया तो सीबीआई कोर्ट में ढांचा विध्वंस का मुकदमा चलने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा कि पहले भी उस स्थल से मंदिर के पुरावशेष मिले तो बाबरी मस्जिद के पक्षकारों ने आरोप लगाया था कि वीएचपी ने इसे रखवा दिया।
उसके बाद हाई कोर्ट ने विवादित स्थल की जब खुदाई करवाई तो सारे पुरावशेष मंदिर के निकले मस्जिद का कोई चिह्न नहीं निकले। इसके आधार पर ही सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया। वेदांती ने कहा कि हम पहले से कहते आ रहें हैं कि ढ़ांचे को हमने तोड़ा लेकिन मस्जिद नहीं मंदिर के खंडहर को तोड़ा।
'भव्य भवन बनाने से पहले होती है सफाई'
वेदांती ने कहा कि हमारे हिंदू समाज में परंपरा है कि भव्य भवन के निर्माण के पहले उस स्थान पर के जर्जर भवन को गिरा कर साफ करते हैं। हमने वही किया। उन्होंने कहा जब वहां मस्जिद का अस्तित्व ही नहीं था तो उसे तोड़ने का अपराध कैसा? उन्होंने कहा कि कि साधु संतों और मंदिर समर्थकों के ऊपर साजिश के तौर पर तत्कालीन सरकार ने केस बनवाया था, जो सुप्रीम कोर्ट के राम मंदिर के पक्ष में आए फैसले के बाद समाप्त हो जाना चाहिए।