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azamgarh news: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियों पर लग सकता है ब्रेक? यह है वजह

आयोग के निर्देश पर एक अक्‍टूबर को निर्वाचक नामावली के पुनरीक्षण का कार्यक्रम शुरू हुआ है। इसके तहत एक अक्टूबर से 12 नवंबर तक बीएलओ घर-घर जाकर गणना व सर्वेक्षण करेंगे। वहीं, ऑनलाइन आवेदन की तिथि एक अक्टूबर से 5 नवंबर निर्धारित की गई है। 6 नवंबर से 12 तक ऑनलाइन आवेदन की घर-घर जाकर जांच की जाएगी।

Lipi 21 Oct 2020, 4:49 pm
आजमगढ़
नवभारतटाइम्स.कॉम सांकेतिक तस्‍वीर
सांकेतिक तस्‍वीर

यूपी के आजगगढ़ में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियों पर ब्रेक लग सकता है। कारण कि पांच महीने से मानदेय न मिलने से भुखमरी की कगार पर खड़े अनुदेशक और शिक्षामित्र आंदोलन का मन बना रहे हैं। इन्‍हें ही बीएलओ का काम सौंपा गया है। हरैया के शिक्षामित्र और अनुदेशक तो बैठक कर साफ चेतावनी जारी कर दिए हैं कि अगर दशहरा से पहले उन्हें मानदेय नहीं मिला तो वे चुनाव कार्य का बहिष्कार करेंगे। यह प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है। कारण कि 29 दिसंबर को हर हाल में मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन करना है।

बता दें कि आयोग के निर्देश पर एक अक्‍टूबर को निर्वाचक नामावली के पुनरीक्षण का कार्यक्रम शुरू हुआ है। इसके तहत एक अक्टूबर से 12 नवंबर तक बीएलओ घर-घर जाकर गणना व सर्वेक्षण करेंगे। वहीं, ऑनलाइन आवेदन की तिथि एक अक्टूबर से 5 नवंबर निर्धारित की गई है। 6 नवंबर से 12 तक ऑनलाइन आवेदन की घर-घर जाकर जांच की जाएगी। इसके बाद 13 नवंबर से 5 दिसंबर तक ड्राफ्ट नामावलियों की कंप्युटरीकृत पांडुलिपि तैयार की जाएगी। 6 दिसंबर को ड्राफ्ट नामावली का प्रकाशन किया जाएगा। 6 से 12 दिसंबर तक ड्राफ्ट के रूप में प्रकाशित नामावली का निरीक्षण होगा। इस दौरान आपत्ति भी ली जाएगी। 13 से 19 दिसंबर तक आपत्ति का निस्तारण किया जाएगा। दावे आपत्ति के निस्तारण के बाद 20 से 28 दिसंबर तक पूरक सूचियों की पांडुलिपि की तैयारी और उन्हें मूल प्रति में समाहित करने का काम किया जाएगा। 29 दिसंबर, 2020 का अंतिम प्रकाशन किया जाएगा।

दशहरा से पहले मानदेय नहीं तो कार्य बहिष्‍कार
अनुदेशक और शिक्षामित्रों को ही बीएलओ बनाया गया है। अनुदेशक और शिक्षामित्रों का आरोप है कि प्रशासन उनसे चुनाव से लेकर जनगणना तक का काम लेता है, लेकिन कभी भी मानदेय के बारे में नहीं सोचता। अनुदेशक राकेश सिंह यादव, राम मिलन यादव, रामानंद और शिक्षामित्र नागेंद्र सिंह, योगेंद्र यादव, प्रमोद यादव आदि का कहना है कि वर्तमान में उनसे बीएलओ का कार्य लिया जा रहा है लेकिन पिछले पांच माह से उन्हें मानदेय नहीं मिला है। मानदेय न मिलने के कारण उनका परिवार भुखमरी की कगार पर खड़ा है। चुनाव ड्यूटी में उन्हें घर-घर जाना है। इसमें भी धन खर्च होता है, लेकिन प्रशासन का ध्यान हमारी समस्याओं की तरफ नहीं है। दशहरा के पहले अगर अनुदेशकों और शिक्षामित्रों का मानदेय भुगतान नहीं किया गया तो हम बीएलओ ड्यूटी का बहिष्कार करेंगे।

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