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मामूली जमीन से शुरू हुई थी खूनी रंजिश

32 साल पहले हुआ था विवाद, अब तक हो चुके हैं 10 मर्डर

नवभारत टाइम्स 18 Aug 2016, 3:59 am
गाजियाबाद
नवभारतटाइम्स.कॉम
मामूली जमीन से शुरू हुई थी खूनी रंजिश

बृजपाल तेवतिया पर हमला पुराने विवाद का ही नतीजा है। दरअसल, यहां के महरौली गांव में करीब 32 साल पहले जमीन के एक छोटे टुकड़े को लेकर हुए मामूली विवाद से इस रंजिश की शुरुआत हुई थी। इस विवाद के बाद गांव में दो गुट बन गए थे। एक गुट बृजपाल तेवतिया और दूसरा सुरेश दीवान के पक्ष में बना था। दोनों ही दिल्ली पुलिस में सिपाही थे इसलिए दोनों का गुट किसी से कम नहीं था। ऐसे में दोनों गुट एक दूसरे के खिलाफ अक्सर जमीन विवाद को लेकर कहासुनी करते रहते थे। बताया जाता है कि बृजपाल और सुरेश दोनों की जमीन एक दूसरे से सटी हुई थी। जिस पर कब्जे को लेकर दोनों में कई बार विवाद हुआ था। इन दोनों के बीच हुए विवाद को लेकर अब तक 10 लोगों की हत्या की जा चुकी है। मगर अभी भी इस रंजिश का अंत नहीं हुआ है।
1984 में 4 लोगों की हत्या से बढ़ा विवाद: दोनों पक्षों के बीच विवाद ने उस समय तूल पकड़ा जब 1984 में बृजपाल के नजदीकी 4 लोगों की हत्या हो गई। इस घटना के दोनों पक्षों में रंजिश और बढ़ गई। चूंकि दोनों ही दिल्ली पुलिस में सिपाही थे इसीलिए दुश्मनी तेजी से बढ़ती गई। इसके अलावा दोनों पक्षों की राजनीतिक पहुंच से भी मामला तूल पकड़ता गया। दरअसल, 1984 में बृजपाल के करीबी राजपाल, कृपाल, महिपाल और चरण सिंह की महरौली के जंगल में हत्या की गई थी। इस केस में 5 लोग जेल गए थे। हालांकि, 1991 में हाई कोर्ट से सभी आरोपी बरी हो गए थे। इसके बाद गांव में चर्चा थी कि दोनों पक्षों को गांव के कुछ प्रभावी लोगों ने समझौता करा विवाद को शांत करा दिया था। इसी बीच, बृजपाल ने दिल्ली पुलिस से त्यागपत्र दे दिया।
1995 में फिर हुआ एक मर्डर: इधर, 1995 में सुरेश दीवान के एक नजदीकी का मर्डर हो गया था। जिसमें बृजपाल के साथ रहने वालों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। 1997 में इनमें से 3 लोग धर्मपाल, उसका बेटा और एक अन्य जैसे ही डासना जेल से बाहर निकले तभी तीनों की कुछ बदमाशों ने हत्या कर दी थी। इस केस में बृजपाल से जुड़े लोगों ने सुरेश दीवान पक्ष के लोगों पर मर्डर का आरोप लगाया था। इस तरह से रंजिश बढ़ती गई और फिर 1999 में सुरेश दीवान का दिल्ली के शकरपुर एरिया में मर्डर हो गया था। हालांकि, यह मुकदमा अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज हुआ था लेकिन बृजपाल तेवतिया पर ही शक जताया गया था। इसके बाद से सुरेश दीवान का बेटा मनीष ने गुट की कमान संभाली और बृजपाल से रंजिश रखने लगा।
कुख्यात हसनपुरिया से मिलाया हाथ: पुलिस सूत्र बताते हैं कि सुरेश दीवान का भतीजा मनोज भी तेवतिया से बदला लेना चाहता था। वह मसूरी में रहने वाले कुख्यात राकेश हसनपुरिया के संपर्क में था। इसकी जानकारी बृजपाल को भी हो गई थी। उसी दौरान अप्रैल 2005 में कविनगर थाना इलाके में पुलिस मुठभेड़ में राकेश हसनपुरिया मारा गया था। इस एनकाउंटर को लेकर हसनपुरिया के परिवार के लोगों ने बृजपाल पर मुखबिरी करने का संदेह जताया था। यही कारण है कि बृजपाल पर हुए हमले के बाद पुलिस ने हसनपुरिया की पत्नी सुनीता को हिरासत में लेकर पूछताछ की थी। पुलिस को शक था कि हसनपुरिया के एनकाउंटर के लिए बृजपाल को जिम्मेदार मानने के कारण ही सुनीता ने ही कहीं यह हमला न कराया हो। हालांकि, आईजी सुजीत पांडे ने भी स्वीकार किया कि फिलहाल सुनीता के खिलाफ हमले में शामिल होने के साक्ष्य नहीं मिले हैं परंतु उन्हें अभी क्लीन चिट भी नहीं दी गई है।

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