एनबीटी न्यूज, टीएचए
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को लेटर लिखा है कि दिल्ली में चिकनगुनिया के ज्यादातर मरीज एनसीआर के हैं। इसकी वजह से यहां के अस्पतालों पर बोझ बढ़ रहा है। एनबीटी ने इस बारे में टीएचए के हॉस्पिटल्स के डॉक्टर्स और कुछ पेशंट्स से बात कर उनकी राय जानी कि आखिर वे क्यों दिल्ली का रुख करते हैं। इनमें अधिकांश पेशंट्स का कहना था कि शहर में स्वास्थ्य की मुकम्मल सुविधा नहीं होने की वजह से उन्हें दिल्ली-एनसीआर के हॉस्पिटल्स का सहारा लेना पड़ता है।
टीएचए में नहीं है एक भी सरकारी हॉस्पिटल
जिले में दोनों सरकारी हॉस्पिटल एमएमजी और कम्बाइंड हॉस्पिटल गाजियाबाद में हैं। टीएचए में कोई भी सरकारी हॉस्पिटल नहीं होने की वजह से यहां के लोगों के पास चिकनगुनिया और वायरल की इलाज के लिए दिल्ली ही एकमात्र विकल्प है, क्योंकि टीएचए दिल्ली से सटा हुआ है।
सुविधाओं की भी कमी
यहां से दिल्ली के लिए ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा भी काफी बेहतर है। इस कारण रेजिडेंट्स इलाज के लिए दिल्ली के अस्पतालों को प्राथमिकता देते हैं।
प्राइवेट हॉस्पिटल में बेड की समस्या
पिछले एक हफ्ते में टीएचए के अस्पतालों में चिकनगुनिया और वायरल फीवर के पेशंट्स की संख्या में काफी इजाफा हुआ। इसके बाद टीएचए के बड़े-बड़े अस्पतालों में पेशंट्स को बेड नहीं मिल पाए और उन्हें दिल्ली के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों का रुख करना पड़ा। बता दें कि टीएचए में गिने चुने ही प्राइवेट अस्पताल हैं। ऐसे में लोगों के पास प्राइवेट अस्पताल के अलावा कोई खास विकल्प मौजूद नहीं है।
क्या कहना है डॉक्टर्स का
अस्पताल में बेड की पूरी व्यवस्था है। यहां से किसी भी पेशंट्स को दिल्ली रेफर नहीं किया जा रहा है। लोग खुद इलाज के लिए दिल्ली के निजी और सरकारी अस्पतालों का रुख कर रहे हैं, जबकि टीएचए के अस्पतालों में भी सारी सुविधाएं हैं। -डॉ. सुनील डागर, जीएम ऑपरेशन, यशोदा अस्पताल, कौशांबी
टीएचए में लोगों की इलाजस के बेहतर विकल्प हैं। आरोग्य अस्पताल में आने वाले पेशंट्स इलाज से संतुष्ट हैं। अस्पताल में चिकनगुनिया और वायरल फीवर के पेशंट्स का बेहतर ट्रीटमेंट उपलब्ध है। -डॉ. उमेश वर्मा, डायरेक्टर, आरोग्य अस्पताल, वैशाली
परिचर्चा...
मुझे पिछले हफ्ते वायरल फीवर की शिकायत हुई थी। मैं इलाज के लिए टीएचए के एक प्राइवेट अस्पताल पहुंचा, लेकिन वहां बेड उपलब्ध नहीं था। इसके बाद मैंने दिल्ली के प्राइवेट अस्पताल का रुख किया। -विक्रम सिंह रावत, वसुंधरा
टीएचए में हेल्थ डिपार्टमेंट ने स्वास्थ्य सुविधाओं की पूरी अनदेखी की है। ऐसे में पेशंट्स दिल्ली के अस्पतालों पर निर्भर हैं। मेरा और मेरे परिवार का सारा ट्रीटमेंट दिल्ली के सरकारी अस्पताल में ही होता है। -ए.के. सेठ, शालीमार गार्डन
मुझे तीन दिनों से वायरल फीवर है। डॉक्टर ने चिकनगुनिया का अंदेशा जताया है। यहां के इलाज से मैं संतुष्ट नहीं हूं। इस कारण मैं इलाज के लिए दिल्ली के मैक्स अस्पताल का रुख कर रहा हूं। -बी.के. पांडे, इंदिरापुरम