\Bवरिष्ठ संवाददाता, गाजियाबाद \B
लोहियानगर के हिंदी भवन का मामला उठाए जाने के बाद बीजेपी नेताओं में खलबली मच गई है। बीजेपी पार्षद राजेंद्र त्यागी ने मामले को उठाया तो उनके करीबी उनकी पार्टी के पार्षद हिमांशु लव भी उनके विरोध में आ गए, जबकि इससे पहले वह राजेंद्र त्यागी के कंधे से कंधे मिलाकर चलते थे, लेकिन इस प्रकरण के बाद दोनों के बीच दूरी बढ़ गई है। इतना ही नहीं बल्कि बीजेपी पार्षद राजीव शर्मा भी राजेंद्र त्यागी के विरोध में उतर आए हैं। हिमांशु लव का कहना है कि हिंदी भवन समाज के हित के लिए बना हुआ है। इस पर उन्हें राजनीति नहीं करनी चाहिए। यदि हिंदी भवन समिति की तरफ से कोई गड़बड़ी थी तो उसे मिल बैठकर सुलझाया जा सकता था। जीडीए को बकाए का भुगतान किया जा सकता है, लेकिन उन्होंने मामले में बिना किसी सलाह के सीधे प्रेसवार्ता कर दी, जबकि समिति इस पर जीडीए का बकाया भुगतान देने के लिए तैयार है। कमिटी ने जीडीए को प्रत्यावेदन दिया है कि इस पर जो ब्याज है, उसे माफ कर दिया जाए। फिर इसके बकाए का भुगतान कर दिया जाएगा। फिलहाल, जीडीए की कमिटी मामले की जांच कर रही है। यदि ब्याज माफ होता है तब भी ठीक है यदि नहीं होता है तो समिति इसके बकाए का भुगतान करेगी।
\B'सच्चाई उजागर करना राजनीति करना नहीं होता'
\Bपार्षद राजेंद्र त्यागी का कहना है कि किसी प्रकरण की सच्चाई उजागर करना राजनीति करना नहीं होता है। मामले में शहर के कई बीजेपी के वरिष्ठ नेता शामिल हैं। इसलिए सभी को दिक्कत हो रही है। इसके आवंटन को जीडीए ने 2006 में कैंसल कर दिया था, लेकिन अभी तक इस पर कब्जा नहीं लिया है। जब यह मामला उठाया गया तो अब समिति के लोगों ने प्रत्यावेदन भी दे दिया है।
\Bआवंटन पुर्नबहाल हो सकेगा या नहीं
\Bजीडीए के अधिकारियों का कहना है कि आवंटन को 2006 में कैंसल कर दिया था। अब देखना होगा कि आवंटन को बहाल किया जा सकता है या नहीं। यदि बहाल किए जाने का नियम होगा तो उसे नियमानुसार बकाया रकम को लेकर बहाल कर दिया जाएगा। यदि ऐसी स्थिति नहीं होगी तो आवंटन को बहाल नहीं किया जा सकेगा।