प्रदीप चौहान, साहिबाबाद इनके पास चुनौतियां ज्यादा थीं, राह में मुश्किलों के कांटे बिछे थे, सुविधाएं भी नहीं थीं, लेकिन कुछ कर गुजरने का जज्बा और मजबूर इरादों से इन्होंने हर अड़चनों को पार करते हुए कामयाबी का आसमान छू लिया। आइए मिलते हैं, टीएचए के कुछ ऐसे ही होनहारों से जिन्होंने मेहनत और लगन से यूपी बोर्ड एग्जाम में बेहतरीन मार्क्स हासिल किए हैं। 10वीं के होनहार 1. दीप्ति, पर्सेंटेज-83.1, स्कूल - कैलाशवती इंटर कॉलेज हाईस्कूल में 83.1 पर्सेंट मार्क्स हासिल करने वाली दीप्ती के पिता ड्राइवर हैं। वह एक प्राइवेट कंपनी में गाड़ी चलाते हैं। इनकी मासिक आय 7000 रुपये है। दीप्ति का परिवार इंदिरा गार्डन में किराए के मकान में रहता है। दीप्ती कहती हैं कि वह परिवार में अकेली हैं। उनसे फैमिली को काफी उम्मीदें हैं। परिवार वालों ने उन्हें पढ़ाई के लिए हमेशा सपोर्ट किया। उन्होंने बोर्ड एग्जाम के लिए रात दो बजे से सुबह 5 बजे तक पढ़ाई की। इस दौरान उसकी मम्मी अनिता देवी का पूरा सहयोग मिला। वह भी उसके साथ जागी रहतीं थीं। बीच-बीच में उनके लिए चाय और नाश्ता बनाकर लाती थीं। दीप्ति का कहना है कि उनकी कायमयाबी में उनकी मम्मी का सबसे ज्यादा योगदान है। वहीं उनकी इस सफलता के बाद घर में खुशी का माहौल है। पिता ने बताया कि वह बेटी की पढ़ाई में कोई कसर नहीं रखते हैं। उनका सपना है कि उनकी बेटी ऊंचे पद तक पहुंचे। ..................................... 3. रानी पर्सेंटेज-75 स्कूल - श्रीलालचंद शर्मा हायर सेकेंड्री स्कूल श्रीलालचंद शर्मा हायर सेकेंडरी स्कूल में दसवीं की छात्रा रानी ने 75 फीसदी अंक हासिल कर टीएचए में तीसरा स्थान प्राप्त किया है। पसौंडा निवासी रानी के पिता पिछले आठ साल से पैरालाइसिस के मरीज हैं। बीमार होने के कारण वे चल-फिर नहीं सकते हैं। घर का सारा खर्च रानी के दो भाई उठाते हैं। घर की इनकम बहुत कम है। रानी ने बताया कि उसके पिता और भाई पढ़ाई के लिए प्रेरित करते रहते हैं। वह रोजाना चार से पांच घंटे की पढ़ाई करती हैं। इसके साथ ही घर का कामकाज भी करती हैं। उसकी मम्मी हाउस वाइफ हैं। उनकी कामयाबी से परिवार में खुशी का माहौल है। उन्होंने बताया कि पढ़ाई के साथ-साथ वह अपने बीमार पिता का भी ध्यान रखती हैं। वह आगे भी कठिन मेहनत करेंगी, ताकि बड़ी अधिकारी बनकर परिवार का नाम रोशन कर सकें। ................................ 12वीं दीपांशी, पर्सेंटेज- 70.4, कॉमर्स स्ट्रीम स्कूल - कैलाशवती इंटर कॉलेज अर्थला की रहने वाली और इंटरमीडिएट की टॉपर्स दीपांशी के पिता पीएनबी बैंक में एक कर्मचारी की गाड़ी चलाते हैं। उन्हें महीने का 8000 रुपये सैलरी मिलती है। इससे घर का खर्च चलाना मुश्किल हो जाता है। दीपांशी चार बहन भाइयों में सबसे बड़ी हैं। घर में पढ़ाई के लिए पयार्प्त जगह भी नहीं है, लेकिन रोजाना 5 से 6 घंटे पढ़ाई कर पैरेंट्स का नाम रोश्शन किया है। दीपांशी के पिता ने बताया कि वह अपनी बेटी को कामयाब बनाना चाहते हैं। पढ़ाई में पैसों की दिक्कत न हो इसके लिए सुबह 10 बजे तक बैंक की गाड़ी चलाते हैं और इसके बाद पार्ट टाइम ऑटो भी चलाते हैं। दीपांशी ने बताया कि वह सीए बनना चाहती हैं। दीपांशी ने अपनी सफलता का श्रेय पैरंट्स को दिया है। ................................ 2. पिता बेचते हैं सब्जी रेखा, पर्सेंटेज-67.7 स्कूल- कैलाशवती इंटर कॉलेज अर्थला की रेखा ने इंटरमीडिएट में रेखा 67.7 फीसदी अंकों के साथ दूसरा स्थान हासिल किया है। उन्होंने बताया कि उनके चार भाई बहन हैं। उसके पिता कमल सिंह सब्जी बेचते हैं। कमाने वाले वही हैं। मासिक आय 5000 रुपये है। किसी तरह घर का गुजारा होता है, लेकिन इन सबके बावजूद भी कभी मेरे पिता ने पढ़ाई के लिए मना नहीं किया। उन्होंने मुझे हमेशा पढ़ने के लिए प्रेरित किया है। वह घर में पढ़ाई के साथ-साथ सिलाई का काम करती हैं। उन्होंने रात को जागकर बोर्ड एग्जाम की तैयारी की है। वह सीए बनना चाहती हैं।
ड्राइवर की बेटी बनी टॉपर
इनके पास चुनौतियां ज्यादा थीं, राह में मुश्किलों के कांटे बिछे थे, सुविधाएं भी नहीं थीं, लेकिन कुछ कर गुजरने का जज्बा और मजबूर इरादों से इन्होंने हर अड़चनों को पार करते हुए कामयाबी का आसमान छू लिया।
नवभारत टाइम्स 15 May 2016, 9:36 pm