अशोक उपाध्याय, टीएचए
रक्षाबंधन पर जहां बहन अपने भाई की कलाई पर रेशम के धागे से बनी राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र की दुआ मांगती हैं, वहीं भाई रक्षा का वचन देता है। इनसे अलग देवभूमि उत्तराखंड में इस पर्व के साथ कुछ पौराणिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। इनमें कुलपुरोहित द्वारा यजमानों को रक्षासूत्र बांधने की परंपरा आज भी जारी है।
गांवों में जारी है परंपरा का निर्वाह
उत्तराखंड समाज के चिंतक जगमोहन सिंह रावत ने बताया कि पहाड़ों में रक्षाबंधन का पारंपरिक स्वरूप आज भी कायम है। सावन के पूर्णिमा के दिन यहां के गांवों में कुलपुरोहित अपने सभी यजमानों के घर जाते हैं और उन्हें रक्षासूत्र बांधकर उनकी सुख व समृद्धि की कामना करते हैं। उन्होंने बताया कि गांवों के शहरीकरण होने का प्रभाव इस परंपरा पर दिखाई देने लगा है, लेकिन आज भी कई जगह रक्षाबंधन का पारंपरिक स्वरूप का निर्वाह पूरी आस्था के साथ किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जिस तरह बहनें अपने भाइयों के लिए राखी खरीदती हैं, उसी तरह कुलपुरोहित भी यजमानों के लिए रक्षासूत्र खरीदते हैं। वे सबसे पहले रक्षासूत्र को पूजा पर चढ़ाते हैं। उसके बाद वे घर-घर जाकर रक्षासूत्र बांधते हैं। वे बताते हैं कि इस परंपरा का निर्वाह शहरों में भी करने की कोशिश की जा रही है।
रक्षाबंधन पर बरसाते हैं पत्थर
उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में इस पर्व को परंपरागत 'जनयों-पुनयु' के रूप में मनाया जाता है। पुरोहित हाथों से बने जनेऊ अपने यजमानों को पहनाते हैं। इस दिन सामूहिक यज्ञोपवित भी होता है। वहीं इस पर्व के दिन चमोली जिले के उच्च हिमालय में स्थित भगवान चतर्भुज का मंदिर खुलता है। सबसे पहले भगवान को रक्षासूत्र बांधा जाता है। फिर मंदिर बंद कर दिया है। इसी दिन उत्तराखंड के गढ़वाल जनपद के देवीधुरा में प्रसिद्ध बग्वाल का आयोजन होता है। इस बग्वाल में देवीधुरा के ग्रामीण एक-दूसरे पर पत्थर बरसाते हैं, इस दौरान खून निकलना शुभ माना जाता है।
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रक्षाबंधन पर्व को साहिबाबाद क्षेत्र में भी उत्तराखंड समाज के लोग पारंपरिक रूप से मनाते हैं। यहां भी कुलपुरोहित अपने यजमानों को रक्षासूक्ष बांधते हैं। - सुंदर सिंह
पहाड़ों में रक्षाबंधन के दिन सुबह-सुबह कुलपुरोहित अपने यजमानों के घर पर जाकर रक्षा सूत्र बांधते हैं। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। - हरीश चंद्र जोशी
उत्तराखंड के हर जिले में रक्षाबंधन अलग-अलग पौराणिक आस्थाओं के साथ मनाया जाता है। हर आस्था मानव कल्याण से जुड़ी हुई है। - चंदन सिंह गुसाईं
रक्षाबंधन के दिन देवी-देवताओं की विशेष पूजा की जाती है। पुरोहित मंदिर में रक्षासूत्र रखते हैं। पूजा के बाद लोगों को रक्षासूत्र बांधा जाता है। - मीना भंडारी