गाजियाबाद
कोरोना की दूसरी लहर में पीक के दौरान गाजियाबाद के सभी अस्पतालों में ऑक्सिजन का संकट बन गया था। ऐसे में लोगों ने अपने घरों में ऑक्सिजन कंसन्ट्रेटर रखने शुरू कर दिए। दूसरी लहर जब थमने लगी तो स्वास्थ्य विभाग को 5 एलपीएम के ऑक्सिजन कंसन्ट्रेटर मिलने शुरू हुए। मई के अंतिम सप्ताह से स्वास्थ्य विभाग को और कंसन्ट्रेटर मिलने शुरू हुए और अब इनकी संख्या 255 तक पहुंच गई है। इनमें 100 से ज्यादा कंसन्ट्रेटर अभी भी विभाग के स्टोर में ही रखे हुए हैं। 255 में से महज 30 ऑक्सिजन कंसन्ट्रेटर ही 10 एलपीएम की क्षमता वाले हैं, वह भी विभाग ने विधायक निधि से खरीदे थे। शासन स्तर से और विभिन्न संस्थाओं की ओर से जो ऑक्सिजन कंसन्ट्रेटर मिले, वह सभी 5 एलपीएम वाले हैं। इनमें से कुछ ही हो सके है और बाकी की पैकिंग तक नहीं खुली है।
कहां से कितने ऑक्सिजन कंसन्ट्रेटर मिले
ओएनजीसी 50 (5 एलपीएम)
यूपीएमसीएल 60 (5 एलपीएम)
जीडीए 20 (5 एलपीएम)
ओपो मोबाइल 75 (5 एलपीएम)
यूनाइटेड वे 10 (5 एलपीएम)
एसबीआई 5 (5 एलपीएम)
जनरल वीके सिंह 5 (5 एलपीएम)
किसी काम के नहीं 5 एलपीएम कंसंट्रेटर
डॉक्टरों की मानें तो अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों के लिए 5 एलपीएम के ऑक्सिजन कंसन्ट्रेटर का कोई काम नहीं है। कोरोना संक्रमित को हाई फ्लो वाली ऑक्सिजन की जरूरत होती है। तेज फ्लो से ऑक्सिजन फेफड़ों के जरिए ब्लड तक पहुंच पाती है और कम फ्लो के जरिए ऑक्सिजन ब्लड तक नहीं पहुंच पाती, जबकि 5 एलपीएम वाले ऑक्सिजन कंसन्ट्रेटर का फ्लो बहुत कम होता है। इसकी जरूरत केवल उन मरीजों को होती है, जिनका ऑक्सिजन लेवल थोड़ा ही कम होता है और उन्हें 2 से 3 लीटर प्रति मिनट ऑक्सिजन की जरूरत होती है। ऑक्सीजन लेवल 88 से नीचे होने पर 5 एलपीएम वाले कंसन्ट्रेटर काम नहीं करते।
तीसरी लहर में भी नहीं आएंगे काम
डॉक्टरों का कहना है कि अगर तीसरी लहर आती है तो उसमें भी ये काम नहीं आ सकेंगे। दूसरी लहर के हल्का पड़ने के दौरान जिले में ऑक्सिजन कंसन्ट्रेटर आने शुरू हुए थे, जो 2 ही अस्पतालों में प्रयोग हो सके। लहर थमने के बाद मिलने वाले कंसन्ट्रेटर सीएचसी और पीएचसी पर भेजे गए। जिले के 9 सरकारी अस्पतालों में ऑक्सिजन प्लांट लगने हैं। 3 अस्पतालों में प्लांट लग चुके हैं और बाकी में प्लांट लगाने का काम चल रहा है। ऐसे में अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों को प्लांट की पाइपलाइन के जरिए ऑक्सिजन दी जा सकेगी और कंसन्ट्रेटर का प्रयोग नहीं हो सकेगा। स्वास्थ्य अधिकारी दावा करते हैं कि ग्रामीण इलाकों में जहां प्लांट नहीं हैं, वहां इनका प्रयोग हो सकेगा।
क्या कहते हैं अधिकारी
सीएमओ डॉ. एनके गुप्ता कहते हैं, 'कोरोना के सामान्य मरीजों के लिए 5 एलपीएम वाले ऑक्सिजन कंसन्ट्रेटर काम करते हैं, लेकिन गंभीर मरीजों के लिए इनका कोई प्रयोग नहीं है। तीसरी लहर में जरूरत वाले स्थानों पर इनका प्रयोग किया जाएगा।'
ऑक्सिजन कंसन्ट्रेटर नोडल अधिकारी और एसीएमओ डॉ. डीएम सक्सेना कहते हैं, 'शुरुआती दौर में मरीज को 5 एलपीएम वाले ऑक्सिजन कंसन्ट्रेटर की जरूरत होती है। मरीज की स्थिति खराब होने पर ऑक्सिजन के हाई फ्लो की जरूरत होती है। बहुत से मरीजों के लिए इनका प्रयोग किया गया था। यदि तीसरी लहर आती है तो इनके जरिए बहुत से मरीजों की जान बचाई जा सकेगी।'
कोरोना की दूसरी लहर में पीक के दौरान गाजियाबाद के सभी अस्पतालों में ऑक्सिजन का संकट बन गया था। ऐसे में लोगों ने अपने घरों में ऑक्सिजन कंसन्ट्रेटर रखने शुरू कर दिए। दूसरी लहर जब थमने लगी तो स्वास्थ्य विभाग को 5 एलपीएम के ऑक्सिजन कंसन्ट्रेटर मिलने शुरू हुए। मई के अंतिम सप्ताह से स्वास्थ्य विभाग को और कंसन्ट्रेटर मिलने शुरू हुए और अब इनकी संख्या 255 तक पहुंच गई है। इनमें 100 से ज्यादा कंसन्ट्रेटर अभी भी विभाग के स्टोर में ही रखे हुए हैं। 255 में से महज 30 ऑक्सिजन कंसन्ट्रेटर ही 10 एलपीएम की क्षमता वाले हैं, वह भी विभाग ने विधायक निधि से खरीदे थे। शासन स्तर से और विभिन्न संस्थाओं की ओर से जो ऑक्सिजन कंसन्ट्रेटर मिले, वह सभी 5 एलपीएम वाले हैं। इनमें से कुछ ही हो सके है और बाकी की पैकिंग तक नहीं खुली है।
कहां से कितने ऑक्सिजन कंसन्ट्रेटर मिले
ओएनजीसी 50 (5 एलपीएम)
यूपीएमसीएल 60 (5 एलपीएम)
जीडीए 20 (5 एलपीएम)
ओपो मोबाइल 75 (5 एलपीएम)
यूनाइटेड वे 10 (5 एलपीएम)
एसबीआई 5 (5 एलपीएम)
जनरल वीके सिंह 5 (5 एलपीएम)
किसी काम के नहीं 5 एलपीएम कंसंट्रेटर
डॉक्टरों की मानें तो अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों के लिए 5 एलपीएम के ऑक्सिजन कंसन्ट्रेटर का कोई काम नहीं है। कोरोना संक्रमित को हाई फ्लो वाली ऑक्सिजन की जरूरत होती है। तेज फ्लो से ऑक्सिजन फेफड़ों के जरिए ब्लड तक पहुंच पाती है और कम फ्लो के जरिए ऑक्सिजन ब्लड तक नहीं पहुंच पाती, जबकि 5 एलपीएम वाले ऑक्सिजन कंसन्ट्रेटर का फ्लो बहुत कम होता है। इसकी जरूरत केवल उन मरीजों को होती है, जिनका ऑक्सिजन लेवल थोड़ा ही कम होता है और उन्हें 2 से 3 लीटर प्रति मिनट ऑक्सिजन की जरूरत होती है। ऑक्सीजन लेवल 88 से नीचे होने पर 5 एलपीएम वाले कंसन्ट्रेटर काम नहीं करते।
तीसरी लहर में भी नहीं आएंगे काम
डॉक्टरों का कहना है कि अगर तीसरी लहर आती है तो उसमें भी ये काम नहीं आ सकेंगे। दूसरी लहर के हल्का पड़ने के दौरान जिले में ऑक्सिजन कंसन्ट्रेटर आने शुरू हुए थे, जो 2 ही अस्पतालों में प्रयोग हो सके। लहर थमने के बाद मिलने वाले कंसन्ट्रेटर सीएचसी और पीएचसी पर भेजे गए। जिले के 9 सरकारी अस्पतालों में ऑक्सिजन प्लांट लगने हैं। 3 अस्पतालों में प्लांट लग चुके हैं और बाकी में प्लांट लगाने का काम चल रहा है। ऐसे में अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों को प्लांट की पाइपलाइन के जरिए ऑक्सिजन दी जा सकेगी और कंसन्ट्रेटर का प्रयोग नहीं हो सकेगा। स्वास्थ्य अधिकारी दावा करते हैं कि ग्रामीण इलाकों में जहां प्लांट नहीं हैं, वहां इनका प्रयोग हो सकेगा।
क्या कहते हैं अधिकारी
सीएमओ डॉ. एनके गुप्ता कहते हैं, 'कोरोना के सामान्य मरीजों के लिए 5 एलपीएम वाले ऑक्सिजन कंसन्ट्रेटर काम करते हैं, लेकिन गंभीर मरीजों के लिए इनका कोई प्रयोग नहीं है। तीसरी लहर में जरूरत वाले स्थानों पर इनका प्रयोग किया जाएगा।'
ऑक्सिजन कंसन्ट्रेटर नोडल अधिकारी और एसीएमओ डॉ. डीएम सक्सेना कहते हैं, 'शुरुआती दौर में मरीज को 5 एलपीएम वाले ऑक्सिजन कंसन्ट्रेटर की जरूरत होती है। मरीज की स्थिति खराब होने पर ऑक्सिजन के हाई फ्लो की जरूरत होती है। बहुत से मरीजों के लिए इनका प्रयोग किया गया था। यदि तीसरी लहर आती है तो इनके जरिए बहुत से मरीजों की जान बचाई जा सकेगी।'