- विजिलेंस अफसर ने नगर आयुक्त से की मुलाकात, घोटालों से जुड़ी पत्रावली तलब
- जांच की खबर से निगम अफसरों के उड़े होश, विजिलेंस के निशाने पर कई अफसर
नगर संवाददाता, गाजियाबाद: नगर निगम में हुए करोड़ों रुपये के घोटाले की विजिलेंस जांच शुरू हो गई है। विजिलेंस के सर्कल ऑफिसर ने इस जांच को लेकर मंगलवार को नगर आयुक्त से मुलाकात की और घोटाले से जुड़ी पत्रावलियां तलब कीं। घोटालों की विजिलेंस जांच में निगम के कई अफसरों के फंसने की आशंका है, जिसके चलते अफसरों के होश उड़े हुए हैं। नगर आयुक्त सीपी सिंह ने भी विजिलेंस जांच शुरू होने की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि विजिलेंस टीम को जल्द ही पांच घोटालों से जुड़ी पत्रावलियां उपलब्ध कराई जाएंगी। बता दें कि ये घोटाले तत्कालीन नगर आयुक्त अब्दुल समद के कार्यकाल में होने के कारण उनके कार्यकाल के दौरान तैनात रहे कई अफसरों से पूछताछ हो सकती हैं।
गोपनीय चिट्ठी से उठा घोटाले से पर्दा
वर्ष 2015-16 में बीजेपी के एक पार्षद पति ने घोटाले को लेकर एक गोपनीय पत्र यूपी सरकार को भेजा था। इसे तत्कालीन एसपी सरकार ने गंभीरता से लेते हुए मामले की जांच विजिलेंस को सौंप दी थी। यूपी सरकार को इस संबंध में विजिलेंस मेरठ ने दिसंबर 2017 में जवाब भेजा गया था। जिसमें माना गया था कि केस की जांच हो सकती है। जिसके बाद सरकार ने विजिलेंस मेरठ को इस मामले में केस दर्ज कर जांच शुरू करने की मंजूरी दे दी थी।
क्या हैं ये पांच घोटाले
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ट्रैक्टर लिफ्टर खरीद घोटाला
नगर निगम ने 15 स्वराज कंपनी के ट्रैक्टर खरीदे थे। प्रत्येक ट्रैक्टर की कीमत करीब पांच लाख 10 हजार रुपये दर्शाई गई थी। इनके आगे निगम ने कूड़ा लिफ्ट करने के लिए लिफ्टर लगाया था। लिफ्टर की कीमत करीब 2.89 लाख रुपये बताते हुए भुगतान कर दिया गया। जबकि बाजार में इसकी कीमत मात्र 45 से 50 हजार रुपये थी।
सोलर लाइट खरीद घोटाला
नगर निगम की ओर से 28 वॉट की 100 सोलर लाइट खरीदी गई थीं। प्रत्येक लाइट नगर निगम ने करीब 42,241 रुपये में खरीदा जाना दिखाया था। जबकि भारत सरकार की सीईएल कंपनी प्रत्येक सोलर लाइट को 25,000 रुपये में बेच रही थी। ऐसे में सोलर लाइट की खरीद में बड़ा घोटाला होने की बात सामने आई थी।
डस्टबिन खरीद घोटाला
स्वच्छ भारत मिशन के तहत नगर निगम ने नवंबर 2016 में 2222 छोटे डस्टबिन खरीदे थे। निगम ने प्रत्येक डस्टबिन करीब 9 हजार रुपये में खरीदा जाना दिखाया था जबकि बाजार में डस्टबिन की कीमत महज 1650 रुपये के आसपास थी। हंगामा होने पर निगम प्रशासन ने खुद ही प्रत्येक डस्टबिन की कीमत 4950 रुपये तय कर इसका भुगतान कर दिया था।
जमीन घोटाला
चिकंबरपुर में नगर निगम की करीब 2000 वर्ग मीटर जमीन है। आरोप है कि पहले निगम ने इस जमीन को अपनी बताया, बाद में इस जमीन को प्राइवेट घोषित कर दिया। जिसके बाद इस जमीन पर कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया। उस दौरान आरोप लगे थे कि इस मामले में निगम के कुछ अफसरों ने साठगांठ की थी। इसी तरह से दशमेश वाटिका की जमीन को एक व्यक्ति को रास्ता बनाने के लिए दे दिया गया। इस जमीन पर एक प्राइवेट पार्टी ने स्टे ले लिया। जबकि नगर निगम प्रशासन ने इसकी कोर्ट में पैरवी भी नहीं की। डूंडाहेड़ा में भी करीब 10 हेक्टेयर जमीन पर लोगों ने कब्जा कर लिया। आरोप लगे कि इन लोगों ने निगम के कुछ अफसरों को पैसे खिलाकर ऐसा किया था।
कंप्यूटर खरीद घोटाला
नगर निगम में 50 हजार रुपये प्रति कंप्यूटर की कीमत पर 10 कंप्यूटर खरीदे गए थे। जबकि बाजार में प्रत्येक कंप्यूटर की कीमत करीब 28 हजार रुपये बताई गई। ऐसे में निगम के अधिकारियों पर कंप्यूटर खरीद में घोटाला करने का आरोप लगा था।
एक घंटे तक हुई बैठक
विजिलेंस की टीम ने मंगलवार को नगर निगम का दौरा किया। विजिलेंस की अगुवाई सर्कल ऑफिसर श्री भगवान शर्मा कर रहे थे। सर्कल ऑफिसर ने नगर आयुक्त सीपी सिंह के साथ करीब एक घंटे तक बैठक की। सर्कल ऑफिसर ने नगर आयुक्त से घोटाले से जुड़ी सभी पत्रावलियां देने को कहा है। नगर आयुक्त ने बताया कि विजिलेंस से कहा गया है कि फिलहाल स्वच्छ सर्वेक्षण चल रहा है। 28 फरवरी के बाद उन्हें पत्रावली उपलब्ध करा दी जाएंगी।