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Gorakhpur News: गोरखपुर में बनी बांस की राखियां देश भर में मचाएंगी धूम, मार्केटिंग कंपनी से हुआ करार

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले की राखी इस बार पूरे देश में धूम मचाएगी। यहां पर महिलाएं बांस से आकर्षक राखियां बना रही हैं। जिनका एक कंपनी से समझौता भी हुआ है। रक्षा बंधन त्योहार से पहले एक लाख राखियां इन महिलाओं को बनाकर देना है।

guest Anurag-Pandey | Lipi 23 Jun 2022, 3:24 pm
अनुराग पांडेय, गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले की बांस से बनी राखियां देश में धूम मचाएगी। भाई-बहन के अटूट बंधन का पर्व राखी इस बार प्रकृति को भी जरूर भाएगा क्योंकि बहना बांस की राखी भइया की कलाई पर बांधेगी। वन विभाग की पूरी तैयारी है कि यह इकोफ्रेंडली सौगात बहनों को समय पर उपलब्ध करा दें। तरह-तरह के राखियों के बााजर में बांस की राखी प्रमुख आकर्षण होगी ऐसा वन विभाग का मानना है। वन विभाग ने यह जिम्मा सौंपा है मिशन के तहत हस्तशिल्प का काम करने वाली महिलाओं को। यह महिलाएं पर्व को ध्यान में रखते हुए कुल एक लाख राखियां तैयार करेंगी।
नवभारतटाइम्स.कॉम गोरखपुर में बनेगी बांस की राखी
गोरखपुर में बनेगी बांस की राखी


ऑनलाइन कंपनी से हुआ टाईअप
इन महिलाओं का एक आनलाइन मार्केटिंग कंपनी से टाईअप भी हो गया है। उसने भी इन्हें राखी तैयार करने का आर्डर दिया है। अर्थात आनलाइन बाजार के जरिये यहां की राखियां अब देश के विभिन्न हिस्सों सहित विदेश तक अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वाली हैं। राष्ट्रीय बम्बू मिशन के तहत प्रदेश के पांच जिलों में काम चल रहा है। इस अभियान का उद्देश्य जिलों में बांस की खेती को बढ़ावा देना और बांस के उत्पाद तैयार कराकर महिलाओं को रोजगार दिलाना।

महिलाओं को मिल रहा रोजगार

जिले में शारदा स्वयं सहायता समूह की 20 महिलाओं को इसके जरिये वन विभाग रोजगार उपलब्ध करा रहा है। इन महिलाओं को चिड़ियाघर में आउलेट उपलब्ध कराया गया है। इस बार इन महिलाओं एक लाख राखी बनाने के लिए कहा गया है। प्रथम चरण में सिर्फ 25 हजार राखियां तैयार की जाएंगी। इन राखियों मांग अधिक हुई तो इसे बढ़ाकर एक लाख किया जाएगा। वन विभाग के मुताबिक इन राखियों को 50 से 60 रुपये में बेचा जाएगा। समूह की महिलाओं को सुहास भारत ग्रोइंग आनलाइन कंपनी ने राखियों के एक छोटा आर्डर भी दिखा है।

इसमें एक्सपर्ट हैं महिलाएं
बांस का उत्पाद तैयार करने वाली शारदा स्वयं सहायता समूह की महिलाएं बांस के गहनें, श्रृंगारदान, नाइटलैंप, परदे, नेकलेस, ईयर रिंग, फ्लावर स्टैंड, खिलौने आदि बनाने पूरी दक्षता हासिल कर ली है। इसकी देन है कि चिड़ियाघर के आउटलेट से महिलाओं का समूह प्रतिमाह 25 से तीस हजार रुपये की कमाई कर रहा है। डीएफओ विकास यादव ने बताया कि बांस के उत्पादों की बिक्री बढ़ने से लोगों चयन के एक नया विकल्प मिल रहा है। यह सभी उत्पाद इको फ्रैंडली हैं। इस बार बांस की कुल 13 प्रकार की राखियां तैयार कराई जा रही है। पखवारे भर बाद से चिड़ियाघर के आउटलेट पर यह राखियां दिखने भी लगेंगी। इसके लिए स्वयं सहायता समूह को कच्चा उत्पाद उपलब्ध करा दिया गया है।
लेखक के बारे में
राघवेंद्र शुक्ला
राघवेंद्र शुक्ल ने लिखने-पढ़ने की अपनी अभिरुचि के चलते पत्रकारिता का रास्ता चुना। नई दिल्ली के भारतीय जनसंचार संस्थान से पत्रकारिता में डिप्लोमा हासिल करने के बाद जुलाई 2017 में जनसत्ता में बतौर ट्रेनी सब एडिटर दाखिला हो गया। वहां के बाद नवभारत टाइम्स ऑनलाइन की लखनऊ टीम का हिस्सा बन गए। यहां फिलहाल सीनियर डिजिटल कंटेंट प्रड्यूसर के पद पर तैनाती है। देवरिया के रहने वाले हैं और शुरुआती पढ़ाई वहीं हुई। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक की डिग्री है। साहित्यिक अभिरूचियां हैं। कविता-उपन्यास पढ़ना पसंद है। इतिहास के विषय पर बनी फिल्में देखने में दिलचस्पी है। थोड़ा-बहुत गीत-संगीत की दुनिया से भी वास्ता है।... और पढ़ें

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