गोरखपुर
यूपी के गोरखपुर जिले में पुलिस की कथित पिटाई से कानपुर के एक कारोबारी मनीष गुप्ता की मौत हो गई। इस मामले में आरोपी पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई के बजाए आला अफसर उन्हें बचाने में जुटे रहे। ऐसा हम नहीं कह रहे, बल्कि सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकते हैं। वायरल वीडियो में गोरखपुर के डीएम और एसएसपी कारोबारी मनीष की पत्नी और उनके घरवालों को केस न दर्ज कराने की सलाह दे रहे हैं। उधर, गोरखपुर से शव कानपुर पहुंचने पर पुलिस को जोरदार विरोध-प्रदर्शन का सामना करना पड़ा है। अभी तक मनीष गुप्ता का अंतिम संस्कार नहीं हुआ है। वहीं कानपुर के पुलिस कमिश्नर और DM ने पीड़ित परिवार से बातचीत की है और कहा है कि परिवार कल यानी गुरुवार को सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करेगा।
यह है पूरा मामला
दरअसल सोमवार रात रामगढ़ताल थाना क्षेत्र में एक होटल में कानपुर निवासी 36 साल के रियल एस्टेट कारोबारी मनीष गुप्ता अपने दो दोस्तों प्रदीप और हरी चौहान के साथ ठहरे थे। देर रात पुलिस होटल में चेकिंग के लिए पहुंची थी। इस दौरान यह पाया गया कि तीन लोग गोरखपुर के सिकरीगंज स्थित महादेवा बाजार के निवासी चंदन सैनी के पहचान पत्र के आधार पर एक कमरे में ठहरे हुए हैं। संदेह होने पर पूछताछ के दौरान कथित रूप से पुलिस की ओर से पिटाई के बाद घायल मनीष की संदिग्ध हालात में गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में मौत हो गई थी।
सीएम योगी से की मुकदमा दर्ज कराने की मांग
मनीष की पत्नी मीनाक्षी ने पुलिस पर मारपीट का आरोप लगाते हुए कहा कि इसी वजह से उनके पति की मृत्यु हुई है। हालांकि, पुलिस ने इस आरोप से इनकार करते हुए कहा कि मनीष नशे की हालत में था और पूछताछ के दौरान जमीन पर गिरने से उसके सिर में चोट आ गई थी जिससे उसकी मृत्यु हुई। मीनाक्षी ने ट्वीट कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी।
मामले में आरोपी पुलिसकर्मी निलंबित
मनीष के साथ कमरे में ठहरे उसके दोस्तों ने बताया कि वे लोग गोरखपुर के रहने वाले कारोबारी चंदन सैनी के बुलावे पर आए थे। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) ने रामगढ़ताल के थाना प्रभारी जेएन सिंह और फलमंडी थाना प्रभारी अक्षय मिश्रा समेत छह पुलिसकर्मियों को मंगलवार को ही निलंबित कर पुलिस अधीक्षक (नगर) को मामले की जांच सौंपी है। इस मामले में आरोपी छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा भी दर्ज किया गया है।
यूपी के गोरखपुर जिले में पुलिस की कथित पिटाई से कानपुर के एक कारोबारी मनीष गुप्ता की मौत हो गई। इस मामले में आरोपी पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई के बजाए आला अफसर उन्हें बचाने में जुटे रहे। ऐसा हम नहीं कह रहे, बल्कि सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकते हैं। वायरल वीडियो में गोरखपुर के डीएम और एसएसपी कारोबारी मनीष की पत्नी और उनके घरवालों को केस न दर्ज कराने की सलाह दे रहे हैं। उधर, गोरखपुर से शव कानपुर पहुंचने पर पुलिस को जोरदार विरोध-प्रदर्शन का सामना करना पड़ा है। अभी तक मनीष गुप्ता का अंतिम संस्कार नहीं हुआ है। वहीं कानपुर के पुलिस कमिश्नर और DM ने पीड़ित परिवार से बातचीत की है और कहा है कि परिवार कल यानी गुरुवार को सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करेगा।
यह है पूरा मामला
दरअसल सोमवार रात रामगढ़ताल थाना क्षेत्र में एक होटल में कानपुर निवासी 36 साल के रियल एस्टेट कारोबारी मनीष गुप्ता अपने दो दोस्तों प्रदीप और हरी चौहान के साथ ठहरे थे। देर रात पुलिस होटल में चेकिंग के लिए पहुंची थी। इस दौरान यह पाया गया कि तीन लोग गोरखपुर के सिकरीगंज स्थित महादेवा बाजार के निवासी चंदन सैनी के पहचान पत्र के आधार पर एक कमरे में ठहरे हुए हैं। संदेह होने पर पूछताछ के दौरान कथित रूप से पुलिस की ओर से पिटाई के बाद घायल मनीष की संदिग्ध हालात में गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में मौत हो गई थी।
सीएम योगी से की मुकदमा दर्ज कराने की मांग
मनीष की पत्नी मीनाक्षी ने पुलिस पर मारपीट का आरोप लगाते हुए कहा कि इसी वजह से उनके पति की मृत्यु हुई है। हालांकि, पुलिस ने इस आरोप से इनकार करते हुए कहा कि मनीष नशे की हालत में था और पूछताछ के दौरान जमीन पर गिरने से उसके सिर में चोट आ गई थी जिससे उसकी मृत्यु हुई। मीनाक्षी ने ट्वीट कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी।
मामले में आरोपी पुलिसकर्मी निलंबित
मनीष के साथ कमरे में ठहरे उसके दोस्तों ने बताया कि वे लोग गोरखपुर के रहने वाले कारोबारी चंदन सैनी के बुलावे पर आए थे। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) ने रामगढ़ताल के थाना प्रभारी जेएन सिंह और फलमंडी थाना प्रभारी अक्षय मिश्रा समेत छह पुलिसकर्मियों को मंगलवार को ही निलंबित कर पुलिस अधीक्षक (नगर) को मामले की जांच सौंपी है। इस मामले में आरोपी छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा भी दर्ज किया गया है।