वरिष्ठ संवाददाता, कानपुर
बीजेपी-समाजवादी पार्टी के ओबीसी और बीएसपी के दलित प्रेम के बीच कांग्रेस अब ब्राह्मण वोटों को अपने पाले में करेगी। इसके लिए प्रशांत किशोर ने खुद टीम के साथ जोर लगाना शुरू कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, 2 दिन पहले कानपुर में हुई एक सीक्रेट मीटिंग में पीके ने खुद यह बात कही। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का चेहरा शीला दीक्षित या जितिन प्रसाद हो सकते हैं। इसके अलावा इस मीटिंग से शहर के कुछ दिग्गज नेताओं को किनारे रखा गया।
यूपी में कांग्रेस की चुनावी रणनीति बना रहे प्रशांत किशोर 2 दिन पहले एक सीक्रिट मीटिंग में शहर के एक बड़े होटल पहुंचे थे। इसमें शहर के ज्यादातर ब्राह्मण बुद्धिजीवियों के साथ कुछ नामचीन अन्य जातियों के लोगों को बुलाया गया था। आयोजन का जिम्मा अरसे से हाशिए पर पड़े एक ब्राह्मण कांग्रेसी नेता को दिया गया था। देर रात करीब डेढ़ घंटे तक चली मीटिंग के बाद डिनर पर भी प्रशांत ने लोगों से बातें की। सूत्रों के अनुसार, उनका सारा फोकस इस बात पर था कि रीजन के ब्राह्मण वोटर किस तरफ झुकेंगे। उनका तर्क था, प्रदेश में लंबे समय से दलित-पिछड़ों की राजनीति हुई है।
बीजेपी ने भी फिलहाल ओबीसी नेता को आगे किया है। इस वजह से ब्राह्मण खुद को कमजोर महसूस कर रहे हैं। यह समुदाय लंबे समय तक कांग्रेस का परंपरागत वोटर रहा है। ऐसे में कांग्रेस किसी मजबूत ब्राह्मण चेहरे को आगे कर बाजी पलट सकती है। इसके बाद मुस्लिम और दलितों की कुछ जातियों को भी कांग्रेस आगे बढ़ाएगी। मीटिंग में मौजूद ज्यादातर लोगों ने इन बातों पर सहमति जताई है कि ब्राह्मणों के 17 पर्सेंट वोट निर्णायक साबित हो सकते हैं।
किनारे हुए दिग्गज
सूत्रों का यह भी कहना है कि कानपुर के कुछ दिग्गज कांग्रेसी नेताओं को इस मीटिंग की जानकारी तक नहीं थी। इसका ही असर है कि रविवार को प्रशांत किशोर की टीम के शहर आने पर पूरे शहर में कुछ नेताओं ने ब्राह्मण कार्यकर्ताओं के फोटो वाले बैनर टांगे थे।
जातिगत आंकड़े लिए
पीके की टीम के 3 मेंबर्स ने रविवार को पूरे दिन तिलक हॉल में माथापच्ची की। टीम ने कांग्रेसियों ने जातिगत डेटा के अलावा हर पार्टी से जुड़ी हुई जातियों का ब्यौरा लिया। वर्तमान विधायकों की खामियों और अच्छाइयों को भी नोट किया गया।
बीजेपी-समाजवादी पार्टी के ओबीसी और बीएसपी के दलित प्रेम के बीच कांग्रेस अब ब्राह्मण वोटों को अपने पाले में करेगी। इसके लिए प्रशांत किशोर ने खुद टीम के साथ जोर लगाना शुरू कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, 2 दिन पहले कानपुर में हुई एक सीक्रेट मीटिंग में पीके ने खुद यह बात कही। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का चेहरा शीला दीक्षित या जितिन प्रसाद हो सकते हैं। इसके अलावा इस मीटिंग से शहर के कुछ दिग्गज नेताओं को किनारे रखा गया।
यूपी में कांग्रेस की चुनावी रणनीति बना रहे प्रशांत किशोर 2 दिन पहले एक सीक्रिट मीटिंग में शहर के एक बड़े होटल पहुंचे थे। इसमें शहर के ज्यादातर ब्राह्मण बुद्धिजीवियों के साथ कुछ नामचीन अन्य जातियों के लोगों को बुलाया गया था। आयोजन का जिम्मा अरसे से हाशिए पर पड़े एक ब्राह्मण कांग्रेसी नेता को दिया गया था। देर रात करीब डेढ़ घंटे तक चली मीटिंग के बाद डिनर पर भी प्रशांत ने लोगों से बातें की। सूत्रों के अनुसार, उनका सारा फोकस इस बात पर था कि रीजन के ब्राह्मण वोटर किस तरफ झुकेंगे। उनका तर्क था, प्रदेश में लंबे समय से दलित-पिछड़ों की राजनीति हुई है।
बीजेपी ने भी फिलहाल ओबीसी नेता को आगे किया है। इस वजह से ब्राह्मण खुद को कमजोर महसूस कर रहे हैं। यह समुदाय लंबे समय तक कांग्रेस का परंपरागत वोटर रहा है। ऐसे में कांग्रेस किसी मजबूत ब्राह्मण चेहरे को आगे कर बाजी पलट सकती है। इसके बाद मुस्लिम और दलितों की कुछ जातियों को भी कांग्रेस आगे बढ़ाएगी। मीटिंग में मौजूद ज्यादातर लोगों ने इन बातों पर सहमति जताई है कि ब्राह्मणों के 17 पर्सेंट वोट निर्णायक साबित हो सकते हैं।
किनारे हुए दिग्गज
सूत्रों का यह भी कहना है कि कानपुर के कुछ दिग्गज कांग्रेसी नेताओं को इस मीटिंग की जानकारी तक नहीं थी। इसका ही असर है कि रविवार को प्रशांत किशोर की टीम के शहर आने पर पूरे शहर में कुछ नेताओं ने ब्राह्मण कार्यकर्ताओं के फोटो वाले बैनर टांगे थे।
जातिगत आंकड़े लिए
पीके की टीम के 3 मेंबर्स ने रविवार को पूरे दिन तिलक हॉल में माथापच्ची की। टीम ने कांग्रेसियों ने जातिगत डेटा के अलावा हर पार्टी से जुड़ी हुई जातियों का ब्यौरा लिया। वर्तमान विधायकों की खामियों और अच्छाइयों को भी नोट किया गया।