ऐपशहर

कानपुर शूटआउट: वसूली, हाथ-पैर तोड़ देना.. कुछ ऐसा था इलाके में विकास दुबे का खौफ

कानपुर शूटआउट का मुख्य आरोपी विकास दुबे का नाम उत्तर प्रदेश के टॉप 25 अपराधियों की सूची में नहीं था लेकिन पुलिस पर हमला करने के बाद वह यूपी का मोस्ट वॉन्टेड अपराधी बन गया है।

नवभारत टाइम्स 5 Jul 2020, 8:42 am

हाइलाइट्स

  • ग्रामीणों ने सुनाई विकास दुबे की रोंगटे खड़े कर देने वाली दास्तान
  • वसूली, हाथ-पैर तोड़ना, हत्या करना विकास के लिए मामूली बात थी
  • इलाके के कई गावों के लिए विकास पुलिस भी था और अदालत भी
सारी खबरें हाइलाइट्स में पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें
प्रवीण मोहता, कानपुर
उत्तर प्रदेश के कानपुर में पुलिस की टीम पर हमला करने वाले हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के घर को जैसे ही पुलिस ने ढहाया तो बिकरू गांव में अब तक उसका खुला समर्थन करने वाले भी दबी जुबान से उसके खिलाफ बोलने लगे हैं। नाम न छापने की शर्त पर कई ग्रामीणों ने ऐसी कहानियां बताई हैं, जिसे सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। सिर्फ अपराध के अलावा सरकारी योजनाओं में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी कर रकम हड़पना भी विकास के लिए मामूली बात थी।
करीब 1300-1400 की आबादी वाले गांव बिकरू की मौजूदा प्रधान अंजलि दुबे विकास के परिवार से ही हैं। मिली-जुली आबादी के गांव के दूसरी तरफ के लोग बताते हैं कि 8-10 गांवों में विकास ही पुलिस और अदालत था। चौबेपुर थाने की पुलिस उसकी गुलाम थी और किसी भी केस में पुलिस गांव नहीं आई। मामूली सी बात पर ही वह बच्चों से लेकर बुजुर्गों को बेरहमी से पीटता था। हाथ-पैर तोड़ना उसके लिए मामूली बात थी। कुछ महीने पहले गांव के रामबाबू यादव की जमीन उसने जबरदस्ती नीलाम करवा दी थी।

सांप्रदायिक हिंसा का आरोप
ग्रामीण बताते हैं कि 1992 में गांव में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी। विकास ने यहां खूब कहर बरपाया था। कई लोग अपनी याददाश्त खो बैठे। कई सदमे में चल बसे। कुछ ऐसे बुजुर्ग अब भी गांव में मौजूद है।

यह भी पढ़ेंः लखीमपुर में सरेंडर करने की फिराक में विकास दुबे?

ग्रामीणों के नाम रायफल
एक ग्रामीण ने आरोप लगाया कि विकास गांव के भोले-भाले युवकों के नाम पर असलहों के लाइसेंस लिए थे। पुलिस ने कभी तफ्तीश नहीं की। क्षेत्र में चलने वाली प्राइवेट बसों में विकास का नाम बताने पर कोई किराया नहीं लगता था। कई बस स्टैंड उसके गुर्गे चलाते हैं।


सरकारी योजनाओं में गड़बड़
ग्रामीणों का कहना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत विकास ने घर 11 घरों का बजट पास कराया। इनमें कई मृतक भी थे। कई वास्तविक लोगों को स्कीम में कुछ नहीं मिला। तहसील में शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।

यह भी पढ़ेंः कहां है विकास? ढूंढ रही STF की 20 टीम, नेपाल सीमा पर अलर्ट

फैक्ट्रियों से करता था वसूली
जीटी रोड के किनारे बस चौबेपुर इंडस्ट्रियल एरिया में करीब 400 फैक्ट्रियां हैं। जानकारों का कहना है कि लगभग हर फैक्ट्री से विकास को चढ़ावा भेजा जाता था। नामी फैक्ट्रियों से उसे सालाना चंदा मिलता था। क्षेत्र में किसी भी संपत्ति की खरीद-बिक्री पर विकास को टैक्स देना जरूरी था। दावा किया जा रहा है कि चौबेपुर थाने के करीब बन रही एक हाउसिंग सोसायटी विकास की पत्नी ऋचा के नाम पर है।

तीन जिलों में अकूत प्रॉपर्टी

सूत्रों का कहना है कि गहराई से तफ्तीश में पता चलेगा कि सिर्फ बिकरू गांव में ही 100 बीघा जमीन विकास या उसके परिवार के नाम है। कानपुर देहात में भी उसने कई संपत्तियां खरीद रखी हैं। कानपुर और लखनऊ में प्राइम लोकेशन में विकास के पास कई शानदार बंगले और अन्य प्रॉपर्टी है। विकास की कमाई का दूसरा बड़ा जरिया विवादास्पद संपत्ति को खरीदना था। बताया गया कि विकास का नाम यूपी के टॉप 25 अपराधियों की सूची में भी नहीं था लेकिन कानपुर शूटआउट के बाद वह उत्तर प्रदेश का मोस्ट वॉन्टेड अपराधी बन गया है।

अगला लेख

Stateकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर
ट्रेंडिंग