कानपुर
पुखरायां में 20 नवंबर को राजेंद्र नगर एक्सप्रेस डिरेल होने के मामले को कथित तौर पर आईएसआई से जोड़ जा रहा है। हालांकि, कई पुलिस अधिकारी इस पूरी थिअरी पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि पुखरायां में एडीजी दलजीत चौधरी के अलावा सेना के ब्रिगेडियर रैंक के अफसर मौजूद थे, लेकिन किसी ने कोई विस्फोटक या कुछ संदिग्ध होने की बात नहीं कही थी। पुखरायां में रेल मंत्री सुरेश प्रभु भी मौके पर गए थे। उन्होंने भी गड़बड़ी होने जैसी बात तब नहीं बताई थी।
कानपुर सेंट्रल पर डीजी (रेलवे) गोपाल गुप्ता ने भी कहा था कि कोई विस्फोटक या आपत्तिजनक सामान बरामद नहीं हुआ है। पुखरायां ऐक्सिडेंट के बाद रेलवे ने कानपुर-झांसी रूट के 200 किमी ट्रैक पर 42 कॉशन भी लगाए थे। इस रूट पर कई जगह पटरियों में जंग लगा मिला था।
इसी तरह रूरा में भी डीआरएम (इलाहाबाद) संजय कुमार पंकज समेत पुलिस अधिकारियों ने तोड़फोड़ की बात से इनकार किया था। सीआरएस शैलेश कुमार पाठक ने बीते दिनों कहा भी था कि मटीरियल फॉल्ट से अजमेर एक्सप्रेस पलटी थी। पुलिस सूत्रों के अनुसार, पुखरायां और रूरा में दोनों जगहों पर डॉग और बम स्क्वॉड गए थे। यहां कहीं भी कोई बारूद या तोड़फोड़ के निशान नहीं मिले थे। मौके पर पहुंचे पुलिस अफसरों को हवा में किसी भी किस्म के बारूद की कोई गंध महसूस नहीं हुई थी।
इन सवालों के जवाब से सुलझेगा केस:
- पुखरायां में ऐक्सिडेंट साइट पर आर्मी और एनडीआरएफ मौजूद थीं। इन्होंने दो दिनों तक पुलिस के साथ रिलीफ ऑपरेशन चलाया। क्या इन्हें कोई बारूद, डेटोनेटर, जिलेटिन बार या अमोनियम नाइट्रेट जैसा कुछ मिला?
- रेल मंत्रालय के आदेश पर आगरा की फॉरेंसिक लैब में पटरियों आदि की जांच हुई है। क्या इसमें कुछ संदिग्ध मिला?
- डीजी (रेलवे) गोपाल गुप्ता ने 22 नवंबर को कानपुर में कहा था कि घटना में तोड़फोड़ के कोई सबूत नहीं मिले हैं। न कोई आतंकी लिंक सामने आया है। क्या उन्होंने कुछ छिपाया?
- जीआरपी झांसी में लिखी गई एफआईआर की जांच में क्या कोई संदिग्ध कनेक्शन मिला है?
- क्या पुखरायां स्टेशन पर किसी ने राजेंद्र नगर एक्सप्रेस आने के पहले कोई धमाका सुना था?
- ऐक्सिडेंट के बाद रेल ट्रैक चालू होते ही रेलवे ने पूरे रूट पर 42 कॉशन क्यों लगाए थे?
- सीआरएस पीके आचार्य की अंतरिम रिपोर्ट में ऐक्सिडेंट के क्या कारण बताए गए हैं?
- रूरा में ऐक्सिडेंट स्टेशन पर ही हुआ। क्या किसी ने अजमेर एक्सप्रेस आने के पहले ब्लास्ट की आवाज सुनी थी?
- रूरा में पटरी काटी गई तो क्या सिग्नल डाउन हुआ था। आसपास कोई औजार मिला?
- अजमेर एक्सप्रेस के ड्राइवर ने कुछ संदिग्ध मिलने की बात सीआरएस को बताई है या नहीं?
- एक जनवरी को मंधना के पास पटरी काटने की घटना के बाद ही रेलवे ‘टेरर एंगल’ पर क्यों अलर्ट हुआ। उसके पहले कोई सक्रियता क्यों नहीं थी?
- रेलवे बोर्ड के चेयरमैन एके मित्तल ने भी ट्रैक फ्रैक्चर की वजह मौसम और मेंटिनेंस की कमी बताई थी। क्या उन्होंने कुछ छिपाया था?
- क्या 20 नवंबर से एक जनवरी के बीच कानपुर में इंटेलिजेंस एजेंसियों को किसी संदिग्ध की लोकेशन मिली या कोई गिरफ्तारी हुई?
- रेलवे का सारा ढांचा ठीक था तो मशविरे के लिए जापानी और कोरियन एक्सपर्ट क्यों बुलाए गए?
पुखरायां में 20 नवंबर को राजेंद्र नगर एक्सप्रेस डिरेल होने के मामले को कथित तौर पर आईएसआई से जोड़ जा रहा है। हालांकि, कई पुलिस अधिकारी इस पूरी थिअरी पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि पुखरायां में एडीजी दलजीत चौधरी के अलावा सेना के ब्रिगेडियर रैंक के अफसर मौजूद थे, लेकिन किसी ने कोई विस्फोटक या कुछ संदिग्ध होने की बात नहीं कही थी। पुखरायां में रेल मंत्री सुरेश प्रभु भी मौके पर गए थे। उन्होंने भी गड़बड़ी होने जैसी बात तब नहीं बताई थी।
कानपुर सेंट्रल पर डीजी (रेलवे) गोपाल गुप्ता ने भी कहा था कि कोई विस्फोटक या आपत्तिजनक सामान बरामद नहीं हुआ है। पुखरायां ऐक्सिडेंट के बाद रेलवे ने कानपुर-झांसी रूट के 200 किमी ट्रैक पर 42 कॉशन भी लगाए थे। इस रूट पर कई जगह पटरियों में जंग लगा मिला था।
इसी तरह रूरा में भी डीआरएम (इलाहाबाद) संजय कुमार पंकज समेत पुलिस अधिकारियों ने तोड़फोड़ की बात से इनकार किया था। सीआरएस शैलेश कुमार पाठक ने बीते दिनों कहा भी था कि मटीरियल फॉल्ट से अजमेर एक्सप्रेस पलटी थी। पुलिस सूत्रों के अनुसार, पुखरायां और रूरा में दोनों जगहों पर डॉग और बम स्क्वॉड गए थे। यहां कहीं भी कोई बारूद या तोड़फोड़ के निशान नहीं मिले थे। मौके पर पहुंचे पुलिस अफसरों को हवा में किसी भी किस्म के बारूद की कोई गंध महसूस नहीं हुई थी।
इन सवालों के जवाब से सुलझेगा केस:
- पुखरायां में ऐक्सिडेंट साइट पर आर्मी और एनडीआरएफ मौजूद थीं। इन्होंने दो दिनों तक पुलिस के साथ रिलीफ ऑपरेशन चलाया। क्या इन्हें कोई बारूद, डेटोनेटर, जिलेटिन बार या अमोनियम नाइट्रेट जैसा कुछ मिला?
- रेल मंत्रालय के आदेश पर आगरा की फॉरेंसिक लैब में पटरियों आदि की जांच हुई है। क्या इसमें कुछ संदिग्ध मिला?
- डीजी (रेलवे) गोपाल गुप्ता ने 22 नवंबर को कानपुर में कहा था कि घटना में तोड़फोड़ के कोई सबूत नहीं मिले हैं। न कोई आतंकी लिंक सामने आया है। क्या उन्होंने कुछ छिपाया?
- जीआरपी झांसी में लिखी गई एफआईआर की जांच में क्या कोई संदिग्ध कनेक्शन मिला है?
- क्या पुखरायां स्टेशन पर किसी ने राजेंद्र नगर एक्सप्रेस आने के पहले कोई धमाका सुना था?
- ऐक्सिडेंट के बाद रेल ट्रैक चालू होते ही रेलवे ने पूरे रूट पर 42 कॉशन क्यों लगाए थे?
- सीआरएस पीके आचार्य की अंतरिम रिपोर्ट में ऐक्सिडेंट के क्या कारण बताए गए हैं?
- रूरा में ऐक्सिडेंट स्टेशन पर ही हुआ। क्या किसी ने अजमेर एक्सप्रेस आने के पहले ब्लास्ट की आवाज सुनी थी?
- रूरा में पटरी काटी गई तो क्या सिग्नल डाउन हुआ था। आसपास कोई औजार मिला?
- अजमेर एक्सप्रेस के ड्राइवर ने कुछ संदिग्ध मिलने की बात सीआरएस को बताई है या नहीं?
- एक जनवरी को मंधना के पास पटरी काटने की घटना के बाद ही रेलवे ‘टेरर एंगल’ पर क्यों अलर्ट हुआ। उसके पहले कोई सक्रियता क्यों नहीं थी?
- रेलवे बोर्ड के चेयरमैन एके मित्तल ने भी ट्रैक फ्रैक्चर की वजह मौसम और मेंटिनेंस की कमी बताई थी। क्या उन्होंने कुछ छिपाया था?
- क्या 20 नवंबर से एक जनवरी के बीच कानपुर में इंटेलिजेंस एजेंसियों को किसी संदिग्ध की लोकेशन मिली या कोई गिरफ्तारी हुई?
- रेलवे का सारा ढांचा ठीक था तो मशविरे के लिए जापानी और कोरियन एक्सपर्ट क्यों बुलाए गए?