कानपुर
कुंभ मेले के दो महीने पहले नमामि गंगे प्रॉजेक्ट को जोरदार झटका लगा है। प्राइवेट कंपनी शापूरजी पलोनजी ने कानपुर के सात ट्रीटमेंट प्लांट को पीपीपी मॉडल पर चलाने से हाथ लगभग खींच लिए हैं। सूत्रों के अनुसार, प्लांट संचालन के लिए 15 अक्टूबर तक एसपीवी के जरिए एक अलग कंपनी बनाई जानी थी, लेकिन यह काम अब तक अधूरा है।
इसकी एक बड़ी वजह गंगा सफाई पर ‘दबाव’ को बताया जा रहा है। एनएमएसीजी इस मामले में शापूरजी पलोनजी को जल्द फाइनल नोटिस दे करार कैंसल कर सकती है।
ऐसे होता संचालन
गंगा में सबसे ज्यादा गंदगी उड़ेलने के लिए कानपुर बदनाम है। शहर के 7 पुराने और नए सीवेज और एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट को 15 साल तक चलाने के लिए सरकार ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल को चुना था। इसमें 40 प्रतिशत रकम सरकार और बाकी 60 प्रतिशत कंपनी को लगानी थी। इस अवधि में यूजर चार्ज और अन्य साधनों से कंपनी ब्याज और लाभ निकालती। इसके लिए कुछ महीने पहले टेंडर जारी किए गए थे।
सूत्रों के अनुसार, टेंडर प्रक्रिया के बाद मुंबई की शापूरजी पलोनजी को सातों प्लांट के संचालन का काम दिया गया था। कंपनी ने सारे कागजी काम कर 24 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी भी जमा कर दी थी। इसके बाद प्लांट चलाने के लिए स्पेशल परपज वीइकल के तहत नई कंपनी बनाई जानी थी। इसकी आखिरी तारीख 15 अक्टूबर थी।
15 अक्टूबर तक एसपीवी का काम नहीं हुआ तो शापूरजी पलोनजी के अधिकारियों से बात की गई। वे कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की ओर से आ रही कुछ ‘अड़चनों’ की बात बताते रहे। कुछ दिन इंतजार के बाद नोटिस दिए गए, लेकिन टालमटोल होता रहा। सूत्रों का दावा है कि जल्द ही इस मामले में फाइनल नोटिस दिया जा सकता है। कहा जा रहा है कि कुंभ के पहले गंगा की सफाई में तेजी से कंपनी घबरा गई है।
कुंभ मेले के दो महीने पहले नमामि गंगे प्रॉजेक्ट को जोरदार झटका लगा है। प्राइवेट कंपनी शापूरजी पलोनजी ने कानपुर के सात ट्रीटमेंट प्लांट को पीपीपी मॉडल पर चलाने से हाथ लगभग खींच लिए हैं। सूत्रों के अनुसार, प्लांट संचालन के लिए 15 अक्टूबर तक एसपीवी के जरिए एक अलग कंपनी बनाई जानी थी, लेकिन यह काम अब तक अधूरा है।
इसकी एक बड़ी वजह गंगा सफाई पर ‘दबाव’ को बताया जा रहा है। एनएमएसीजी इस मामले में शापूरजी पलोनजी को जल्द फाइनल नोटिस दे करार कैंसल कर सकती है।
ऐसे होता संचालन
गंगा में सबसे ज्यादा गंदगी उड़ेलने के लिए कानपुर बदनाम है। शहर के 7 पुराने और नए सीवेज और एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट को 15 साल तक चलाने के लिए सरकार ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल को चुना था। इसमें 40 प्रतिशत रकम सरकार और बाकी 60 प्रतिशत कंपनी को लगानी थी। इस अवधि में यूजर चार्ज और अन्य साधनों से कंपनी ब्याज और लाभ निकालती। इसके लिए कुछ महीने पहले टेंडर जारी किए गए थे।
सूत्रों के अनुसार, टेंडर प्रक्रिया के बाद मुंबई की शापूरजी पलोनजी को सातों प्लांट के संचालन का काम दिया गया था। कंपनी ने सारे कागजी काम कर 24 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी भी जमा कर दी थी। इसके बाद प्लांट चलाने के लिए स्पेशल परपज वीइकल के तहत नई कंपनी बनाई जानी थी। इसकी आखिरी तारीख 15 अक्टूबर थी।
15 अक्टूबर तक एसपीवी का काम नहीं हुआ तो शापूरजी पलोनजी के अधिकारियों से बात की गई। वे कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की ओर से आ रही कुछ ‘अड़चनों’ की बात बताते रहे। कुछ दिन इंतजार के बाद नोटिस दिए गए, लेकिन टालमटोल होता रहा। सूत्रों का दावा है कि जल्द ही इस मामले में फाइनल नोटिस दिया जा सकता है। कहा जा रहा है कि कुंभ के पहले गंगा की सफाई में तेजी से कंपनी घबरा गई है।