कानपुर
अपहरणकर्ताओं ने संजीत यादव का अपहरण कर इस किराए के मकान में रखा था। आरोपी पैथोलॉजी में काम करते थे तो उन्हें मेडिकल की जानकारी थी। आरोपी संजीत को नींद और नशे का इंजेक्शन लगाकर रखते थे। अपहरण के चौथे दिन आरोपियों ने संजीत की हत्या कर शव को कमरे में छिपा दिया था। अपहरणकर्ताओं ने रात होने का इंतजार किया और देर रात शव को पांडू नदी में फेंक दिया था। संजीत की बहन इस मकान को देखकर फूट-फूट कर रोने लगी और बोली भाई तुम्हारी बहन किसे राखी बांधेगी। बर्रा थाना क्षेत्र स्थित बर्रा 5 में रहने चमन सिंह यादव पत्नी अपर्णा यादव, बेटी रूचि और एकलौते बेटे संजीत यादव के साथ रहते थे। संजीत एक लैब में टेक्निशन के पद पर काम करता था। बीते 22 जून को संजीत लैब से घर वापस लौट रहा था। बर्रा बाईपास से उसके दोस्तों ने अपहरण कर लिया था। परिवार ने बर्रा थाने में संजीत यादव की गुमशुदगी दर्ज कराई थी। कुछ दिनों बाद अपहरणकर्ताओं ने परिवार से 30 लाख रुपये फिरौती की मांग की थी। पीड़ित परिवार ने इसकी जानकारी पुलिस को दी थी। पुलिस ने अपहरणकर्ता के उस मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर भी लगाया था। लेकिन पुलिस हर तरह से फेल साबित हुई।
संजीत यादव लैब से लैब से घर लौट रहा था, तभी बर्रा बाईपास पर उसे दो दोस्त मिल गए। दोस्त ढाबे में खाना की बात कह कर उसे पनकी ले गए। इस अपहरण के मास्टरमाइंड कुलदीप ने दो और साथियों को बुला लिया। संजीत समेत पाचों दोस्तों ने ढाबे में शराब पी थी। इसके बाद संजीत को कार में बैठाकर रतनलाल नगर स्थित किराए के मकान में ले जाया गया।
नींद और नशे का इंजेक्शन लगाते थे
कुलदीप ने रतनलाल नगर में एक माकान किराये पर लिया था, इस मकान में कुलदीप अपनी महिला मित्र के साथ रहता था। कुलदीप ने संजीत यादव को कमरे के अंदर बंधक बना लिया था। अपहरण के बाद चार दिनों तक उसे नशे और नींद के इंजेक्शन लगाकर बेहोशी की हालत में रखा था। 26 जून को जब संजीत को होश में आया तो वो कमरे से भागने लगा। चारों अपहरणकर्ताओं ने उसे दबोच लिया और गला घोटकर हत्या कर दी। इसके बाद शव को कमरे में ही छिपा दिया। चारों अपहरणकर्ताओं ने रात होने का इंतजार किया। 26 जून की देर रात चारों ने संजीत के शव को गाड़ी में रखकर पांडू नदी में ले जाकर फेंक दिया था।
अपहरणकर्ता वॉइस चेंजर ऐप से आवाज बदलकर बात करते थे
फर्जी आईडी से सिम लेकर अपहरणकर्ता परिजनों से वॉइस चेंजर ऐप के माध्यम से अवाज बदलकर फिरौती की रकम मांगते थे, ताकि परिजन आवाज को पहचान न सकें। अपहरणकर्ता इतने शातिर थे कि पुलिस की सर्विलांस टीम और क्राइम ब्रांच को आरोपियों तक पहुंचने में एक माह का समय लग गया। परिजनों को भी इस बात का अहसास होने लगा था कि बेटे साथ किसी तरह की अनहोनी घट चुकी है।
बहन बोली- अब किसे बांधूंगी राखी
संजीत यादव को अपहरणकर्ताओं ने जिस मकान में रखा था और हत्या की थी, उसे देखकर संजीत की बहन खुद को रोक नहीं पाई और फूटकर रोने लगी। रोते हुए उसने कहा कि मेरे भाई की यहां पर हत्या कर दी और पुलिस कुछ नहीं कर पाई। अब मैं रक्षाबंधन में किसे राखी बांधूंगी, मेरे लिए कौन गिफ्ट लेकर आएगा।
अपहरणकर्ताओं ने संजीत यादव का अपहरण कर इस किराए के मकान में रखा था। आरोपी पैथोलॉजी में काम करते थे तो उन्हें मेडिकल की जानकारी थी। आरोपी संजीत को नींद और नशे का इंजेक्शन लगाकर रखते थे। अपहरण के चौथे दिन आरोपियों ने संजीत की हत्या कर शव को कमरे में छिपा दिया था। अपहरणकर्ताओं ने रात होने का इंतजार किया और देर रात शव को पांडू नदी में फेंक दिया था। संजीत की बहन इस मकान को देखकर फूट-फूट कर रोने लगी और बोली भाई तुम्हारी बहन किसे राखी बांधेगी।
संजीत यादव लैब से लैब से घर लौट रहा था, तभी बर्रा बाईपास पर उसे दो दोस्त मिल गए। दोस्त ढाबे में खाना की बात कह कर उसे पनकी ले गए। इस अपहरण के मास्टरमाइंड कुलदीप ने दो और साथियों को बुला लिया। संजीत समेत पाचों दोस्तों ने ढाबे में शराब पी थी। इसके बाद संजीत को कार में बैठाकर रतनलाल नगर स्थित किराए के मकान में ले जाया गया।
नींद और नशे का इंजेक्शन लगाते थे
कुलदीप ने रतनलाल नगर में एक माकान किराये पर लिया था, इस मकान में कुलदीप अपनी महिला मित्र के साथ रहता था। कुलदीप ने संजीत यादव को कमरे के अंदर बंधक बना लिया था। अपहरण के बाद चार दिनों तक उसे नशे और नींद के इंजेक्शन लगाकर बेहोशी की हालत में रखा था। 26 जून को जब संजीत को होश में आया तो वो कमरे से भागने लगा। चारों अपहरणकर्ताओं ने उसे दबोच लिया और गला घोटकर हत्या कर दी। इसके बाद शव को कमरे में ही छिपा दिया। चारों अपहरणकर्ताओं ने रात होने का इंतजार किया। 26 जून की देर रात चारों ने संजीत के शव को गाड़ी में रखकर पांडू नदी में ले जाकर फेंक दिया था।
अपहरणकर्ता वॉइस चेंजर ऐप से आवाज बदलकर बात करते थे
फर्जी आईडी से सिम लेकर अपहरणकर्ता परिजनों से वॉइस चेंजर ऐप के माध्यम से अवाज बदलकर फिरौती की रकम मांगते थे, ताकि परिजन आवाज को पहचान न सकें। अपहरणकर्ता इतने शातिर थे कि पुलिस की सर्विलांस टीम और क्राइम ब्रांच को आरोपियों तक पहुंचने में एक माह का समय लग गया। परिजनों को भी इस बात का अहसास होने लगा था कि बेटे साथ किसी तरह की अनहोनी घट चुकी है।
बहन बोली- अब किसे बांधूंगी राखी
संजीत यादव को अपहरणकर्ताओं ने जिस मकान में रखा था और हत्या की थी, उसे देखकर संजीत की बहन खुद को रोक नहीं पाई और फूटकर रोने लगी। रोते हुए उसने कहा कि मेरे भाई की यहां पर हत्या कर दी और पुलिस कुछ नहीं कर पाई। अब मैं रक्षाबंधन में किसे राखी बांधूंगी, मेरे लिए कौन गिफ्ट लेकर आएगा।