मथुरा: ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में हर दिन हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए दर्शन में बदलाव किया गया। बांके बिहारी मंदिर में दर्शन के लिए 11 घंटे खुलने की बात को लेकर वकील कोर्ट पहुंच गए। कोर्ट से अपील की है कि बांके बिहारी मंदिर के दर्शन के समय में बदलाव न करें। बहस को सुनने के बाद जज ने फाइल अपने पास रख ली है।
इनपुट- निर्मल राजपूत
कोर्ट में मंदिर खुलने के समय परिवर्तन पर नाराज वकील
बांके बिहारी मंदिर में दर्शन का समय बढ़ाने पर दो वकीलों ने कोर्ट में प्रार्थनापत्र दाखिल किया है। जिसमें दर्शन का समय बढ़ाने वाले आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई है। वहीं, वादी वकीलों ने सिविल जज जूनियर डिवीजन कोमल शुक्ला की कोर्ट में अपनी मांग रखी है। वकीलों ने कोर्ट से अपील की है कि ठाकुर बांके बिहारी जी बाल स्वरूप में विराजमान हैं। 11 घंटे तक भक्तों को दर्शन देंगे तो वह थक जाएंगे। उनके आराम करने की प्रक्रिया में बाधा पड़ जाएगी। इस कारण बढ़े समय के आदेश पर रोक लगाई जाए। प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि चूंकि भगवान श्रीकृष्ण मथुरा में केवल 14 वर्ष तक ही रहे थे। इस कारण ब्रज में उनके बाल स्वरूप सेवा का भाव है। कोई भी व्यक्ति नहीं चाहेगा कि उनके बालक की दिनचर्या पर ऐसा असर पड़े कि वह आराम भी न कर पाए।11 घंटे तक भक्तों को दर्शन देंगे तो थक जाएंगे ठाकुर जी
अधिवक्ता गिरधारी लाल शर्मा ने बताया कि कोर्ट ने बहस सुनने के बाद प्रार्थना पत्र पर आदेश के लिए फाइल को रख लिया है। आदेश के अनुसार शरद ऋतु में सुबह 7.30 से दोपहर 1 बजे तक और शाम 4 से 9.30 तक मंदिर के पट खुलेंगे। ग्रीष्मकाल में नया समय सुबह 7 से दोपहर 12.30 बजे तक और शाम 5 से रात 10.30 तक किया गया है। अब तक दर्शन का समय सुबह 8.45 से दोपहर 1 बजे तक और शाम को 4.30 से रात 8.30 तक था।2017 में इन अधिकारियों ने भी समय बढ़ाने को लेकर की थी अपील
वकीलों ने कोर्ट को दिए गए प्रार्थना पत्र में यह भी बताया कि इससे पहले वर्ष 2017 में तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट बसंत लाल और सीओ विजय शंकर मिश्र ने दर्शन की समयावधि बढ़ाने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था। कोर्ट ने इस प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया था।स्थानीय लोग बोले तोड़ी जा रही परंपरा
भगवान बांके बिहारी मंदिर के दर्शन के समय में किए गए परिवर्तन के बारे में स्थानीय लोगों से बात की तो उन्होंने कहा कि हजारों वर्ष से चली आ रही परंपरा को तोड़ने का काम किया गया है। बाल रूप में ठाकुर जी विराजमान हैं। जैसे हम लोग जीवन में काम करने के बाद आराम करते हैं, वैसे ही ठाकुर भी आराम वो भी करना जानते हैं। अधिकारी अपने स्वार्थ के लिए मंदिर की परंपरा को नहीं तोड़ सकते।इनपुट- निर्मल राजपूत