दीपक लवानियाल, आगरा
भीमराव आंबेडकर यूनिवर्सिटी में मार्किंग कड़ी होने के परिणाम सामने आने लगे हैं। कुल छात्रों में से 1,700 छात्रों के पांच-वर्षीय इंटीग्रेटिड लॉ एग्जाम का परिणाम आ गया है, जिसमें 90 प्रतिशत छात्र फेल हो गए हैं। खास बात यह रही कि ज्यादातर छात्रों ने नकल करवाने वाले गिरोह की बातों में आकर कॉपियां कोरी छोड़ दीं थीं कि बाद में जुगाड़ से उन्हें पास करवा दिया जाएगा।
यूनिवर्सिटी प्रशासन ने बताया कि बकाया 15,000 छात्रों के परिणाम 20 जनवरी तक घोषित कर दिए जाएंगे। इस बार यूनिवर्सिटी ने नकल पर नकेल कसने के लिए प्राइवेट कॉलेजों पर भरोसा न करते हुए नोडल सेंटरों पर परीक्षाएं करवाईं थीं। वीसी अरविंद दीक्षित 13 दिसंबर, 2016 को चार्ज संभालते ही कई सख्त कदम उठाए थे। इसमें एक नियम के मुताबिक छात्रों की उत्तर पुस्तिकाएं रिटायर्ड शिक्षकों की निगरानी में जांचने का निर्णय लिया गया था।
नियम लागू होने के बाद अथॉरिटीज एक के बाद एक छात्रों की कोरी कॉपियां देखकर हैरत में पड़ गई थीं। कुछ उत्तर पुस्तिकाओं में थोड़ा-बहुत लिखा भी गया था, लेकिन वे उत्तीर्ण होने जितने अंक दिलाने में नाकामयाब रहीं। जब मामला वीसी के संज्ञान में लाया गया, तो उन्होंने सभी मार्कशीट्स की स्कैनिंग का आदेश दिया, जिससे यदि कोई लापरवाही हुई हो, तो वह सामने आ सके।
दरअसल शहरों में सक्रिय नकल करवाने वाले रैकेट्स ने छात्रों को सलाह दी थी कि वे कॉपियां खाली छोड़कर आएं, जिससे जुगाड़ कर उन्हें पास करवाया जा सके। सख्त नियम-कानून के चलते नकल की ट्रिक नाकामयाब रही और नतीजा सभी के सामने है।
यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता गिरजाशंकर शर्मा ने बताया, 'इस बार निष्पक्ष परीक्षाएं करवाए जाने की दिशा में कई नए नियम लागू किए गए। परिणाम यह हुआ कि 1,700 छात्रों के रिजल्ट में 90 प्रतिशत छात्र फेल पाए गए। अभी करीब 15,000 छात्रों का रिजल्ट आना है, जो 20 जनवरी तक आ जाएगा।'
भीमराव आंबेडकर यूनिवर्सिटी में मार्किंग कड़ी होने के परिणाम सामने आने लगे हैं। कुल छात्रों में से 1,700 छात्रों के पांच-वर्षीय इंटीग्रेटिड लॉ एग्जाम का परिणाम आ गया है, जिसमें 90 प्रतिशत छात्र फेल हो गए हैं। खास बात यह रही कि ज्यादातर छात्रों ने नकल करवाने वाले गिरोह की बातों में आकर कॉपियां कोरी छोड़ दीं थीं कि बाद में जुगाड़ से उन्हें पास करवा दिया जाएगा।
यूनिवर्सिटी प्रशासन ने बताया कि बकाया 15,000 छात्रों के परिणाम 20 जनवरी तक घोषित कर दिए जाएंगे। इस बार यूनिवर्सिटी ने नकल पर नकेल कसने के लिए प्राइवेट कॉलेजों पर भरोसा न करते हुए नोडल सेंटरों पर परीक्षाएं करवाईं थीं। वीसी अरविंद दीक्षित 13 दिसंबर, 2016 को चार्ज संभालते ही कई सख्त कदम उठाए थे। इसमें एक नियम के मुताबिक छात्रों की उत्तर पुस्तिकाएं रिटायर्ड शिक्षकों की निगरानी में जांचने का निर्णय लिया गया था।
नियम लागू होने के बाद अथॉरिटीज एक के बाद एक छात्रों की कोरी कॉपियां देखकर हैरत में पड़ गई थीं। कुछ उत्तर पुस्तिकाओं में थोड़ा-बहुत लिखा भी गया था, लेकिन वे उत्तीर्ण होने जितने अंक दिलाने में नाकामयाब रहीं। जब मामला वीसी के संज्ञान में लाया गया, तो उन्होंने सभी मार्कशीट्स की स्कैनिंग का आदेश दिया, जिससे यदि कोई लापरवाही हुई हो, तो वह सामने आ सके।
दरअसल शहरों में सक्रिय नकल करवाने वाले रैकेट्स ने छात्रों को सलाह दी थी कि वे कॉपियां खाली छोड़कर आएं, जिससे जुगाड़ कर उन्हें पास करवाया जा सके। सख्त नियम-कानून के चलते नकल की ट्रिक नाकामयाब रही और नतीजा सभी के सामने है।
यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता गिरजाशंकर शर्मा ने बताया, 'इस बार निष्पक्ष परीक्षाएं करवाए जाने की दिशा में कई नए नियम लागू किए गए। परिणाम यह हुआ कि 1,700 छात्रों के रिजल्ट में 90 प्रतिशत छात्र फेल पाए गए। अभी करीब 15,000 छात्रों का रिजल्ट आना है, जो 20 जनवरी तक आ जाएगा।'