ऐपशहर

सहारनपुर हिंसा: पुलिस भीम आर्मी पर सख्त, बीजेपी पर नरम

20 अप्रैल को सड़क दूधली हिंसा में नामजद बीजेपी सांसद, उनके भाई और बीजेपी नेताओं के खिलाफ अभी भी जांच जारी। उससे 15 दिन बाद पांच, नौ और 23 मई के मामलों में भीम आर्मी के खिलाफ जांच कर दी पूरी, 32 मामलों में भीम आर्मी के चंद्रशेखर समेत 11 के खिलाफ चार्जशीट।

नवभारत टाइम्स 11 Aug 2017, 7:17 pm
शादाब रिजवी, मेरठ
नवभारतटाइम्स.कॉम BhimSena
पुलिस पर राजनीतिक दबाव में काम करने का आरोप

सहारनपुर पुलिस एक बार फिर सत्ता के दबाव में काम करने के आरोप में घिर गई हैं। जिले में हुई जातीय हिंसा की जांच को लेकर पुलिस ने दो पैमाने अपनाएं हैं। पुलिस विरोधी दलों ने निशाने पर हैं। यह एक बार फिर राजनीतिक मुद्दा बन सकता हैं।

दरअसल, 20 मई को एसएसपी की कोठी पर तोड़फोड़ हंगामा करने और सड़क दूधली में सबसे पहले हुई हिंसा में नामजद बीजेपी नेताओं के खिलाफ अभी भी जांच पूरी नहीं हुई और उससे बाद पांच, नौ और 23 मई को हुई शब्बीरपुर और दूसरे स्थानों पर हिंसा की जांच दलितों के खिलाफ पूरी कर चार्जशीट भी अदालत में पेश कर दी। जबकि बीएसपी प्रमुख मायावती ने शब्बीरपुर पहुंचकर उस समय पुलिस पर दलित विरोधी काम करने का आरोप लगाया था। यहां तक कि इस मुद्दे पर बीएसपी प्रमुख राज्यसभा की सदस्यता से भी त्यागपत्र दे चकी हैं।

इसी के साथ बीजेपी के दबाव में पुलिस पर काम करने और दलित उत्पीड़न के आरोप लगाते हुए दिल्ली में जंतर मंतर पर दो बड़े प्रदर्शन हो चुके हैं। इस सबके बीच सहारनपुर पुलिस ने दलितों (भीम आर्मी) के खिलाफ दर्ज 32 मामलों में चार्जशीट दायर कर और बीजेपी सांसद के भाई समेत अन्य बीजेपी नेताओं के गैरजमानती वारंट जारी होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की है। एसपी प्रबल प्रताप का कहना है कि जांच निष्पक्ष हो रही हैं। जिन मामलों में आरोपी जेल जा चुके हैं उनके खिलाफ 60 दिन में आरोप पत्र सौंपना जरूरी हैं। बाकी में जांच चल रही हैं।

20 अप्रैल की हिंसा में पुलिस कार्रवाई का एक रुख....
20 अप्रैल को सड़क दूधली गांव में बिना अनुमति के बीजेपी एमपी राघव लखनपाल शर्मा के नेतृत्व में भीम राव अंबेडकर की जयंती निकालने के दौरान पथराव और हिंसा हुई थी। एमपी की अगुवाई में भीड़ ने एसएसपी आवास घेरकर तोड़फोड़ की थी। इस मामले में खुद पुलिस ने छह एफआईआर दर्ज की थी। बीजेपी एमपी समेत कई नेता आरोपी हैं। एमपी के भाई राहुल लखनपाल शर्मा, महानगर अध्यक्ष अमित गगनेजा सहित 11 लोगों के खिलाफ एनबीडब्लू भी पुलिस ने अदालत से लिए थे, लेकिन गिरफ्तारी नहीं हुई है। पुलिस ने हिंसा की पहली इस वारदात में आज तक चार्जशीट नहीं भेजी हैं। पुलिस का कहना है कि जांच चल रही हैं।

पांच, नौ और 23 मई की हिंसा में पुलिस कार्रवाई का दूसरा रुख.....
पांच मई को महाराणा प्रताप जयंती पर डीजे निकालने को लेकर शब्बीरपुर में, शब्बीरपुर की हिसां के खिलाफ नौ मई के सहारनपुर में और मायवाती के शब्बीरपुर आकर लौटने के बाद देवबंद क्षेत्र में हुई हिंसा में कई एफआईआर दर्ज हुई थी। ज्यादा एफआईआर दलित पक्ष के खिलाफ हुई थी। हिंसा के सभी मामलों की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई थी। इनमें से 32 मामलों में पुलिस ने चार्जशीट दखिल कर दी। शब्बीरपुर की घटना में सचिन भारती, राहुल गौतम, शिवकुमार, सुरेश, शुभम, छोटा, बंटी, बालेश, बालेंद्र, जगवीर, सुरेश, संदीप, अर्जुन और नौ मई की घटना में चंद्रशेखर, कमल वालिया, बंटी, विकास, अंकित, सुमित, सहित 111 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट भेजी है।

बीएसपी एमएलसी अतर सिंह राव ने कहा कि प्रदेश सरकार की मानसकिता दलित विरोधी है। सहारनपुर में दलितों के खिलाफ जुल्म हुए। अब उन्हीं के खिलाफ बिना निष्पक्ष जांच किए आरोप पत्र भी दाखिल कर दिए। बीजेपी नेताओं को खुले छोड़ना सरकार और पुलिस के दोहरे चरित्र को दर्शाता है।

वहीं बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता डॉक्टर चंद्रमोहन ने कहा, 'सहारनपुर हिंसा के पीछे का सच सबके सामने पहले ही चुका हैं। किसी को बचाया नहीं जा रहा। बीजेपी या सरकार का पुलिस पर कोई दबाव नहीं हैं। निष्पक्ष जांच करने के निर्देश पहले ही डीजीपी और प्रमुख सचिव गृह दे चुके हैं। उसी के आधार पर जांच आगे बढ़ रही हैं।'

अगला लेख

Stateकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर
ट्रेंडिंग