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Rampur Loksabha Seat: नवाबों की रियासत रामपुर लोकसभा में आजम खान हैं बड़ा फैक्टर, UP की इस मुस्लिम बहुल सीट का हाल जानिए

रामपुर अब समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान के लिए जाना जाता है। लेकिन विकास की दौड़ में काफी पीछे रह गया है। 2019 में आजम खान यहां से जीतकर आए थे लेकिन इस बार के विधानसभा चुनाव में भी जीत हासिल करने की वजह से उन्होंने लोकसभा सदस्यता छोड़ दी, जिसके बाद यहां उपचुनाव हो रहा है। सपा से यहां आसिम रजा उम्मीदवार हैं, जबकि बीजेपी ने घनश्याम लोधी को प्रत्याशी बनाया है।

Curated byऐश्वर्य कुमार राय | नवभारतटाइम्स.कॉम 26 Jun 2022, 5:11 am
रामपुर: कभी नवाबों की रियासत के रूप में लोकप्रिय उत्तर प्रदेश के रामपुर से मौलाना अबुल कलाम आजाद पहले सांसद चुने गए थे। वह भारत सरकार के पहले शिक्षा मंत्री भी थे, जो हमेशा सामाजिक सौहार्द पर जोर देते थे। आज यह जिला ऐतिहासिक और सियासी रूप से काफी बदल चुका है। रामपुर अब समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान के लिए जाना जाता है। लेकिन विकास की दौड़ में काफी पीछे रह गया है। 2019 में आजम खान यहां से जीतकर आए थे लेकिन इस बार के विधानसभा चुनाव में भी जीत हासिल करने की वजह से उन्होंने लोकसभा सदस्यता छोड़ दी, जिसके बाद यहां उपचुनाव हो रहा है। सपा से यहां आसिम रजा उम्मीदवार हैं, जबकि बीजेपी ने घनश्याम लोधी को प्रत्याशी बनाया है।
नवभारतटाइम्स.कॉम रामपुर लोकसभा सीट
रामपुर लोकसभा सीट


एक के बाद एक 89 मुकदमों में जेल की सजा काट रहे आजम 27 महीनों बाद बाहर आए हैं। रामपुर के उपचुनाव में उन्होंने पूरा जोर लगा दिया है। रामपुर की हालात यह है कि 'ईज ऑफ लिविंग' इंडेक्स की सूची में रहने के लिहाज से देश का सबसे खराब शहर बन गया। 2014 में यहां की जनता ने विकास और रोजगार के नाम पर बीजेपी को मौका दिया और नेपाल सिंह सांसद चुने गए लेकिन जिले के हालात जस के तस हैं। पिछली बार यहां समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान ने बीजेपी की जया प्रदा को बड़े अंतर से हरा दिया था।

रामपुर लोकसभा सीट मुरादाबाद मंडल के अंदर आती है। मुस्लिम बहुल आबादी वाली इस सीट पर लंबे समय तक नवाब परिवार का कब्जा रहा है। पांच बार जुल्फिकार अली खान और दो बार उनकी बेगम नूरबानो सांसद चुनी गईं। फिलहाल यह सीट बीजेपी के पास है। इससे पहले 1998 में मुख्तार अब्बास नकवी और 1991 में राजेंद्र कुमार शर्मा सांसद रह चुके हैं। वहीं 2004 और 2009 में इस सीट से एसपी के समर्थन से जयाप्रदा सांसद चुनी गई थीं। तब उन्होंने कांग्रेस की नूर बानो को हराया था।

यूपी की मुस्लिम बाहुल्य सीट
रामपुर लोकसभा सीट के अंदर 5 विधानसभा सीटें हैं- सुआर, चमरउआ, बिलासपुर, रामपुर, मिलक। कहा जाता है कि पूरे यूपी में सबसे अधिक मुस्लिम जनसंख्या वाली सीट रामपुर ही है। प्रदेश में सर्वाधिक मुस्लिम बहुल जिला रामपुर ही है जहां 52 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है और बाकी की आबादी हिंदूओं की अगड़ी और पिछड़ी जातियों में बंटी हुई है। यहां हिंदू समुदाय के लोग अल्पसंख्यकों में आते हैं। रामपुर को पूरे उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाली जिला कहा जाता है, जो यहां के राजनीतिक मायनों को दिखाता है।

इस सीट की खासियत यह है कि यहां से पहले सांसद भारत के पहले शिक्षामंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद थे। इसके बाद यह सीट कई साल तक नवाब परिवार का कब्जा रहा है। पांच बार जुल्फिकार अली खान और दो बार उनकी बेगम नूरबानो सांसद चुनी गईं। फिलहाल इस सीट को अब एसपी के कद्दावर नेता आजम खान के लिए जाना जाता है। इस बार मुस्लिम वोटर किसका रुख करता है, यह देखना होगा।

सरकारें बदलीं हालात जस के तस
नवाबों के शहर के लिए मशहूर रामपुर में इस बार मुद्दा सफाई, बेरोजगारी और विकास का है। आजादी के बाद के सालों से यहां के हालात बदतर ही हुए हैं। पिछले चुनाव में यह सीट लकड़ी का कारोबार बंद होने से चर्चा में आई थी। 300 से ज्यादा पिलिंग मशीन बंद हो गई थी। उस वक्त जनता तत्कालीन एसपी सरकार से बेहद खफा थी। शायद यही वजह थी उसने बीजेपी को मौका दिया था लेकिन इस बार भी हालात सुधरे नहीं है किसी भी राजनीतिक दल के लिए यह सीट चुनौती से कम नहीं है।

आजम खान-अमर सिंह के बीच जंग की गवाह
यह सीट आजम खान बनाम अमर सिंह की लड़ाई का प्रमुख गवाह भी बन चुकी है। इस सीट पर राजनीतिक रोमांच तो हमेशा कायम रहा लेकिन विकास के लिहाज से रामपुर काफी पीछे छूट गया। यहां न सिटी बस सर्विस है और न ही अपशिष्ट निपटान (वेस्ट डिस्पोजल) की जगह। अन्य पब्लिक ट्रांसपोर्ट की हालत भी बेकार है। कुल मिलाकर रामपुर आधारभूत सुविधाओं की रेस में पिछड़ा हुआ है। केंद्रीय आवास और शहरी कार्य की लिस्ट में सामने आया था कि रामपुर के सवा तीन लाख निवासी रोजाना करीब 165 टन कूड़ा निकालते हैं।

2019 का वोट का गणित
कुल वोटर- 16,68,473
महिला- 7,71,074
पुरुष- 8,97,232

कब कौन रहा सांसद
-1952 अबुल कलम आजाद कांग्रेस
-1957 राजा सईद अहमद मेंहदी कांग्रेस
-1962 राजा सईद अहमद मेंहदी कांग्रेस
-1967 जुल्फिकार अली खां कांग्रेस
-1971 जुल्फिकार अली खां कांग्रेस
-1977 राजेंद्र कुमार शर्मा भारतीय लोकदल
-1980 जुल्फिकार अली खां कांग्रेस
-1984 जुल्फिकार अली खां कांग्रेस
-1989 जुल्फिकार अली खां कांग्रेस
-1991 राजेंद्र कुमार शर्मा बीजेपी
-1996 बेगम नूरबानो कांग्रेस
-1998 मुख्तार अब्बास नकवी बीजेपी
-1999 बेगम नूरबानो कांग्रेस
-2004 जयाप्रदा एसपी
-2009 जयाप्रदा एसपी
-2014 डॉ. नैपाल सिंह बीजेपी
- 2019 आजम खान
लेखक के बारे में
ऐश्वर्य कुमार राय
ऐश्वर्य कुमार राय नवभारत टाइम्स ऑनलाइन में बतौर प्रिंसिपल डिजिटल कॉन्टेंट प्रड्यूसर कार्यरत। गृहनगर पूर्वी उत्तर प्रदेश का गोरखपुर, जहां जन्म से लेकर स्कूल तक शिक्षा-दीक्षा हुई। ग्रैजुएशन दिल्ली यूनिवर्सिटी से करने के बाद भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC) से पत्रकारिता में पीजी-डिप्लोमा की पढ़ाई। पेशेवर सफर देश की एकमात्र त्रिभाषीय एजेंसी UNI-वार्ता से शुरू हुआ। फिर NBT के साथ आगे की यात्रा। दिल्ली और लखनऊ कर्मभूमि। यात्रा, सिनेमा, दर्शन, इतिहास में दिलचस्पी।... और पढ़ें

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