नोएडा
बुकिंग के समय दिखाए गए अप्रूव्ड बिल्डिंग प्लान में अब बदलाव करना आसान नहीं होगा। अगर बिल्डर कंप्लीशन सर्टिफिकेट के लिए अथॉरिटी में आवेदन के समय बिल्डिंग प्लान में बदलाव दिखाता है तो उसे पहले 2 तिहाई बायर्स की सहमति लेनी होगी। ऐसा नहीं करने पर प्लान में किसी भी तरह के बदलाव को अब रेरा के प्रावधान के तहत अवैध माना जाएगा। बिल्डर को ऐसे निर्माण तोड़ने होंगे। हाल में नोएडा अथॉरिटी में भी एक ऐसे प्रॉजेक्ट के लिए कंप्लीशन सर्टिफिकेट के लिए आवेदन आया, जिसमें बिल्डर ने अप्रूव्ड प्लान से अलग पार्किंग की जगह में अपने स्तर से बदलाव कर दिया। अब अथॉरिटी ने उसका आवेदन लौटा दिया है।
रेरा के प्रावधानों पर कड़ा रुख
बता दें कि नोएडा अथॉरिटी के पास इस समय 40 के करीब ऐसे प्रस्ताव लंबित हैं, जिनमें कंप्लीशन सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किए गए हैं। दरअसल, इन पर अथॉरिटी ने आपत्ति जताई थी। ऐसी आपत्तियों को दूर किया जा रहा था कि रेरा के प्रावधान लागू हो गए। अथॉरिटी के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि रेरा के प्रावधान एक मई, 2016 से देश भर में लागू हो गए। 27 अक्टूबर, 2016 को यूपी सरकार ने प्रदेश में रेरा को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया। 30 जुलाई, 2017 तक रेरा के तहत रेग्युलेटरी अथॉरिटी का गठन किया जाना था। 27 जुलाई, 2017 को शासन ने प्रमुख सचिव आवास मुकुल सिंघल को रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी का अध्यक्ष मनोनीत कर दिया। अब रेरा के तहत अकेले जिला गौतमबुद्ध नगर से 600 से ज्यादा प्रॉजेक्ट रजिस्टर्ड हो चुके हैं।
अब अथॉरिटी जितने भी प्रॉजेक्ट का कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी कर रही है उनमें बिल्डिंग प्लान में बदलाव के मामलों को गंभीरता से देखा जा रहा है। नोएडा अथॉरिटी के अडिशनल सीईओ अटल कुमार राय ने बताया कि रेरा के प्रावधानों को सख्ती से लागू किया जा रहा है। अब जिन्हें भी कंप्लीशन सर्टिफिकिट जारी किए जा रहे हैं उनमें बुकिंग के समय बताए गए प्लान में बदलाव के लिए पहले 2 तिहाई बायर्स की सहमति प्राप्त करने के लिए कहा जा रहा है। उसके बिना कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी नहीं होगा।
रेरा लागू होने के बाद रजिस्ट्री पर सवाल
अडिशनल सीईओ अटल कुमार राय ने बताया कि रेरा लागू होने के बाद अब प्रॉजेक्ट में बुकिंग कार्पेट एरिया के आधार पर होगी। इससे पहले बायर्स ने जो बुकिंग सुपर एरिया के आधार पर कराई थी, उनकी रजिस्ट्री को लेकर सवाल खड़ा हो गया है। शासन को पत्र भेजकर पूछा गया है कि जिन बायर्स ने सुपर एरिया के हिसाब से बुकिंग कराई हुई है उनकी रजिस्ट्री कार्पेट एरिया के हिसाब से कराई जाए या सुपर एरिया के हिसाब से? यदि शासन कार्पेट एरिया के हिसाब से बुकिंग कराता है तब फ्लैट वाइज रजिस्ट्री की दरें भी उसी हिसाब से होंगी।
बुकिंग के समय दिखाए गए अप्रूव्ड बिल्डिंग प्लान में अब बदलाव करना आसान नहीं होगा। अगर बिल्डर कंप्लीशन सर्टिफिकेट के लिए अथॉरिटी में आवेदन के समय बिल्डिंग प्लान में बदलाव दिखाता है तो उसे पहले 2 तिहाई बायर्स की सहमति लेनी होगी। ऐसा नहीं करने पर प्लान में किसी भी तरह के बदलाव को अब रेरा के प्रावधान के तहत अवैध माना जाएगा। बिल्डर को ऐसे निर्माण तोड़ने होंगे। हाल में नोएडा अथॉरिटी में भी एक ऐसे प्रॉजेक्ट के लिए कंप्लीशन सर्टिफिकेट के लिए आवेदन आया, जिसमें बिल्डर ने अप्रूव्ड प्लान से अलग पार्किंग की जगह में अपने स्तर से बदलाव कर दिया। अब अथॉरिटी ने उसका आवेदन लौटा दिया है।
रेरा के प्रावधानों पर कड़ा रुख
बता दें कि नोएडा अथॉरिटी के पास इस समय 40 के करीब ऐसे प्रस्ताव लंबित हैं, जिनमें कंप्लीशन सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किए गए हैं। दरअसल, इन पर अथॉरिटी ने आपत्ति जताई थी। ऐसी आपत्तियों को दूर किया जा रहा था कि रेरा के प्रावधान लागू हो गए। अथॉरिटी के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि रेरा के प्रावधान एक मई, 2016 से देश भर में लागू हो गए। 27 अक्टूबर, 2016 को यूपी सरकार ने प्रदेश में रेरा को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया। 30 जुलाई, 2017 तक रेरा के तहत रेग्युलेटरी अथॉरिटी का गठन किया जाना था। 27 जुलाई, 2017 को शासन ने प्रमुख सचिव आवास मुकुल सिंघल को रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी का अध्यक्ष मनोनीत कर दिया। अब रेरा के तहत अकेले जिला गौतमबुद्ध नगर से 600 से ज्यादा प्रॉजेक्ट रजिस्टर्ड हो चुके हैं।
अब अथॉरिटी जितने भी प्रॉजेक्ट का कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी कर रही है उनमें बिल्डिंग प्लान में बदलाव के मामलों को गंभीरता से देखा जा रहा है। नोएडा अथॉरिटी के अडिशनल सीईओ अटल कुमार राय ने बताया कि रेरा के प्रावधानों को सख्ती से लागू किया जा रहा है। अब जिन्हें भी कंप्लीशन सर्टिफिकिट जारी किए जा रहे हैं उनमें बुकिंग के समय बताए गए प्लान में बदलाव के लिए पहले 2 तिहाई बायर्स की सहमति प्राप्त करने के लिए कहा जा रहा है। उसके बिना कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी नहीं होगा।
रेरा लागू होने के बाद रजिस्ट्री पर सवाल
अडिशनल सीईओ अटल कुमार राय ने बताया कि रेरा लागू होने के बाद अब प्रॉजेक्ट में बुकिंग कार्पेट एरिया के आधार पर होगी। इससे पहले बायर्स ने जो बुकिंग सुपर एरिया के आधार पर कराई थी, उनकी रजिस्ट्री को लेकर सवाल खड़ा हो गया है। शासन को पत्र भेजकर पूछा गया है कि जिन बायर्स ने सुपर एरिया के हिसाब से बुकिंग कराई हुई है उनकी रजिस्ट्री कार्पेट एरिया के हिसाब से कराई जाए या सुपर एरिया के हिसाब से? यदि शासन कार्पेट एरिया के हिसाब से बुकिंग कराता है तब फ्लैट वाइज रजिस्ट्री की दरें भी उसी हिसाब से होंगी।