नोएडा
न्यूरोलॉजिकल बीमारी से पीड़ितरुद्राक्ष के लिए अच्छी खबर है। एनबीटी की खबर पर तमाम लोगों ने मदद का हाथ बढ़ाया। अब नोएडा के 3 साल के बच्चे के इलाज में मदद के लिए अमेरिका का एक एनजीओ आगे आया है। बच्चे को लगने वाला 18 करोड़ रुपये का इंजेक्शन एनजीओ की तरफ से मुफ्त में दिल्ली के एक अस्पताल में लगवाया जाएगा। साथ ही बच्चे के लिए दान किए गए पैसों से परिवार इलाज का खर्च पूरा करेगा। रुद्राक्ष को स्पाइनल मस्क्युलर अट्रोफी-2 बीमारी है। यह एक आनुवंशिक बीमारी है। रुद्राक्ष को 18 करोड़ रुपये का इंजेक्शन लगना है। जब वह 10 महीने का था तो बीमारी के बारे में पता चला था। पिता कपिल बैसोया ने बताया कि जिस अस्पताल में बेटे का इलाज चल रहा है, वहां पर अमेरिका के एनजीओ ने इस बीमारी से संबंधित इलाज के लिए कुछ बच्चों को शॉर्ट लिस्ट किया है। इस प्रक्रिया में उनके बेटे को शामिल किया गया है। जब तक बच्चा पूरी तरह से ठीक नहीं होगा तब तक ये इंजेक्शन लगते रहेंगे। परिवार के सदस्यों ने एनबीटी का आभार जताया है। एनबीटी में खबर छपने के बाद बच्चे की मदद के लिए बहुत से लोग आगे आए हैं।
क्या है रुद्राक्ष की कहानी
नोएडा के सेक्टर-49 के बरौला में रुद्राक्ष का परिवार रहता है। इलाज ना मिलने से रुद्राक्ष बैसोया की तबीयत दिन-प्रतिदिन बिगड़ रही है। परिवार के सदस्य मदद के लिए पीएम, सीएम, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, सांसद और जिले के तीनों विधायकों से गुहार लगाई थी। डॉक्टरों ने इंजेक्शन लगाने के लिए जून के पहले सप्ताह की तारीख तय की है। रुद्राक्ष के पिता कपिल बैसोया का कहना है कि उनके बेटे के गले में बलगम जमा हो रहा है। इससे उसे सांस लेने में दिक्कत होती है। तीन साल की उम्र में बच्चा घर पर ऑक्सिजन के भरोसे रह रहा है। रात के समय सांस लेने में उसे ज्यादा दिक्कत होती है।
एनबीटी पर रुद्राक्ष के लिए मदद की अपील के बाद लोगों ने हाथ बढ़ाया। डोनेशन के जरिए परिवार के पास 1 करोड़ 33 लाख रुपये इकट्ठा हो चुके थे। बच्चे के इलाज के लिए दोस्तों और समाज से जुड़े लोगों के साथ-साथ मंदिर और गांवों में भी लोगों ने मदद का हाथ बढ़ाया। अब अमेरिका के एक एनजीओ ने उसके इलाज के लिए 18 करोड़ के इंजेक्शन का खर्च उठाने की पहल की है।
क्या है स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी-2 बीमारी
यह बच्चों में पाई जाने वाली एक आनुवंशिक बीमारी है। बच्चों में यह पैदा होने के साथ ही होती है। स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी से पीड़ित बच्चों में SNM-1 जीन नहीं होता है। इसके चलते बच्चा ना तो खड़ा हो पाता है, ना ही सीधा बैठ पाता है। वहीं गर्दन में भी झुकाव रहता है। बीमारी से पीड़ित बच्चों के हाथ-पैर ठीक से काम नहीं करते हैं। बच्चों की मांसपेशियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि वह हिलने-डुलने लायक भी नहीं रहते हैं। पहले इस बीमारी में 25 लाख की वैक्सीन का डोज लगता था लेकिन वह प्रभावी नहीं थी। डेढ़ साल पहले ब्रिटेन ने वैक्सीन ईजाद की लेकिन वह बहुत महंगी है।
न्यूरोलॉजिकल बीमारी से पीड़ितरुद्राक्ष के लिए अच्छी खबर है। एनबीटी की खबर पर तमाम लोगों ने मदद का हाथ बढ़ाया। अब नोएडा के 3 साल के बच्चे के इलाज में मदद के लिए अमेरिका का एक एनजीओ आगे आया है। बच्चे को लगने वाला 18 करोड़ रुपये का इंजेक्शन एनजीओ की तरफ से मुफ्त में दिल्ली के एक अस्पताल में लगवाया जाएगा। साथ ही बच्चे के लिए दान किए गए पैसों से परिवार इलाज का खर्च पूरा करेगा।
क्या है रुद्राक्ष की कहानी
नोएडा के सेक्टर-49 के बरौला में रुद्राक्ष का परिवार रहता है। इलाज ना मिलने से रुद्राक्ष बैसोया की तबीयत दिन-प्रतिदिन बिगड़ रही है। परिवार के सदस्य मदद के लिए पीएम, सीएम, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, सांसद और जिले के तीनों विधायकों से गुहार लगाई थी। डॉक्टरों ने इंजेक्शन लगाने के लिए जून के पहले सप्ताह की तारीख तय की है। रुद्राक्ष के पिता कपिल बैसोया का कहना है कि उनके बेटे के गले में बलगम जमा हो रहा है। इससे उसे सांस लेने में दिक्कत होती है। तीन साल की उम्र में बच्चा घर पर ऑक्सिजन के भरोसे रह रहा है। रात के समय सांस लेने में उसे ज्यादा दिक्कत होती है।
एनबीटी पर रुद्राक्ष के लिए मदद की अपील के बाद लोगों ने हाथ बढ़ाया। डोनेशन के जरिए परिवार के पास 1 करोड़ 33 लाख रुपये इकट्ठा हो चुके थे। बच्चे के इलाज के लिए दोस्तों और समाज से जुड़े लोगों के साथ-साथ मंदिर और गांवों में भी लोगों ने मदद का हाथ बढ़ाया। अब अमेरिका के एक एनजीओ ने उसके इलाज के लिए 18 करोड़ के इंजेक्शन का खर्च उठाने की पहल की है।
क्या है स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी-2 बीमारी
यह बच्चों में पाई जाने वाली एक आनुवंशिक बीमारी है। बच्चों में यह पैदा होने के साथ ही होती है। स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी से पीड़ित बच्चों में SNM-1 जीन नहीं होता है। इसके चलते बच्चा ना तो खड़ा हो पाता है, ना ही सीधा बैठ पाता है। वहीं गर्दन में भी झुकाव रहता है। बीमारी से पीड़ित बच्चों के हाथ-पैर ठीक से काम नहीं करते हैं। बच्चों की मांसपेशियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि वह हिलने-डुलने लायक भी नहीं रहते हैं। पहले इस बीमारी में 25 लाख की वैक्सीन का डोज लगता था लेकिन वह प्रभावी नहीं थी। डेढ़ साल पहले ब्रिटेन ने वैक्सीन ईजाद की लेकिन वह बहुत महंगी है।