- दोनों कंपनियों का प्रस्ताव आज NSDL या CDSL की वेबसाइट पर आएगा
- 10 से 16 दिसंबर तक चलेगी वोटिंग, 21 को सीओसी एनसीएलटी को देगी रिपोर्ट
- 66 पर्सेंट वोटिंग के बाद ही किसी कंपनी का नाम होगा तय, बैंकों का रोल अहम रहेगा
- बायर्स का रुख एनबीसीसी के साथ, 12 बैंकों में IDBI निभाएगा बड़ी भूमिका
- 22 हजार फ्लैट जेपी इंफ्राटेक में फंसे हैं, 13 हजार वोटर लिस्ट में हैं होम बायर्स
- 9 हजार गुमनाम इंवेस्टर हैं, होम बायर्स के पास इनका रेकॉर्ड उपलब्ध नहीं है
Pravesh.Singh
@timesgroup.com
नोएडाः जेपी इंफ्राटेक के बायर्स का भविष्य 21 दिसंबर को तय हो जाएगा। नैशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन (NBCC) लिमिटेड और सुरक्षा रियल्टी लिमिटेड ने प्रॉजेक्ट पूरा करने को लेकर अपना अंतिम प्रस्ताव तैयार कर लिया है। सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड (CDSL) या नैशनल सिक्युरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) की वेबसाइट पर आज यह प्रस्ताव अपलोड किया जाएगा। 22 हजार बायर्स में से 13 हजार बायर्स और बैंकों को सोमवार से वोटिंग का अधिकार मिलेगा। वोट देने के लिए 3 विकल्प मिलेंगे। 66 पर्सेंट वोटिंग के बाद प्रॉजेक्ट पूरा करने वाली कंपनी का चुनाव किया जाएगा। 10 से 16 दिसंबर वोटिंग का मौका होगा। 21 दिसंबर को कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स (COC) नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) को वोटिंग की रिपोर्ट सौंपेगी। अगर 21 तक फाइनल रिपोर्ट सीओसी ने नहीं दी तो जेपी इंफ्राटेक दिवालिया हो सकता है।
बायर्स असोसिएशन से जुड़े अजय कौल ने बताया कि कि वोटिंग के लिए 3 विकल्प होंगे। एनीबीसीसी, सुरक्षा और तीसरा विकल्प एनबीसी व सुरक्षा दोनों। इसमें यह शर्त रखी गई है कि अगर तीसरे विकल्प पर होम बायर्स की वोटिंग ज्यादा होती है तो जिस तरफ बैंक जाएंगे, उनमें से किसी एक को चुन लिया जाएगा। जेपी होम बायर असोसिएशन को लीड कर रहे उमेश का कहना है कि 10 से 16 दिसंबर का समय बायर्स व बैंकों को एकजुट होकर वोटिंग के लिए महत्वपूर्ण है। यह अंतिम मौका है, जिसमें उन्हें एकमत होकर वेटिंग करनी है। अगर किसी एक प्रस्ताव पर बायर्स व बैंकों की वोटिंग का बहुमत नहीं बनता है तो आगे के हालात में जेपी इंफ्राटेक के दिवालिया होने के ज्यादा चांस हैं।
\Bदिवालिया होने का नुकसान\B
एनसीएलटी की रिपोर्ट के आधार पर जेपी इंफ्राटेक दिवालिया घोषित किया जाएगा। अगर जेपी दिवालिया हुआ तो बायर्स का संघर्ष और बढ़ेगा। घर मिलने के चांस बेहद कम हो जाएंगे। दिवालिया श्रेणी में बायर्स की हिस्सेदारी को प्राथमिकता में नहीं रखा गया है। ऐसे में अब किसी एक विकल्प पर 66 पर्सेंट से ज्यादा वोटिंग ही बायर्स को उनके फ्लैट की राह आसान कर सकती है।
\Bयह है मामला\B
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने सीओसी को 90 दिन का समय दिया था कि वह अपने स्तर से तय कर लें कि जेपी के अधूरे प्रॉजेक्ट किससे पूरा कराना चाहते हैं। अन्यथा 90 दिन के बाद जेपी इंफ्राटेक को दिवालिया घोषित कर दिया जाएगा। कोर्ट के आदेश के 45 दिन में 21 दिसंबर तक सीओसी को तय करके अपनी रिपोर्ट एनसीएलटी में सौंपनी है। आगे के 45 दिन एनसीएलटी को विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने में लगेंगे।
\Bएनबीसीसी का प्रस्ताव\B
- घर बनाकर साढ़े 3 साल में पजेशन देंगे
- यमुना एक्सप्रेसवे और जेपी की 1526 एकड़ जमीन बैंकों को देंगे
- जमीन के बदले मिले 2500 करोड़ रुपये से कंस्ट्रक्शन शुरू कराएंगे
- 120 करोड़ रुपये शुरू में अपनी ओर से इंवेस्ट करेंगे, जिससे जल्दी काम हो
- पजेशन में देरी के लिए बायर्स को क्षतिपूर्ति नहीं दी जाएगी
\Bसुरक्षा का प्रस्ताव\B
- घर बनाकर 3 साल में पजेशन देंगे
- 2226 एकड़ जमीन बैंक को देकर फंड जुटाएंगे
- यमुना एक्सप्रेसवे के टोल वसूली को कंस्ट्रक्शन में लगाएंगे
- 190 करोड़ रुपये अपनी तरफ से इंवेस्ट कर काम शुरू करेंगे
- 250 करोड़ रुपये बायर्स को पजेशन में देरी की क्षतिपूर्ति देंगे