एनबीटी ब्यूरो, लखनऊ : राज्य सरकार ने फैसला किया है कि नदी तल से बालू और मौरंग निकालने के अल्पकालीन और दीर्घकालीन खनन पट्टों का नवीनीकरण नहीं किया जाएगा। हर तरह के पट्टे ई-नीलामी के जरिए दिए जाएंगे। अवैध खनन का दोषी पाए जाने पर पांच साल की सजा और पांच लाख रुपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से जुर्माना वसूला जाएगा। उप्र उप खनिज (परिहार) नियमावली-1963 में संशोधन कर खनन पट्टों के नवीनीकरण की व्यवस्था खत्म करने के साथ ही सजा का प्रावधान किया गया है। इस संबंध में राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है।
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि केन्द्र सरकार ने खनिज रियायत नियमावली -1960 में संशोधन किया है। इसके मुताबिक खनन की योजना बनाने वाले के लिए जरूरी है कि वह इंजीनियरिंग में स्नातक या फिर भूविज्ञान में परा स्नातक हो। साथ ही उसके लिए खनन क्षेत्र में पांच साल काम करने के अनुभव जरूरी है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश के मुताबिक सभी उप खनिजों की खनन योजना में केंद्र सरकार के इन संशोधनों को शामिल किया जाना जरूरी है।
पुरानी नियमावली में था कि अगर कोई पट्टेदार राज्य सरकार को भुगतान में देर करता है, तो उससे देर से किए गए भुगतान पर 24 प्रतिशत हर साल के हिसाब से साधारण ब्याज लिया जाएगा। संशोधित नियमावली में ब्याज की दर 18 फीसदी कर दी गई है।