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लंदन से भारत वापस आ रही है योगिनी वृषानना की मूर्ति, चित्रकूट और बांदा के गांवों के दावे से उपजा विवाद

चित्रकूट धाम के लोखरी गांव की तृष्णा योगिनी वृषानना मूर्ति की छह फरवरी 1986 को चोरी हुई थी। इसे भारत वापस लाने के प्रयास 2001 से हो रहे थे और 12 साल बाद इसकी भारत वापसी हुई थी। इसका अनावरण 19 सितंबर 2013 को राष्ट्रीय संग्रहालय में किया गया। पहले पहले इस मूर्ति को बांदा के लोखरी गांव का बताया गया था।

guest Anil-Singh | Lipi 14 Dec 2021, 12:11 am
अनिल सिंह, बांदा
नवभारतटाइम्स.कॉम लंदन में बरामद हुई योगिनी की मूर्ति
लंदन में बरामद हुई योगिनी की मूर्ति

उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड के बांदा जिले में बड़ी संख्या में प्राचीन दुर्लभ देवी-देवताओं की मूर्तियां चोरी हुई हैं। इनमें से एक मूर्ति 9 साल पहले ही फ्रांस से भारत पहुंची थी। वहीं अब लंदन में बरामद हुई योगिनी देवी की मूर्ति जनपद बांदा के लोहारी गांव की बताई जा रही है। पहले इस मूर्ति को लोखरी गांव का बताया गया था। जनपद बांदा के अतर्रा तहसील अंतर्गत पुनाहुर गांव के निवासी और अखिल भारतीय बुंदेलखंड विकास मंच के सचिव नसीर अहमद सिद्दीकी ने दावा किया कि चित्रकूट के लोखरी गांव की योगिनी देवी की प्रतिमा को फ्रांस से लाने के बाद 19 सितंबर 2013 को राष्ट्रीय संग्रहालय दिल्ली में रखा गया था और इसकी प्रदर्शनी भी लगाई गई थी।

वह बताते हैं कि चित्रकूट धाम के लोखरी गांव की तृष्णा योगिनी वृषानना मूर्ति की छह फरवरी 1986 को चोरी हुई थी। जो तस्करी के जरिये इंग्लैंड के रास्ते फ्रांस पहुंच गई थी। इसे रॉबर्ट श्रिम्पफ द्वारा अधिग्रहित किया गया था। रॉबर्ट की मृत्यु के पश्चात जब उसकी पत्नी को पता चला कि उक्त मूर्ति का सम्बंध तंत्र-मंत्र भूत-प्रेत बाधा से है तो उसने इसे पेरिस में भारतीय दूतावास को दान स्वरूप वापस करने का फैसला किया। साल 2008 में, मूर्तिकला को दूतावास में लाया गया, जहां यह चार साल तक रहा।

उन्होंने बताया कि तत्कालीन संस्कृति मंत्री चंद्रेश कुमारी कटोच के पेरिस दौरा के दौरान मूर्ति को वापस भेजने की व्यवस्था की गई थी। इसे भारत वापस लाने में 2001 से 12 साल लग गए थे। इसका अनावरण 19 सितंबर 2013 को राष्ट्रीय संग्रहालय में किया गया। पहले इस मूर्ति को बांदा के लोखरी गांव का बताया गया था। बाद में नाम की चिट बदलकर उत्तर प्रदेश के बस्ती का दर्शाया गया, जिसका हमने न सिर्फ विरोध किया बल्कि लिखित शिकायत दर्ज कराई थी।

इधर जब रविवार को लंदन से योगिनी की मूर्ति भारत लाने की खबर सुर्खियां बनी तब बांदा के लोहारी गांव के लोगों ने दावा किया कि यह मूर्ति चित्रकूट के लोखारी गांव की नहीं बल्कि बांदा के लोहारी गांव की है। तिंदवारी थाना क्षेत्र के लोहारी गांव के बुजुर्ग 85 वर्षीय राम सजीवन ने दावा किया कि अंग्रेजों के शासन के पहले तक यह मूर्ति मंदिर में थी। इसके बाद से ही गायब हुई है। ऐसा उनके पूर्वज बताया करते थे। उनके मुताबिक यहां के एक टीले में बना वह मंदिर नष्ट हो गया था।

उसी स्थान पर एक छोटा-सा मंदिर बनाकर आज भी पूजा-अर्चना हो रही है। वहीं भारत की खोई हुई मूर्तियों और कलाकृतियों को स्थापित कराने के काम में जुटे इंडिया प्राइड प्रोजेक्ट के सह संस्थापक विजय कुमार ने भी दावा किया है कि इस मूर्ति को लाने के लिए काफी समय से प्रयासरत थे और अब जल्दी ही यह मूर्ति भारत आ जाएगी।

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