अनिल सिंह, बांदा
जिले और क्षेत्र के विकास के लिए लोग आंदोलन करते हैं। धरना प्रदर्शन करते हैं, फिर भी उनकी मांग पूरी नहीं होती। परंतु बांदा के आरटीआई कार्यकर्ता कुलदीप शुक्ला ने आरटीआई को अपना हथियार बनाया और इसी के बूते न सिर्फ जिले की कई विकास योजनाओं को पूरा कराया, बल्कि 15 साल के कठिन परिश्रम से 5000 से अधिक आरटीआई सूचना मांग कर एक रिकॉर्ड बनाया। 15 साल में मांगी करीब 5000 सूचनाएं
सूचना के अधिकार को भ्रष्टाचार के खिलाफ हथियार बनाने और विकास के दीप जलाने वाले कुलदीप शुक्ला, लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत है। इन्होंने पिछले 15 वर्षों में लगभग 5000 सूचनाएं मांगी और इन्हें सफलता भी मिली। शिक्षक के पुत्र कुलदीप शुक्ला का रुझान छात्र जीवन से ही समाज सेवा की और था। उन्होंने स्नातक की पढ़ाई करने के बाद विभिन्न समाज सेवा के कार्यों में हिस्सा लेना शुरू किया। जिले के विकास के लिए लगभग सभी सरकारी विभागों में दस्तक दी, प्रार्थना पत्र दिए लेकिन हर जगह निराशा हाथ लगी। इसके बाद भी वह चुप नहीं बैठे और आरटीआई के माध्यम से सूचनाएं मांगनी शुरू की, कुछ ही दिनों में सफलता कदम चूमने लगी।
हाथ में बैग और पोस्टल आर्डर बने पहचान
इनको पहली सफलता तब मिली जब 24 अप्रैल 2007 को उन्होंने कचहरी रेलवे क्रॉसिंग पर ओवरब्रिज निर्माण की मांग की, उनकी यह मांग पूरी हुई यहीं से उनकी उनका आरटीआई से सूचना मांगने का अभियान शुरू हो गया। आज हाथ में बैग और उसमें भरे पोस्टल आर्डर इस समाजसेवी की पहचान बन चुकी है।
इनके प्रयास से यह महत्वपूर्ण विकास हुए
कुलदीप शुक्ला ने प्रदेश के राज्यपाल से जैन समुदाय अल्पसंख्यक में शामिल किए जाने की सूचना मांगी। बांदा शहर में एफएम रेडियो रेलवे स्टेशन बनाना, गरीब रथ का स्टॉपेज, उत्तर प्रदेश की सहकारिता संस्थाओं को आरटीआई एक्ट की सीमा में लाना, इनके ही अथक प्रयास के कारण संभव हो सका। कुलदीप शुक्ला के उत्कृष्ट कार्य के लिए कई बार उन्हें सम्मानित भी किया गया है।
जानिये क्या है कुलदीप का संकल्प?
समाजसेवी कुलदीप शुक्ला का कहना है कि वह जब तक जीवित रहेंगे, तब तक उनका यह मिशन जारी रहेगा । विकास से पिछड़े बुंदेलखंड को बहुमुंखी विकास तक ले जाने तथा भ्रष्टाचार मिटाने के लिए प्रत्येक बुंदेलखंड वासी को जागृत करने का काम करूंगा, क्योंकि आरटीआई के बारे में अभी भी आम जनमानस को जागृत करने व प्रशिक्षण की आवश्यकता है।
जिले और क्षेत्र के विकास के लिए लोग आंदोलन करते हैं। धरना प्रदर्शन करते हैं, फिर भी उनकी मांग पूरी नहीं होती। परंतु बांदा के आरटीआई कार्यकर्ता कुलदीप शुक्ला ने आरटीआई को अपना हथियार बनाया और इसी के बूते न सिर्फ जिले की कई विकास योजनाओं को पूरा कराया, बल्कि 15 साल के कठिन परिश्रम से 5000 से अधिक आरटीआई सूचना मांग कर एक रिकॉर्ड बनाया।
सूचना के अधिकार को भ्रष्टाचार के खिलाफ हथियार बनाने और विकास के दीप जलाने वाले कुलदीप शुक्ला, लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत है। इन्होंने पिछले 15 वर्षों में लगभग 5000 सूचनाएं मांगी और इन्हें सफलता भी मिली। शिक्षक के पुत्र कुलदीप शुक्ला का रुझान छात्र जीवन से ही समाज सेवा की और था। उन्होंने स्नातक की पढ़ाई करने के बाद विभिन्न समाज सेवा के कार्यों में हिस्सा लेना शुरू किया। जिले के विकास के लिए लगभग सभी सरकारी विभागों में दस्तक दी, प्रार्थना पत्र दिए लेकिन हर जगह निराशा हाथ लगी। इसके बाद भी वह चुप नहीं बैठे और आरटीआई के माध्यम से सूचनाएं मांगनी शुरू की, कुछ ही दिनों में सफलता कदम चूमने लगी।
हाथ में बैग और पोस्टल आर्डर बने पहचान
इनको पहली सफलता तब मिली जब 24 अप्रैल 2007 को उन्होंने कचहरी रेलवे क्रॉसिंग पर ओवरब्रिज निर्माण की मांग की, उनकी यह मांग पूरी हुई यहीं से उनकी उनका आरटीआई से सूचना मांगने का अभियान शुरू हो गया। आज हाथ में बैग और उसमें भरे पोस्टल आर्डर इस समाजसेवी की पहचान बन चुकी है।
इनके प्रयास से यह महत्वपूर्ण विकास हुए
कुलदीप शुक्ला ने प्रदेश के राज्यपाल से जैन समुदाय अल्पसंख्यक में शामिल किए जाने की सूचना मांगी। बांदा शहर में एफएम रेडियो रेलवे स्टेशन बनाना, गरीब रथ का स्टॉपेज, उत्तर प्रदेश की सहकारिता संस्थाओं को आरटीआई एक्ट की सीमा में लाना, इनके ही अथक प्रयास के कारण संभव हो सका। कुलदीप शुक्ला के उत्कृष्ट कार्य के लिए कई बार उन्हें सम्मानित भी किया गया है।
जानिये क्या है कुलदीप का संकल्प?
समाजसेवी कुलदीप शुक्ला का कहना है कि वह जब तक जीवित रहेंगे, तब तक उनका यह मिशन जारी रहेगा । विकास से पिछड़े बुंदेलखंड को बहुमुंखी विकास तक ले जाने तथा भ्रष्टाचार मिटाने के लिए प्रत्येक बुंदेलखंड वासी को जागृत करने का काम करूंगा, क्योंकि आरटीआई के बारे में अभी भी आम जनमानस को जागृत करने व प्रशिक्षण की आवश्यकता है।