कुशीनगर
भारत के पड़ोसी देश भूटान की राजकुमारी डेक्कन वांगमो वांगचुक अपनी दो दिवसीय धार्मिक यात्रा पर 10 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल के साथ शुक्रवार को कुशीनगर पहुंचीं। जिला प्रशासन द्वारा उन्हें विशेष सुरक्षा बंदोबस्त के बीच कसया स्थित एक निजी होटल पहुंचाया गया, जहां उनके ठहरने की व्यवस्था की गई थी। उन्होंने शनिवार की सुबह परिनिर्वाण स्थली समेत अन्य मंदिरो में पूजा-अर्चना की।
परिनिर्वाण स्थली पर भगवान बुद्ध की लेटी हुई प्रतिमा पर चीवर चढ़ाने के बाद राजकुमारी वांगचुक ने विश्व शांति के लिए प्रार्थना की। तिब्बत और भूटान के बौद्ध रीति रिवाज के अनुसार, राजकुमारी ने महायाना विधि से भगवान बुद्ध की विशेष पूजा की। उन्होंने अपने देश भूटान की सुख और समृद्धि के लिए अपने साथ लाई खाने की विशेष सामग्री खाता चढ़ाई। मुख्य मंदिर में दो घंटे तक पूजा करने के बाद राजकुमारी वांगचुक भगवान बुद्ध के अंतेष्टि स्थल रामाभार स्तूप पहुंचीं, जहां उन्होंने भूटान के रीति-रिवाज से पूजा की। मंदिर के मुख्य पुजारी भंते अशोक ने विधि-विधान से पूजा सम्पन्न कराई। इस दौरान भूटान की राजकुमारी ने धार्मिक यात्रा का हवाला देते हुए मीडिया से दूरी बनाए रखी।
बता दें कि कुशीनगर बाद राजकुमारी रविवार को भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी पहुंचेंगी। राजकुमारी वांगचुक को पूजा कराने वाले बौद्ध भिक्षु भंते अशोक ने बताया कि राजकुमारी ने भूटान के रीति रिवाज से विश्व शांति के लिए भगवान बुद्ध की विशेष पूजा की है।
भारत के पड़ोसी देश भूटान की राजकुमारी डेक्कन वांगमो वांगचुक अपनी दो दिवसीय धार्मिक यात्रा पर 10 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल के साथ शुक्रवार को कुशीनगर पहुंचीं। जिला प्रशासन द्वारा उन्हें विशेष सुरक्षा बंदोबस्त के बीच कसया स्थित एक निजी होटल पहुंचाया गया, जहां उनके ठहरने की व्यवस्था की गई थी। उन्होंने शनिवार की सुबह परिनिर्वाण स्थली समेत अन्य मंदिरो में पूजा-अर्चना की।
परिनिर्वाण स्थली पर भगवान बुद्ध की लेटी हुई प्रतिमा पर चीवर चढ़ाने के बाद राजकुमारी वांगचुक ने विश्व शांति के लिए प्रार्थना की। तिब्बत और भूटान के बौद्ध रीति रिवाज के अनुसार, राजकुमारी ने महायाना विधि से भगवान बुद्ध की विशेष पूजा की। उन्होंने अपने देश भूटान की सुख और समृद्धि के लिए अपने साथ लाई खाने की विशेष सामग्री खाता चढ़ाई। मुख्य मंदिर में दो घंटे तक पूजा करने के बाद राजकुमारी वांगचुक भगवान बुद्ध के अंतेष्टि स्थल रामाभार स्तूप पहुंचीं, जहां उन्होंने भूटान के रीति-रिवाज से पूजा की। मंदिर के मुख्य पुजारी भंते अशोक ने विधि-विधान से पूजा सम्पन्न कराई। इस दौरान भूटान की राजकुमारी ने धार्मिक यात्रा का हवाला देते हुए मीडिया से दूरी बनाए रखी।
बता दें कि कुशीनगर बाद राजकुमारी रविवार को भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी पहुंचेंगी। राजकुमारी वांगचुक को पूजा कराने वाले बौद्ध भिक्षु भंते अशोक ने बताया कि राजकुमारी ने भूटान के रीति रिवाज से विश्व शांति के लिए भगवान बुद्ध की विशेष पूजा की है।