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वादों और दावों के बीच बेरोजगार थे प्रवासी श्रमिक, फिर लौट रहे 'पराए देश'

कोरोना वायरस के बीच प्रवासी मजदूर अपने राज्य को लौट आए थे। प्रदेश सरकार की ओर से भरोसा दिया गया कि मजदूरों को उनके कौशल के अनुरूप काम मुहैया कराया जाएगा। हालांकि, ऐसा नहीं हो सका। मजदूर अब वापस लौट रहे हैं।

Lipi 21 Jul 2020, 11:38 pm
हरदोई
नवभारतटाइम्स.कॉम वापस लौट रहे हैं प्रवासी मजदूर
वापस लौट रहे हैं प्रवासी मजदूर

कोरोना वायरस (Coronavirus Latest News India) के बीच जब लॉकडाउन (Lockdown) हुआ तो प्रवासी मजदूर, श्रमिक अलग-अलग राज्यों से मजबूरन वापस उत्तर प्रदेश लौटने लगे। इन श्रमिकों को काम देने के लिए शासन की ओर से निर्देश दिए गए। प्रशासन ने दावा भी किया कि इन श्रमिकों को काम उपलब्ध कराया जा रहा है लेकिन असल में यह सब हवाहवाई था। अपने हुनर के मुताबिक काम न मिलने से हताश प्रवासी श्रमिक वापस लौट रहे हैं।

सरकार ने गैर प्रांत में फंसे मजदूरों के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए। इन मजदूरों को ट्रेनों और बसों से वापस लाया गया। सभी मजदूरों व उनके परिवार का परीक्षण किया गया। सभी क्वारंटीन किया गया। दस से चौदह दिनों तक रखने के बाद उन्हें राशन दिया गया और उनके घरों तक छोड़ दिया गया। हालांकि, कुछ जगहों तो इस बात की भी खबरें आईं थीं कि उनका टेस्ट ही नहीं किया गया। इस बात पर प्रवासी श्रमिकों ने नाराजगी भी जताई।

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प्रशासन की ओर से किया गया यह दावा
लॉकडाउन के दौरान हरदोई जिले में करीब 90 हजार प्रवासी मजदूर गैर प्रांतों से वापस लौटे थे। प्रशासन का दावा है कि इनमें से करीब 45 हजार श्रमिकों को विभिन्न योजनाओं के जरिए कार्य उपलब्ध कराया गया। यही नहीं, प्रवासी श्रमिकों को अधिक से अधिक रोजगार मिले, इसको देखते हुए केंद्र सरकार की ओर से जिन 116 जिलों को चयनित किया गया, उनमें हरदोई भी शामिल है।

इन योजनाओं को किया गया शामिल
मनरेगा अंतर्गत प्रवासी श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए जल संचयन, वृक्षारोपण, खेत, तालाब, पशु शेड, कुओं का निर्माण, बकरी शेड का निर्माण, आंगनवाड़ी केंद्रों के निर्माण, सामुदायिक शौचालयों, ग्राम पंचायत भवन,खादी ग्रामोद्योग की प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, एक जनपद एक उत्पाद, ई-रिक्शा आदि योजनाओं कार्यक्रमों को शामिल किया गया था।

मंगलवार को 25 बसें दिल्ली जा चुकी हैं और यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखकर 5 बसें और भेजी जा रही हैं।
आरबी यादव, एआरएम
...और वापस लौट चले प्रवासी श्रमिक
श्रमिकों को ज्यादा से ज्यादा काम मिले इसकी समीक्षा डीएम से लेकर सीडीओ तक करती रहीं। इधर समीक्षा होती रही उधर श्रमिक कार्य न मिलने से परेशान रहे। जब काम मिलने की कोई आस नहीं दिखी तो धीरे-धीरे गैर प्रांतों को श्रमिक लौटने लगे। जिले में सबसे ज्यादा प्रवासी श्रमिक पंजाब से आए थे, इनमें ज्यादातर रेलवे की ओर से चालाई गई श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से आए। पंजाब में यह सब बड़े फार्मों पर खेती आदि कार्य करते थे। उधर, पंजाब के बड़े किसानों को खेत पर कार्य करने के लिए श्रमिक नहीं मिले तो उन्होंने मोबाइल के जरिए श्रमिकों से संपर्क किया और उन्हें वापस आने को कहा साथ ही कोरोना से सुरक्षा के भी व्यापक प्रबंध करने की बात कही। इधर बेरोजगार बैठे श्रमिकों को उनकी बातें मानने के अलावा कोई रास्ता न दिखा तो श्रमिकों ने हामी भर दी।

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क्या है श्रमिकों के सामने मजबूरी?
दिल्ली जा रहे श्रमिकों ने बताया कि वे लॉकडाउन के दौरान घर वापस आ गए थे, जिसके बाद उन्होंने अपने खेतों पर काम किया। फिर कभी कभार मजदूरी मिली तो वह भी की लेकिन हुनर के अनुसार जब कार्य नहीं मिला तो वह वापस जाने को मजबूर हो रहे हैं।

'दिलाया जा रहा है श्रमिकों को रोजगार'डीएम पुलकित खरे ने बताया कि जिले में 90 हजार श्रमिक आए थे, जिनमें से 45 हजार श्रमिकों को उन्हीं के गांव में मनरेगा के जरिए रोजगार उपलब्ध कराया गया। 5 हजार कुशल श्रमिकों को रोजगार दिलाया जा चुका है और बाकी को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए प्रयास जारी हैं।

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