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जालौनः अस्पतालों में धूल फांक रहे हैं पीएम केयर फंड के वेंटिलेटर्स, डॉक्टरों की कमी की वजह से बने शोपीस

करोड़ो की लागत से खरीदे गए वेंटिलेटर अस्पतालों में कबाड़ हो रहे हैं। डॉक्टरों की कमीं की वजह से ये वेंटिलेटर शोपीस बने हुए हैं। जालौन के मरीजों को झांसी, कानपुर, ग्वालियर रेफर किया जा रहा है।

Lipi 21 Sep 2021, 3:16 pm
जालौन
नवभारतटाइम्स.कॉम धूल खा रहे वेंटिलेटर
धूल खा रहे वेंटिलेटर

देश में कोरोना ने सरकार के बेहतर स्वाथ्य सेवाओं के दावों की पोल खोलकर रख दी थी। संसाधनों के अभाव में कई लोगों को कोरोना से अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। कोरोना के आंकड़ों में तेजी के बाद सरकार ने पीएम केयर फंड से अस्पतालों में बेडों और वेंटिलेटर की संख्या में इजाफा किया था लेकिन जालौन की जिला अस्पताल में डॉक्टर और स्टॉफ की कमी की वजह से ये वेंटिलेटर सिर्फ शोपीस बनकर रह गए हैं।

कोरोना काल के दौरान सरकार की ओर से जिले में 66 वेंटिलेटर उपलब्ध कराए थे। वहीं जिला अस्पताल को 10 वेंटिलेटर विधायक निधि से मिले थे। फिलहाल जिला अस्पताल में सर्जन और मेडिकल स्टॉफ की कमी के चलते यहां के मरीजों को वेंटिलेटर का लाभ नहीं मिल पा रहा है। वहीं मरीज झांसी,कानपुर और ग्वालियर रेफर होने को मजबूर हैं।

पीएम केयर फंड के वेंटिलेटर बने शोपीस
कोरोना काल मे जब मरीजों के ऊपर सांसों का संकट टूटा तो सरकार ने पीएम केयर फंड का इस्तेमाल कर कोरोड़ो की लागत से वेंटिलेटर खरीदे। वहीं जालौन में डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ की कमी होने की वजह से ये वेंटिलेटर सिर्फ धूल फांकने का काम कर रहे हैं। अगर लागत की बात करें तो बेसिक मॉडल की कीमत एक लाख 66 हज़ार रुपए तय हुई और हाई ऐंड मॉडल की कीमत 8 लाख 56 हजार रुपए तय हुई थी। इस हिसाब सरकार के द्वारा खर्च किया गया बजट सिर्फ कागजों में बेहतर स्वाथ्य सेवा का दावा करता नजर आ रहा है।

अगर जिला अस्पताल में डॉक्टरों और स्टाफ की कमी पूरी हो जाए तो कई मरीज़ो की जान बचाई जा सकती है। जालौन सीएमओ एनडी शर्मा ने बताया कि जिला अस्पताल में कोरोना की लहर को देखते हुए 10 वेंटिलेटर की व्यवस्था की गई थी लेकिन सर्जन और मेडिकल स्टाफ की कमी की वजह से इन्हें उपयोग में नहीं लाया जा सका। सरकार को स्टाफ की कमी को लेकर पत्र लिखा गया है। जैसे ही शासन से मंजूरी मिलती है, इन वेंटिलेटरों को काम में लाया जाएगा।

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