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मां की उंगली पकड़कर 1983 में पहली बार पीलीभीत... वरुण गांधी की मार्मिक चिट्‌ठी में क्या कांग्रेस के लिए भी है 'जवाब'

Lok sabha Chunav 2024: वरुण गांधी को लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं। गुरुवार को वरुण गांधी ने पीलीभीत की जनता के नाम भावुक करने वाली एक चिट्ठी लिखी है, जिससे सारी अटकलों पर विराम लग गया है।

Curated byविवेक मिश्रा | नवभारतटाइम्स.कॉम 28 Mar 2024, 4:05 pm
पीलीभीत: बीजेपी ने इस बार पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी का टिकट काट दिया है। उनके स्थान पर जितिन प्रसाद को बीजेपी ने टिकट दिया है। वरुण गांधी के टिकट कटने के बाद से तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं। उनके कांग्रेस में जाने और सपा से चुनाव लड़ने की अटकलों का दौर चल रहा था। कांग्रेस नेता अधीर रंजन की ओर से पार्टी में आने का ऑफर तक दे दिया गया था। अटकलें लगाई जा रही थीं कि क्या गांधी परिवार एक बार फिर एकसाथ आएगा। रायबरेली और अमेठी से वरुण गांधी के चुनाव लड़ने की चर्चाएं थीं। फिरोजाबाद में एक कार्यक्रम में सपा ने नेता राम गोपाल यादव ने भी कहा था कि पहले बीजेपी वरुण गांधी का टिकट काटे तो सपा उस पर विचार करेगी। इस बीच, वरुण गांधी ने इन सभी अटकलों पर विराम लगा दिया है। उन्होंने बता दिया है कि वो मां मेनका गांधी के साथ हैं। वरुण गांधी ने पीलीभीत की जनता के नाम भावुक करने वाला पत्र लिखा है, जिसमें पीलीभीत को अपना परिवार बताया है।
नवभारतटाइम्स.कॉम Varun Gandhi


वरुण गांधी चिट्ठी


पीलीभीत वासियों को मेरा प्रणाम।
आज जब मैं यह पत्र लिख रहा हूं तो अनगिनत यादों ने मुझे भावुक कर दिया है। मुझे वो 3 साल का छोटा सा बच्चा याद आ रहा है, जो अपनी मां की उंगली पकड़ कर 1983 में पहली बार पीलीभीत आया था, उसे कहां पता था एक दिन यह धरती उसकी कर्मभूमि और यहां के लोग उसका परिवार बन जाएंगे।

मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे वर्षों पीलीभीत की महान जनता की सेवा करने का मौका मिला। महज एक सांसद के तौर पर ही नहीं, बल्कि एक व्यक्ति के तौर पर भी मेरी परवरिश और मेरे विकास में पीलीभीत से मिले आदर्श, सरलता और सहृदयता का बहुत बड़ा योगदान है। आपका प्रतिनिधि होना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है और मैंने हमेशा अपनी पूरी क्षमता से आपके हितों के लिए आवाज उठाई।

एक सांसद के तौर पर मेरा कार्यकाल भने समाप्त हो रहा हो, पर पीलीभीत से मेरा रिश्ता अंतिम सांस तक खत्म नहीं हो सकता। सांसद के रूप में नहीं तो बेटे के तौर पर सही, मैं आजीवन आपकी सेवा के लिए प्रतिबद्ध हूं और मेरे दरवाजे आपके लिए हमेशा पहले जैसे ही खुले रहेंगे। मैं राजनीति में आम आदमी की आवाज उठाने आया था और आज आपसे यही आशीर्वाद मांगता हूं कि सदैव यह कार्य करता रहूं, भले ही उसकी कोई भी कीमत चुकानी पड़े।

मेरा और पीलीभीत का रिश्ता प्रेम और विश्वास का है, जो किसी राजनीतिक गुणा- भाग से बहुत ऊपर है। मैं आपका था, हूं और रहूंगा।

लेखक के बारे में
विवेक मिश्रा
जन्मस्थली बाराबंकी है और कर्मस्थली तीन राज्य के कई शहर रहे हैं। 2013 में प्रिंट मीडिया से करियर की शुरुआत की। मप्र जनसंदेश, पत्रिका, हिंदुस्तान, अमर उजाला, दैनिक जागरण होते हुए नवभारत टाइम्स के साथ डिजिटल मीडिया में कदम रखा।... और पढ़ें

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