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अमेरिका के बाद स्विजरलैंड ने माना...भारत में कोरोना डेथ रेट इस वजह से कम

भारतीयों के जीन में पहले से कोरोना को हराने की ताकत है। यही वजह है कि भारत में कोरोना से मौत के मामले अन्य देशों के मुकाबले कम हैं। BHU वैज्ञानिकों के इस दावे पर अब अमेरिका के बाद स्विजरलैंड ने मुहर लगा दी है।

Lipi 28 Sep 2020, 6:08 pm
अभिषेक जायसवाल, वाराणसी
नवभारतटाइम्स.कॉम BHU NEW
रिसर्च में आया सामने

भारत सहित पूरी दुनिया में कोरोना का कोहराम जारी है। कोरोना के बढ़ते आंकड़ों के बीच दुनियाभर में इस खतरनाक बीमारी से मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हालांकि भारत में कोरोना से मौत के आंकड़े दूसरे देशों से बेहद कम है। बीएचयू के एक्सपर्ट वैज्ञानिकों की टीम ने भारत में कोरोना डेथ रेट में कमी की वजह का पता लगाया है।

बीएचयू के जंतु विज्ञान विभाग के प्रफेसर ज्ञानेश्वर चौबे की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय वैज्ञानिकों की टीम ने जेनेटिक मैपिंग कर देशभर के लोगों की कोरोना रोधक क्षमता की जांच की है। देश के विभिन्न राज्यों से 5641 सैम्पल को कलेक्ट कर वैज्ञानिकों की टीम ने इस पर शोध किया है। शोध में ये दावा किया गया है भारतीयों के जीन में कोरोना से लड़ने की क्षमता पहले से मौजूद है। इस शोध में टीम ने ये भी पाया कि भारतीयों के एक्स क्रोमोसोम पर उपस्थित जीन एंजियोटोरियन्स कंवर्जिंग एंजाइम 2 के म्यूटेशन के कारण भारतीयों की कोरोना से मौत कम हो रही है। वैज्ञानिकों की टीम ने अलग अलग राज्यों के अलग अलग वर्ग के लोगों पर की है।

बीएचयू के वैज्ञानिकों के इस दावे पर अमेरिका के बाद अब स्विजरलैंड ने मुहर लगाई है। स्विजरलैंड की प्रसिद्ध विज्ञान पत्रिका फ्रंटियर इन जेनेटिक्स स्विजरलैंड ने प्रकाशित किया है। एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में बीएचयू के प्रफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि मराठी लोगों ने एक्स क्रोमोसोम में म्यूटेशन हेप्लोटाइप कम होने के कारण मौतें ज्यादा हुईं। वहीं केरल,अरुणाचल, मेघालय और त्रिपुरा में म्यूटेशन हेप्लोटाइप अन्य राज्यों की अपेक्षा अधिक पाया गया है।

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