विकास पाठक, वाराणसी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में उत्तर प्रदेश का अब तक का सबसे बड़ा ध्वस्तीकरण अभियान चलेगा। इसकी जद में शहर के पॉश इलाके में छह दशक पहले बसी कालोनियों के करीब सात सौ आशियाने और दो सौ से ज्यादा होटेल-गेस्ट हाउस व व्यावसायिक भवन, दुकानें, पेट्रोल पंप आएंगे। हाई कोर्ट के आदेश से रक्षा संपदा विभाग ने 160 एकड़ जमीन से अवैध निर्माण हटाकर मुक्त कराने के लिए अंतिम चेतावनी नोटिस जारी कर दी गई है। 17 सितम्बर की मियाद बीतने के बाद हथौड़ा चलने की तैयारी से रक्षा संपदा की जमीनों के कथित मालिक बने लोगों की जान सांसत में है।
दरअसल, वाराणसी शहर के बीचोंबीच करीब 160 एकड़ जमीन रक्षा मंत्रालय की है। कैंट रेलवे स्टेशन के सामने से लगायत मलदहिया चौराहे और उसके आगे एक किलोमीटर तक के इलाके में फैली रक्षा सम्पदा पर हजार के लगभग आशियाने तो दर्जनों होटेल, अस्पताल और कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स खड़े हैं। भारत सरकार के मालिकाना हक वाली यह जमीन वर्ष 1894 में नगर निगम को प्रबंधक यानी केयरटेकर के रूप में देखभाल के लिए दी गई थी। शर्त रही कि नगर निगम भूखंड को किसी को बेचेगा नहीं।
नगर निगम का खेल
समय बीतने के साथ निगम व जिला प्रशासन के अधिकारियों का खेल शुरु हुआ तो रक्षा संपदा विभाग की जमीन के टुकड़े औने-पौने में पट्टे पर दिए जाते रहे। पट्टे के मुताबिक किसी को मालिकाना हक हासिल नहीं रहा लेकिन सरकारी विभागों की आंख में धूल झोंककर लोग खुद मालिक बन गये। नगर निगम ने येलो कार्ड जारी कर दिया तो विकास प्राधिकरण ने मकान, होटेल व अस्पतालों का नक्शा पास कर दिया। जमीन की खरीद-बिक्री भी होती रही। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेश से साफ हुआ कि 160 एकड़ जमीन का एकमेव मालिक रक्षा मंत्रालय ही है।
रक्षा संपदा विभाग ने जारी की नोटिस
लंबे समय तक मामला उलझा रहने के बाद हाई कोर्ट के आदेश पर रक्षा संपदा की टीमों ने 160 एकड़ जमीन का सर्वे और सीमांकन इसी साल जनवरी में किया। अब रक्षा संपदा अधिकारी (इलाहाबाद मंडल) विनीत कुमार की ओर से सभी अवैध कब्जाधारकों को नोटिस जारी की गई है। नोटिस में 17 सितम्बर तक जमीन से अवैध कब्जा हटा लेने को कहा गया है। दिए गए समय में अतिक्रमण न हटने पर रक्षा संपदा विभाग जिला प्रशासन के सहयोग से कार्रवाई शुरू करेगा।
चार साल पहले लग गई थी रोक
हाई कोर्ट के आदेश से चार साल पहले ही रक्षा संपदा की जमीन का पट्टा किसी को देने या उसके नवीनीकरण करने का अधिकार निगम और कलेक्टर(डीएम) के हाथों से छिन गया था। इसके बाद नगर निगम के अधिकारियों ने अपनी गर्दन बचाने के लिए रक्षा मंत्रालय की जमीन पर काबिज लोगों को इस शर्त के साथ दूसरा यलो कार्ड जारी कर दिया था कि रक्षा मंत्रालय जब भी चाहेगा तब संबंधित भूखंड पर कब्जा ले सकेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में उत्तर प्रदेश का अब तक का सबसे बड़ा ध्वस्तीकरण अभियान चलेगा। इसकी जद में शहर के पॉश इलाके में छह दशक पहले बसी कालोनियों के करीब सात सौ आशियाने और दो सौ से ज्यादा होटेल-गेस्ट हाउस व व्यावसायिक भवन, दुकानें, पेट्रोल पंप आएंगे। हाई कोर्ट के आदेश से रक्षा संपदा विभाग ने 160 एकड़ जमीन से अवैध निर्माण हटाकर मुक्त कराने के लिए अंतिम चेतावनी नोटिस जारी कर दी गई है। 17 सितम्बर की मियाद बीतने के बाद हथौड़ा चलने की तैयारी से रक्षा संपदा की जमीनों के कथित मालिक बने लोगों की जान सांसत में है।
दरअसल, वाराणसी शहर के बीचोंबीच करीब 160 एकड़ जमीन रक्षा मंत्रालय की है। कैंट रेलवे स्टेशन के सामने से लगायत मलदहिया चौराहे और उसके आगे एक किलोमीटर तक के इलाके में फैली रक्षा सम्पदा पर हजार के लगभग आशियाने तो दर्जनों होटेल, अस्पताल और कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स खड़े हैं। भारत सरकार के मालिकाना हक वाली यह जमीन वर्ष 1894 में नगर निगम को प्रबंधक यानी केयरटेकर के रूप में देखभाल के लिए दी गई थी। शर्त रही कि नगर निगम भूखंड को किसी को बेचेगा नहीं।
नगर निगम का खेल
समय बीतने के साथ निगम व जिला प्रशासन के अधिकारियों का खेल शुरु हुआ तो रक्षा संपदा विभाग की जमीन के टुकड़े औने-पौने में पट्टे पर दिए जाते रहे। पट्टे के मुताबिक किसी को मालिकाना हक हासिल नहीं रहा लेकिन सरकारी विभागों की आंख में धूल झोंककर लोग खुद मालिक बन गये। नगर निगम ने येलो कार्ड जारी कर दिया तो विकास प्राधिकरण ने मकान, होटेल व अस्पतालों का नक्शा पास कर दिया। जमीन की खरीद-बिक्री भी होती रही। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेश से साफ हुआ कि 160 एकड़ जमीन का एकमेव मालिक रक्षा मंत्रालय ही है।
रक्षा संपदा विभाग ने जारी की नोटिस
लंबे समय तक मामला उलझा रहने के बाद हाई कोर्ट के आदेश पर रक्षा संपदा की टीमों ने 160 एकड़ जमीन का सर्वे और सीमांकन इसी साल जनवरी में किया। अब रक्षा संपदा अधिकारी (इलाहाबाद मंडल) विनीत कुमार की ओर से सभी अवैध कब्जाधारकों को नोटिस जारी की गई है। नोटिस में 17 सितम्बर तक जमीन से अवैध कब्जा हटा लेने को कहा गया है। दिए गए समय में अतिक्रमण न हटने पर रक्षा संपदा विभाग जिला प्रशासन के सहयोग से कार्रवाई शुरू करेगा।
चार साल पहले लग गई थी रोक
हाई कोर्ट के आदेश से चार साल पहले ही रक्षा संपदा की जमीन का पट्टा किसी को देने या उसके नवीनीकरण करने का अधिकार निगम और कलेक्टर(डीएम) के हाथों से छिन गया था। इसके बाद नगर निगम के अधिकारियों ने अपनी गर्दन बचाने के लिए रक्षा मंत्रालय की जमीन पर काबिज लोगों को इस शर्त के साथ दूसरा यलो कार्ड जारी कर दिया था कि रक्षा मंत्रालय जब भी चाहेगा तब संबंधित भूखंड पर कब्जा ले सकेगा।