वाराणसी
भारतीय रेलवे के लिए डीजल इंजन का निर्माण के लिए देश ही नहीं दुनिया में मशहूर वाराणसी के डीजल रेल इंजन कारखाना ने पहली बार डीजल इंजन को विद्युत इंजन में परिवर्तन का काम किया है। डीरेका का दावा है दुनिया में पहली बार यह प्रयोग किया गया। दो डीजल रेल इंजन को मिलाकर जो बिजली से चलने वाला यह रेल इंजन बनाया गया है। शुक्रवार को डीजल रेल इंजन कारखाना द्वारा डीजल रेल इंजन से विद्युत रेल इंजन में रूपांतरित प्रथम 12 हजार अश्व शक्ति के विद्युत रेल इंजन को परीक्षण के लिए पश्चिम मध्य रेलवे के तुगलकाबाद शेड को भेजा गया है।
डीरेका के मुख्यजनसपंर्क अधिकारी नितिन मल्होत्रा ने बताया कि 4000 अश्व शक्ति के दो डब्ल्यूडीजी-4 रेल इंजनों को रूपांतरित कर 12000 अश्व शक्ति का एक डब्ल्यूएजी-11 विद्युत रेल इंजन बनाया गया है। इसके लिए 4000 अश्व शक्ति के दो डीजल रेल इंजनों को 6000 अश्व शक्ति के विद्युत रेल इंजनों में रूपांतरित किया गया एवं जोड़कर 12000 अश्व शक्ति का यह रेल इंजन बनाया गया है।
डीजल रेल इंजन को बिजली रेल इंजन पर परिवर्तन करने का काम पहली बार विश्व में किया गया है। इस रेल इंजन से डीजल की बचत के साथ पर्यावरण फ्रेंडली भी होगा। डीजल रेल इंजन को बिजली रेल इंजन में परिवर्तन से इसकी क्षमता में 100 फीसदी बढ़ोत्तरी के साथ इसकी गति में भी बढ़ोत्तरी होगी। डीजल रेल इंजन को इलेक्ट्रिक रेल इंजन में परिवर्तन का काम डीरेका में 69 दिनों के रेकॉर्ड समय में पूरा किया गया है।
रेलवे बोर्ड के मार्गदर्शन में डीरेका ने चितरंजन रेल इंजन कारखाना तथा अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) के सहयोग से यह कठिन और चुनौतीपूर्ण लक्ष्य हासिल किया है । इस उच्च अश्व शक्ति के विद्युत रेल इंजन को 105 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलने हेतु डिजाइन किया गया है । इस मालवाहक रेल इंजन का वजन 252 टन है। इसमें 3 फेज इंडक्शन मोटर, 4 पावर कन्वर्टर लगे है एवं रिजेनेरेटिव और न्यूमेटिक ब्रेकिंग सिस्टम से युक्त है मेंसंधान डिजाइन और मानक संगठन (आरडीएसओ), चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स (सीएलडब्ल्यू), और भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) के इंजिनियरों की मदद से रेकॉर्ड समय में उपलब्धि हासिल हुई है। दिसंबर 2017 में यह काम शुरू किया गया जो 28 फरवरी को पूरा हुआ। इस पर 2.5 से 3 करोड़ रुपए खर्च हुए है। इस रेल इंजन से मालगाड़ियों की औसत गति को दोगुना करने में भारतीय रेलवे को सफलता मिलेगी।
भारतीय रेलवे के लिए डीजल इंजन का निर्माण के लिए देश ही नहीं दुनिया में मशहूर वाराणसी के डीजल रेल इंजन कारखाना ने पहली बार डीजल इंजन को विद्युत इंजन में परिवर्तन का काम किया है। डीरेका का दावा है दुनिया में पहली बार यह प्रयोग किया गया। दो डीजल रेल इंजन को मिलाकर जो बिजली से चलने वाला यह रेल इंजन बनाया गया है। शुक्रवार को डीजल रेल इंजन कारखाना द्वारा डीजल रेल इंजन से विद्युत रेल इंजन में रूपांतरित प्रथम 12 हजार अश्व शक्ति के विद्युत रेल इंजन को परीक्षण के लिए पश्चिम मध्य रेलवे के तुगलकाबाद शेड को भेजा गया है।
डीरेका के मुख्यजनसपंर्क अधिकारी नितिन मल्होत्रा ने बताया कि 4000 अश्व शक्ति के दो डब्ल्यूडीजी-4 रेल इंजनों को रूपांतरित कर 12000 अश्व शक्ति का एक डब्ल्यूएजी-11 विद्युत रेल इंजन बनाया गया है। इसके लिए 4000 अश्व शक्ति के दो डीजल रेल इंजनों को 6000 अश्व शक्ति के विद्युत रेल इंजनों में रूपांतरित किया गया एवं जोड़कर 12000 अश्व शक्ति का यह रेल इंजन बनाया गया है।
डीजल रेल इंजन को बिजली रेल इंजन पर परिवर्तन करने का काम पहली बार विश्व में किया गया है। इस रेल इंजन से डीजल की बचत के साथ पर्यावरण फ्रेंडली भी होगा। डीजल रेल इंजन को बिजली रेल इंजन में परिवर्तन से इसकी क्षमता में 100 फीसदी बढ़ोत्तरी के साथ इसकी गति में भी बढ़ोत्तरी होगी। डीजल रेल इंजन को इलेक्ट्रिक रेल इंजन में परिवर्तन का काम डीरेका में 69 दिनों के रेकॉर्ड समय में पूरा किया गया है।
रेलवे बोर्ड के मार्गदर्शन में डीरेका ने चितरंजन रेल इंजन कारखाना तथा अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) के सहयोग से यह कठिन और चुनौतीपूर्ण लक्ष्य हासिल किया है । इस उच्च अश्व शक्ति के विद्युत रेल इंजन को 105 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलने हेतु डिजाइन किया गया है । इस मालवाहक रेल इंजन का वजन 252 टन है। इसमें 3 फेज इंडक्शन मोटर, 4 पावर कन्वर्टर लगे है एवं रिजेनेरेटिव और न्यूमेटिक ब्रेकिंग सिस्टम से युक्त है मेंसंधान डिजाइन और मानक संगठन (आरडीएसओ), चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स (सीएलडब्ल्यू), और भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) के इंजिनियरों की मदद से रेकॉर्ड समय में उपलब्धि हासिल हुई है। दिसंबर 2017 में यह काम शुरू किया गया जो 28 फरवरी को पूरा हुआ। इस पर 2.5 से 3 करोड़ रुपए खर्च हुए है। इस रेल इंजन से मालगाड़ियों की औसत गति को दोगुना करने में भारतीय रेलवे को सफलता मिलेगी।