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पूर्वांचल के नक्सल प्रभावित गांवों में लग रहा खुशहाली का ठप्पा, महिलाओं के ग्रीन ग्रुप ने बदली तस्वीर

पूर्वांचल के नक्‍सल प्रभावित मीरजापुर जिले के गांवों में महिलाओं की ग्रीन बिग्रेड (ग्रीन ग्रुप) ने वह कर दिखाया है जो कानून के ‘डंडे’ के जरिए नहीं हो सका था। पारिवारिक और सामाजिक विघटन का पर्याय बने जुआ और नशे के अलावा महिलाओं व बच्‍चों के साथ होने वाले अपराध के खिलाफ ग्रीन बिग्रेड के अभियान का परिणाम तीन महीने के अंदर ही दिखने लगा है।

नवभारत टाइम्स 19 Apr 2018, 5:44 pm
विकास पाठक, वाराणसी
नवभारतटाइम्स.कॉम hara panja
चुने गए घरों में हरे पंजे का ठप्पा लगाती महिलाएं

पूर्वांचल के नक्‍सल प्रभावित मीरजापुर जिले के गांवों में महिलाओं की ग्रीन बिग्रेड (ग्रीन ग्रुप) ने वह कर दिखाया है जो कानून के ‘डंडे’ के जरिए नहीं हो सका था। पारिवारिक और सामाजिक विघटन का पर्याय बने जुआ और नशे के अलावा महिलाओं व बच्‍चों के साथ होने वाले अपराध के खिलाफ ग्रीन बिग्रेड के अभियान का परिणाम तीन महीने के अंदर ही दिखने लगा है। विकृतियों से मुक्‍त हुए सैकड़ों घरों पर खुशहाली का चिन्‍ह (हरे पंजे का निशान) गांव की तस्‍वीर बदलने की कहानी बताने को काफी है।

नक्‍सलियों को समाज की मुख्‍य धारा से जोड़ने और जुए और नशे से दूर करने की पहल देश के नामी विश्‍वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं की संस्‍था ‘होप’ ने की है। छात्रों की सोच को मीरजापुर के एसपी आशीष तिवारी ने आगे बढ़ाया है। ‘होप’ ने इसी साल फरवरी महीने में मीरजापुर के दस गांवों में 150 गंवई महिलाओं की ऐसी फौज तैयार की, जिसे देख जुआ और नशे के शौकीन रास्‍ता बदल ले रहे हैं या फिर छिप जा रहे हैं। इसके लिए छात्रों ने पॉकेट मनी खर्च कर महिलाओं को बाकायदा प्रशिक्षण और ग्रीन ड्रेस के जरिए अलग पहचान और पुलिस मित्र के दर्जे से ताकत दी है।

नक्‍सल प्रभावित एरिया के सिमरी, पुरैनिया, हिनौता, धनसेरिया, रामपुर, भवानीपुर, कुड़ी, दादरा, राजगढ़ और नदिहर गांवों में ग्रीन ग्रुप की सक्रियता से बदलाव दिखने लगा है। न सिर्फ जुआ और नशे के प्रयोग में कमी देखने को मिल रही है बल्कि सरकारी स्‍कूलों में पढ़ने आने वाले बच्‍चों की संख्‍या भी तेजी से बढ़ी है। इसको देखते हुए एसपी मीरजापुर के निर्देशन में अब पुरैनिया, धनसेरिया और भवानीपुर गांव में ऐसे घरों की पहचान का काम शुरू हुआ है, जो नशा, जुआ और महिला हिंसा जैसी विकृति-कुरीतियां पूरी तरह समाप्‍त होने से खुशहाल हो चुके हैं।

जुआ-शराब के अड्डे खत्‍म
पुरैनिया गांव की ग्रुप लीडर मालती देवी का कहना है कि शुरुआती दौर में तो पुरुषों से मुकाबले में काफी मुसीबतें झेलनी पड़ीं। दिन बीतने के साथ समझाने-बुझाने से जुआ और शराब से तौबा करने वालों की संख्‍या अच्‍छी खासी हो गई है। गांव में चलने वाले जुए के अड्डे बंद हो चले हैं। भवानीपुर की टीम लीडर शीला बताती हैं कि अब खुलेआम शराब पीने की किसी की हिम्‍मत नहीं होती है। किसी ने बाहर जाकर शराब पी भी ली तो गांव में पहुंचते वह किसी के सामने आने से बचता है।

लग रहा हरे पंजे का निशान
‘होप’ के दिव्‍यांशु के मुताबिक, चिह्नित खुशहाल घरों पर ग्रीन ग्रुप की महिलाएं हरे पंजे का निशान लगा रही हैं। यह निशान महिलाओं की सफलता के साथ ही विकास का भी प्रतीक है। ऐसे करीब तीन सौ घरों की पहचान हो चुकी है। बहुत जल्‍दी बाकी के आठ गांवों में भी खुशहाल घर खोजने का काम शुरू होगा।

होप में इनकी भागीदारी
होप संस्‍था से बीएचयू, काशी विद्यापीठ, जेएनयू और डीयू के अलावा कई महाविद्यालयों के छात्र जुड़े हैं। एक साल पहले कैंपस से निकल छात्रों की टोलियों ने पीएम नरेंद्र मोदी के बनारस के कई गांवों में पहुंची तो ग्रीन ग्रुप के गठन के जरिए इनका प्रयास रंग लाया। नक्‍सल प्रभावित मीरजापुर के बाद अब अन्‍य जिलों पर इनका फोकस होगा।

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