पुलकित शुक्ला, नैनीताल
उत्तराखंड में बदहाल क्वारन्टीन और कोविड केयर सेंटरों पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि इन सेंटरों में डब्ल्यूएचओ के मानकों का कितना पालन किया जा रहा है? साथ ही 14 दिनों के भीतर क्वारन्टीन सेंटरों की कमियों को दूर करके 17 सितंबर तक शपथ पत्र के माध्यम से रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिए हैं।
अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर बताया था कि राज्य सरकार ने प्रदेश के 6 अस्पतालों को कोविड केयर के रूप में स्थापित किया है। जबकि इन अस्पतालों में मूलभूत सुविधाएं ही उपलब्ध नहीं है। देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने भी उत्तराखंड वापस लौटे प्रवासियों की सहायता और उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
जिला विधिक प्राधिकरण के सचिव ने अपनी रिपोर्ट में क्वारन्टीन सेंटरों की स्थिति बदतर बताई थी, साथ ही कहा गया था कि प्रवासियों के लिए सरकार की ओर से पर्याप्त व्यवस्था नहीं की गई है। मामले पर सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि कुमार मलिमथ और एनएस धानिक की खंडपीठ ने स्वास्थ्य सचिव को जिला विधिक प्राधिकरण की रिपोर्ट के आधार पर क्वारन्टीन सेंटरों की कमियां 14 दिनों के भीतर दूर कर 17 सितंबर को कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने को कहा। कोर्ट ने सरकार से डब्लूएचओ के मानक पूरे किए जाने को लेकर भी सवाल पूछा है।
उत्तराखंड में बदहाल क्वारन्टीन और कोविड केयर सेंटरों पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि इन सेंटरों में डब्ल्यूएचओ के मानकों का कितना पालन किया जा रहा है? साथ ही 14 दिनों के भीतर क्वारन्टीन सेंटरों की कमियों को दूर करके 17 सितंबर तक शपथ पत्र के माध्यम से रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिए हैं।
अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर बताया था कि राज्य सरकार ने प्रदेश के 6 अस्पतालों को कोविड केयर के रूप में स्थापित किया है। जबकि इन अस्पतालों में मूलभूत सुविधाएं ही उपलब्ध नहीं है। देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने भी उत्तराखंड वापस लौटे प्रवासियों की सहायता और उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
जिला विधिक प्राधिकरण के सचिव ने अपनी रिपोर्ट में क्वारन्टीन सेंटरों की स्थिति बदतर बताई थी, साथ ही कहा गया था कि प्रवासियों के लिए सरकार की ओर से पर्याप्त व्यवस्था नहीं की गई है। मामले पर सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि कुमार मलिमथ और एनएस धानिक की खंडपीठ ने स्वास्थ्य सचिव को जिला विधिक प्राधिकरण की रिपोर्ट के आधार पर क्वारन्टीन सेंटरों की कमियां 14 दिनों के भीतर दूर कर 17 सितंबर को कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने को कहा। कोर्ट ने सरकार से डब्लूएचओ के मानक पूरे किए जाने को लेकर भी सवाल पूछा है।