नई दिल्ली
गूगल ने हाल ही में 36 कैमरा ऐप्स को प्ले स्टोर से हटाया है। इनमें से कई कैमरा ऐप्स के रिमूव किए जाने से पहले एक मिलियन से ज्यादा डाउनलोड्स थे। वाइट ऑप्स थ्रेट इंटेलिजेंस ऐंड रिसर्च टीम की एक रिपोर्ट के मुताबिक स्कैमर्स तकरीबन हर 11 दिन पर नया ऐप डिवेलप किया। इन ऐप्स को 17 दिन के भीतर प्ले स्टोर से हटाया गया है। ये ऐप्स आकी प्रिवेसी के लिए बड़ा खतरा हैं। अपनी प्रिवेसी को सिक्यॉर करने के लिए जरूरी है कि कोई भी खतरनाक ऐप आप अपने मोबाइल पर डाउनलोड न करें। यहां आज हम आपको इन ऐप्स को पहचानने के तरीके बता रहे हैं।
ऐप के कॉन्टैक्ट अड्रेस की पहचान करें
सबसे पहले आप को किसी भी ऐप डिवेलपर्स का कॉन्टैक्ट अड्रैस चेक करना चाहिए। फेक ऐप्स के डिवेलपर्स का ईमेल अड्रेस जीमेल या याहू से जुड़ा होता है। और अगर किसी ऐप में कोई कॉन्टैक्ट इंफॉर्मेशन नहीं हैं उन्हें बिल्कुल भी डाउनलोड न करें।
ऐप डिस्क्रिप्शन चेक करें
फेक ऐप्स से जुडे़ डिस्क्रिप्शन अक्सर छोटे और गलतियों से भरे होते हैं। जबकि किसी ऑरिजनल ऐप का डिस्क्रिप्शन सही तरीके से विस्तार में लिखा गया होता है। इस तरह भी आप फेक और ऑरिजनल ऐप में अंतर कर सकते हैं।
'वैरिफाइड बाई प्ले प्रेटक्ट' बैज पर ध्यान दें
जिन ऐप्स के साथ 'वैरिफाइड बाई प्ले प्रेटक्ट' बैज होता है उन्हें डाउनलोड करना सेफ होता है। कोई भी ऐप डाउनलोड करने से पहले इस बैज पर जरूर गौर करें।
डेटा और बैटरी यूज पर ध्यान दें
अगर आपने कोई ऐप डाउनलोड किया है और आपको पता नहीं है कि यह ऐप जेन्यून है या फेक तो आप को डेटा और बैटरी यूज पर ध्यान देना चाहिए। फेक ऐप ज्यादा डेटा और बैटरी कन्ज्यूम करते हैं।
गूगल ने हाल ही में 36 कैमरा ऐप्स को प्ले स्टोर से हटाया है। इनमें से कई कैमरा ऐप्स के रिमूव किए जाने से पहले एक मिलियन से ज्यादा डाउनलोड्स थे। वाइट ऑप्स थ्रेट इंटेलिजेंस ऐंड रिसर्च टीम की एक रिपोर्ट के मुताबिक स्कैमर्स तकरीबन हर 11 दिन पर नया ऐप डिवेलप किया। इन ऐप्स को 17 दिन के भीतर प्ले स्टोर से हटाया गया है। ये ऐप्स आकी प्रिवेसी के लिए बड़ा खतरा हैं। अपनी प्रिवेसी को सिक्यॉर करने के लिए जरूरी है कि कोई भी खतरनाक ऐप आप अपने मोबाइल पर डाउनलोड न करें। यहां आज हम आपको इन ऐप्स को पहचानने के तरीके बता रहे हैं।
ऐप के कॉन्टैक्ट अड्रेस की पहचान करें
सबसे पहले आप को किसी भी ऐप डिवेलपर्स का कॉन्टैक्ट अड्रैस चेक करना चाहिए। फेक ऐप्स के डिवेलपर्स का ईमेल अड्रेस जीमेल या याहू से जुड़ा होता है। और अगर किसी ऐप में कोई कॉन्टैक्ट इंफॉर्मेशन नहीं हैं उन्हें बिल्कुल भी डाउनलोड न करें।
ऐप डिस्क्रिप्शन चेक करें
फेक ऐप्स से जुडे़ डिस्क्रिप्शन अक्सर छोटे और गलतियों से भरे होते हैं। जबकि किसी ऑरिजनल ऐप का डिस्क्रिप्शन सही तरीके से विस्तार में लिखा गया होता है। इस तरह भी आप फेक और ऑरिजनल ऐप में अंतर कर सकते हैं।
'वैरिफाइड बाई प्ले प्रेटक्ट' बैज पर ध्यान दें
जिन ऐप्स के साथ 'वैरिफाइड बाई प्ले प्रेटक्ट' बैज होता है उन्हें डाउनलोड करना सेफ होता है। कोई भी ऐप डाउनलोड करने से पहले इस बैज पर जरूर गौर करें।
डेटा और बैटरी यूज पर ध्यान दें
अगर आपने कोई ऐप डाउनलोड किया है और आपको पता नहीं है कि यह ऐप जेन्यून है या फेक तो आप को डेटा और बैटरी यूज पर ध्यान देना चाहिए। फेक ऐप ज्यादा डेटा और बैटरी कन्ज्यूम करते हैं।