पिता के वीर्य के बिना जन्मे थे महाभारत के ये पात्र

नवभारतटाइम्स.कॉम 12 Aug 2014, 10:51 am
  • पिता के वीर्य के बिना जन्मे थे महाभारत के ये पात्र

    हस्तिनापुर के राजा शान्तनु और उनकी रानी सत्यवती से दो पुत्र हुए चित्रांगद और विचित्रवीर्य। बच्चे छोटे ही थे, जब शान्तनु स्वर्ग सिधार गए। इन बच्चों का पालन पोषण भीष्म (गंगा तथा शान्तनु के पुत्र) ने किया। फिर चित्रांगद का राज्याभिषेक किया गया, लेकिन गंधर्वों के साथ युद्ध में उनकी भी जान चली गई। फिर राजगद्दी विचित्रवीर्य को मिली। उधर काशीराज ने अपनी तीन कन्याओं अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका के लिए स्वयंवर का आयोजन किया था। भीष्म ने सभी राजाओं को परास्त किया और तीनों को वह हस्तिनापुर ले आए। बाद में पता चला कि बड़ी कन्या अम्बा राजा शाल्व के लिए समर्पित हैं तो उन्हें उनके पास भिजवाया गया और बाकी दोनों कन्याओं की शादी विचित्रवीर्य के साथ करवाई गई।

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    उधर राजा शाल्व ने अम्बा को ग्रहण नहीं किया और वह वापस हस्तिनापुर लौट आईं। अम्बा ने भीष्म से उन्हें अपनाने को कहा, लेकिन भीष्म अपनी प्रतिज्ञा के कारण ऐसा करने में विवश थे। अम्बा नाराज होकर परशुराम के पास गईं और परशुराम ने उनकी शादी भीष्म से करवाने का आश्वासन भी दिया। दोनों में घमासान युद्ध हुआ और आखिरकार देव-देवताओं के हस्तक्षेप के बाद यह युद्ध बंद हुआ। अब नाराज अम्बा वन में तपस्या करने चली गई।

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    उधर विचित्रवीर्य को उन दोनों रानियों से कोई संतान न हुआ और किसी रोग का शिकार होकर मृत्यु को प्राप्त हुए। माता सत्यवती को कुल के विनाश की चिंता सताने लगी। मां सत्यवती ने भीष्म को वंश चलाने के लिए उन दोनों रानियों से पुत्र का आदेश दिया, लेकिन भीष्म अब भी अपनी प्रतिज्ञा को लकेर विवश थे।

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    आखिरकार माता सत्यवती ने अपने बड़े पुत्र वेदव्यास (सत्यवती और पाराशर मुनि के पुत्र) को याद किया और उनसे कहा कि इस वंश को बचाने के लिए नियोग विधि से दोनों कन्याओं से संतान पैदा करें। वेदव्यास ने अपनी माता की आज्ञा का पालन करते हुए कहा कि माता, आप उन दोनों रानियों से कह दें कि वे निर्वस्त्र होकर मेरे सामने से गुजरें, जिससे उन्हें गर्भ धारण हो जाएगा। पहले बड़ी रानी अम्बिका और फिर छोटी अम्बालिका मुनिवर के सामने से गुजरीं।

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    अम्बिका ने मुनिवर के तेज से डर कर अपनी आंखें बंद कर ली और अम्बालिका भी उन्हें देख भय से कांप गईं। वेदव्यास ने माता से कहा कि अम्बिका का पुत्र तो तेजस्वी होगा, लेकिन उनकी आंखें बंद होने के कारण पुत्र अंधा होगा और अम्बालिका से रोग से ग्रसित पुत्र पैदा होगा। अब माता सत्यवती और परेशान हुईं और उन्होंने बड़ी रानी को फिर से वेदव्यास के पास जाने को कहा। इस बार अम्बिका ने अपनी दासी को वेदव्यास के पास भेज दिया और दासी नि:संकोट वेदव्यास के सामने से गुजरी। वेदव्यास ने माता सत्यवती को बताया कि इस दासी के गर्भ से अत्यंत नीतिवान और वेद-वेदांत का जानकार पुत्र पैदा होगा और इतना कहकर वह तपस्या के लिए चले गए। <br>इसके बाद अम्बिका के गर्भ से धृतराष्ट्र (जो जन्म से ही अंधे थे), अम्बालिका के गर्भ से पाण्डु रोग से ग्रसित पाण्डु और उस दासी के गर्भ से विदुर पैदा हुए।