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ये है भारत का सबसे खतरनाक किला, शाम होने से पहले छोड़नी पड़ जाती है लोगों को ये जगह

कलावंती किले ट्रैकिंग करने के लिए भारत के सबसे खतरनाक किलों में आता है। इस किले के बारे में कहा जाता है कि यहां बेहद कम लोग आते हैं और जो आते भी आते हैं वो शाम तक वापस लौट जाते हैं। आप भी इस किले के बारे में कुछ दिलचस्प बातें जानिए।

नवभारतटाइम्स.कॉम 26 May 2022, 11:27 am
भारत को आपने इतिहास के लिए सबसे ज्यादा जाना जाता है, जिसमें कई किलों के बारे में आप खुद जानते होंगे। इन किलों में से कई किले तो अपनी बनावट के लिए जाने जाते हैं। लेकिन आज हम आपको उन किलों के बारे में बताने वाले हैं, जो बेहद खतरनाक हैं और सूरज ढलते ही यहां से लोग निकलना ही सही समझते हैं। हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र के माथेरान और पनवेल के बीच मौजूद प्रबलगढ़ किले के बारे में। ये फोर्ट कलावंती किले के नाम से भी मशहूर है। 2300 फीट ऊंची खड़ी पहाड़ी पर बने इस किले के बारे में कहा जाता है कि यहां बेहद कम लोग आते हैं और जो घूमने आते भी हैं वे लोग सूरज ढलने से पहले यहां से लौट जाते हैं। चलिए आपको इस लेख में इस किले के बारे में कुछ दिलचस्प बातें बताते हैं।
नवभारतटाइम्स.कॉम trek to the kalavantin durg most dangerous fort in maharashtra india
ये है भारत का सबसे खतरनाक किला, शाम होने से पहले छोड़नी पड़ जाती है लोगों को ये जगह


ये किला क्यों है इतना खतरनाक?

ये किला इसलिए इतना खतरनाक माना जाता है, क्योंकि यहां ट्रैकर्स जब रॉक-कट की पहाड़ियों और नुकीली सीढ़ियों से ट्रैक करते हैं, जिसमें आसपास पकड़ने के लिए न तो कोई रेलिंग है और न कोई रस्सी है। मतलब अगर चढ़ाई करते समय, जरा सा भी आपका पैर फिसला, तो आप 2300 फीट नीचे खाई में जा गिरेंगे। अगर आप दिमाग से चढ़ाई कर सकते हैं, तो इस कठिन ट्रैकिंग में शामिल हो सकते हैं। आप सोच रहे होंगे कि ऐसी ट्रैकिंग हिस्सा कौन ही बनता होगा, तो आपको बता दें, खतरनाक होने के बाद भी यहां कई लोग ट्रैकिंग करने के लिए आते हैं। लेकिन कुछ ही लोग इसे सफलतापूर्वक पूरा कर पाते हैं। कलावंती किले के ऊपर से चंदेरी, माथेरान, करनाल और इरशाल को देखा जा सकता है। यहां तक कि यहां से मुंबई की कई जगहों को देखा जा सकता है। (फोटो साभार : wikimedia commons)

कलावंती किले का इतिहास -

ऐसा कहा जाता है कि इस किले से गिरने की वजह से कई लोगों की जान भी जा चुकी है। किले का नाम पहले मुरंजन किला था, लेकिन छत्रपति शिवाजी महाराज के राज में इसका नाम बदल दिया गया। बताया जाता है कि शिवाजी महाराज ने रानी कलावंती के नाम पर ही इस किले का नाम रखा गया था।

(फोटो साभार : indiatimes.com)

कलावंती किला कैसे पहुंचें -

ट्रैकर्स आमतौर पर ट्रैकिंग ठाकुरवाड़ी गांव से शुरू करते हैं। गांव तक पहुंचने के लिए, मुंबई से पनवेल के लिए ट्रेन लें और उसके बाद इस डेस्टिनेशन के लिए बस ले सकते हैं। आप इस ट्रेक को अकेले करने का विकल्प चुन सकते हैं या एक ट्रैवल कंपनी के साथ जाने का विकल्प चुन सकते हैं जो आपके लिए इस ट्रैक को प्लान कर सकते हैं। बल्कि ये एजेंसी इस पैकेज में आपको 1000 रुपए की कीमत में बॉनफायर के साथ किले में रात भर कैंपिंग करने का विकल्प भी देती है।

(फोटो साभार : wikimedia commons)

कलावंतिन दुर्ग ट्रैक के लिए क्या पैक करें -

चूंकि ये ट्रैक सिर्फ एक दिन का होता है, इसलिए आपको यहां के लिए चीजें ज्यादा ले जाने की जरूरत नहीं है। ट्रैकिंग के लिए सही जूते पहनें, साथ ही अपने साथ 2 लीटर पानी रखें और ड्राई फ्रूट्स, फल और एनर्जी बार जैसी चीजें अपने साथ रखें।

(फोटो साभार : indiatimes.com)

कलावंती किला घूमने का सबसे अच्छा समय

मानसून (मई से सितंबर) के दौरान किले में ट्रैकिंग करने से बचें, क्योंकि इस दौरान रास्ता यहां काफी फिसलन भरा हो जाता है और गिरने की संभावना बढ़ जाती है। अक्टूबर से मार्च तक का समय इस किले पर ट्रैकिंग करने के लिए सही है।

(फोटो साभार : wikimedia commons)

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